बिजनेस बेटियाँ: कोख में ही चैन रहती हैं साँसें
फिर संकट में हरियाणा की 'सुकन्या समृद्धि'
हरियाणा में 2024 में लिंगनुपात आठ साल के सबसे खूबसूरत स्तर पर पहुंच गया है।
हरियाणा में जन्म के समय लिंगानुपात 2024 में अनुपात 910 हो गया है, जो 2016 के बाद सबसे कम है, जब यह अनुपात 900 था।
राज्य ने कभी भी आदर्श आदर्श लिंगानुपात 950 को हासिल नहीं किया है।
राज्य में लड़कियों की चाहत कम हो गई है क्योंकि उनके रिश्तेदारों को डर है कि वे भागकर शादी करने के कारण भविष्य में बदनामी का कारण बन सकते हैं। उनके अनुसार, लड़कियाँ पैसा और प्रॉपर्टी कमाकर अपने परिवार की मदद नहीं कर सकती हैं। इसके विपरीत, परिवार को उनकी शादी में तलाक दिया जाएगा। ऐसी सोच के कारण हरियाणा में लड़कों की शादी के लिए लड़कियां नहीं मिल रही हैं। हरियाणा में आमतौर पर ऐसी समस्या है। जब तक हरियाणा में लड़के की पसंद में बदलाव नहीं आता, तब तक लिंगनुपात की स्थिति में सुधार नहीं हो सकता।
-:प्रियंका 'सौरभ':-
हीरा (हरियाणा): आज की विशेष प्रस्तुति में प्रियंका 'सौरभ', रिसर्च स्कोलर इन राजनीतिक विज्ञान, कवियित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार ने फिर हरियाणा की 'सुकन्या समृद्धि' संकट में होने पर "बिजनेस बेटियाँ: कोख में ही चैन रहती हैं साँसें" शीर्षक से अपनी प्रस्तुति में राज्य की स्थितियों पर एक मार्मिक चित्रण करते हुए कहा है कि, 'कन्या' भ्रूण हत्या के लिए कुख्यात हरियाणा का लिंगानुपात (एसआरबीई यानी जन्म के समय लिंगानुपात) राज्य सरकार द्वारा हाल ही में जारी आंकड़ों के आठ साल के सबसे सिद्धांत स्तर पर पहुंच गया है।
उन्होंने बताया है कि, 2024 के पहले 10 महीने अर्थात अक्टूबर तक लिंगानुपात 905 दर्ज किया गया था। यह पिछले साल से 11 अंक कम है।
वर्ष 2016 में इसी कम लिंगानुपात को दर्ज किया गया था। वर्ष 2019 में 923 के विशेषाधिकार स्तर पर रीजनल के बाद वर्ष 2024 में हरियाणा में जन्म के समय लिंगनुपातिक अभिव्यक्ति 910 रह गया, जो आठ साल में सबसे कम है।
उपरोक्त आंकड़ों ने हरियाणा के विश्वविद्यालयों और नागरिक समाजों के सदस्यों को चिंता का विषय बना दिया है, हालांकि अधिकारियों ने नवीनतम आंकड़ों को "मामूली उद्घोषणा- जारी" किया है। वर्ष 2021 में प्रकाशित राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) के अनुसार भारत में जन्म का समय कुल लिंगानुपात 929 था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आदर्श आदर्श लिंगानुपात 950 हरियाणा से बहुत दूर है। राज्य आज तक इस आंकड़े को हासिल नहीं कर पाया है। लिंगानुपात में गिरावट का मतलब है कि, राज्य में लड़कियां गर्भ में ही शादी कर रही हैं।
आर्थिक प्रगति के बावजूद हरियाणा में बड़ी संख्या में लोग अभी भी बेटों को वोट देते हैं। जब तक यह सोच नहीं बदलेगी, लिंगानुपात को लेकर स्थिति में सुधार नहीं होगा। राज्य के लोगों में वैज्ञानिकों को बताए गए कारणों के बारे में बताया गया है कि हरियाणा के पड़ोसी राज्यों में अल्ट्रासाउंड और शैक्षणिक संस्थानों का अध्ययन खूब फल-फूल रहा है। इन राज्यों में अधिक संकेत नहीं है। हरियाणा से लोग दस्तावेज़ों के माध्यम से यहां पहुंचते हैं और जांच करवाते हैं। अल्ट्रासाउंड पासपोर्ट के लिए गर्भ में पल रहे भ्रूण के नुकसान की जानकारी भी दी गई है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब बॉयज को लड़की को बैचलर करवा दिया गया।
अल्ट्रासाउंड करने वाले और गर्भपात करने वाले एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। पिछले एक दशक में इस पैमाने पर उल्लेखनीय सुधार करने वाले राज्य के लिए यह एक झटका है।
2014 में हरियाणा में लिंगनुपात मूल 871 था। इस पर निबंध में भारी रेखांकन किया गया और नागरिक समाज के सदस्यों, राज्य सरकार और केंद्र ने लक्ष्यों के लिए स्थिति को मजबूत करने का प्रयास किया।
हरियाणा में पुर्तगाल लिंगानुपात को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान शुरू किया था। अभियान के बाद राज्य का लिंगनुपातसुद्रा कर 2019 में 923 पर पहुंच गया। लेकिन 2020 में फिर से गिरावट शुरू हो गई, जो अब तक जारी है।
हालाँकि, टैब से लिंगनुपात में एक बार फिर से गिरावट आई है, यह झटका ऐसे समय में आया है जब राज्य की महिलाएँ अंतर्राष्ट्रीय मंचों सहित खेलों में और साथ ही शिक्षा प्राप्तकर्ता भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं।
2014 और 2019 के बीच हुई बढ़त प्री-कॉन्सेप्शन और प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स एक्ट, 1994 (पीएनडीटी एक्ट) के साथ-साथ गहन जागरूकता अभियान के कारण हुई। इसका उद्देश्य हरियाणा में बड़े पैमाने पर जन्मपूर्व लिंग चयन और कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगाना था, साथ ही साथ सामाजिक दृष्टिकोण को बदलना था, जिसमें परिवार के लोगों को पसंद करना था और लड़की को लोड के रूप में देखना था।
हरियाणा में बच्ची के जन्म पर 21,000 रुपये की एकमुश्त राशि प्रदान करें और सुकन्या समृद्धि योजना के माध्यम से लड़कियों के लिए बैंक से प्राप्त राशि के रूप में छात्रवृत्ति क्यों देखी जाती है। दार्शनिक का कहना है कि दृष्टि परिवर्तन के लिए और अधिक काम करना बंद कर दिया गया है और हाल के वर्षों में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के उद्देश्य से बनाए गए कानून का अनुमोदन किया गया है।
राज्य में लड़कियों की चाहत कम हो गई है, क्योंकि उनके रिश्तेदारों को डर है कि, वे भागकर शादी करने के कारण भविष्य में बदनामी का कारण बन सकते हैं। उनके अनुसार, लड़कियाँ पैसा और प्रॉपर्टी कमाकर अपने परिवार की मदद नहीं कर सकती हैं। इसके विपरीत, परिवार को उनकी शादी में तलाक दिया जाएगा। ऐसी सोच के कारण हरियाणा में लड़कों की शादी के लिए लड़कियां नहीं मिल रही हैं।
हरियाणा में आमतौर पर ऐसी ही एक समस्या है। कई परिवारों में अगर लड़कियों का पालन-पोषण ठीक नहीं हुआ तो वे बचपन का शिकार हो जाते हैं और कुछ समय बाद उनकी मृत्यु भी हो जाती है। हरियाणा की आर्थिक स्थिति यहां की बड़ी आबादी की झलक अब भी नहीं बदली है। जब तक लड़कों और लड़कियों में भेदभाव की यह स्थिति नहीं बदलेगी, हालात बेहतर नहीं होंगे।
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