मायावती की हुंकार ‘‘बीएसपी का सपना, सरकार हो अपनी‘‘
मायावती की हुंकार ‘‘बीएसपी का सपना, सरकार हो अपनी‘‘बीजेपी की सरकार द्वारा शहरों, स्टेशनों, सड़कों आदि का नाम बदला जाना भी इनकी संकीर्ण, जातिवादी, साम्प्रदायिक व फासीवादी सोच का परिणाम हैलखनऊ (जेएनएन)। विधानपरिषद सदस्य जयवीर सिंह व पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज जैसे दिग्गजों की बगावती तेवरों से हुए नुकसान की भरपाई करने व संगठन के तार कसने को बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती प्रमुख पदाधिकारियों के साथ मासिक समीक्षा बैठक की। इस दौरान मायावती ने कहा कि बीएसपी के सभी प्रमुख पदाधिकारियों व जिम्मेवार कार्यकर्ताओं की आज हुई बैठक में पूरे तन, मन, धन से काम करने के साथ ही ‘‘बीएसपी का सपना, सरकार हो अपनी‘‘ की अलख को जगाये रखने का संकल्प दोहराया गया ताकि बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के सपने को पूरा किया जा सके। इस दौरान दलित व पिछड़ा-विरोधी जातिवादी व साम्प्रदायिक सत्ताधारी बीजेपी से लड़ने के बजाय बीएसपी को ही कमजोर करने में लगे रहने वाले स्वार्थी व गुलाम मानसिकता वाले भीतरघाती तत्वों से सावधान रहने की भी अपील।इस दौरान मायावती ने कहा कि बीजेपी एण्ड कम्पनी की घोर जातिवादी, संकीर्ण व साम्प्रदायिक नीतियों, कार्यकलापों एवं इनके गुप्त एजेण्डे के कारण खासकर गरीबों, दलितों व पिछड़ों की उपेक्षा एवं इनका तिरस्कार काफी ज्यादा बढ़ा है तथा इन वर्गों का हित व कल्याण एवं सशक्तिकरण हर स्तर पर बुरी तरह से लगातार प्रभावित हो रहा है, जो देशहित के लिये अति-चिन्ता की बात है। मायावती ने कहा कि साथ ही, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोगों को भी हर प्रकार से भयभीत व आतंकित करके उन्हें दूसरे दर्जे का नागरिक जैसा जीवन व्यतीत करने का माहौल बनाया जा रहा है, जिसके विरूद्ध भी संर्घष ज़रूरी। परन्तु अम्बेडकरवादी लोगों के संकल्पों को इन्हें कभी भी झुकाया या खत्म नहीं किया जा सकता है, यह पूरा देश जानता है।बीजेपी की सरकार द्वारा शहरों, स्टेशनों, सड़कों आदि का नाम बदला जाना भी इनकी संकीर्ण, जातिवादी, साम्प्रदायिक व फासीवादी सोच का परिणाम है जबकि बीएसपी की सरकारों में नये ज़िले, नये तहसील, नये संस्थान, पार्क व स्थल आदि बनाकर उनका नया सुन्दर नामकरण किया। बैठक में प्रमुख पदधिकारियों के साथ जोन इंचार्ज, जिला अध्यक्ष और प्रभारी, मंडलीय कोआर्डिनेटर, विधानसभा अध्यक्ष, बीवीएफ के पदाधिकारियों को भी बुलाया गया था। सूत्रों का कहना है कि स्वामी प्रसाद मौर्य और नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बाद इंद्रजीत सरोज की बगावत को लेकर पार्टी बेहद गंभीर है क्योंकि स्वामी प्रसाद के बगावती तेवरों से बसपा को पिछड़े वर्ग की वोटों का नुकसान उठाना पड़ा था।इसी तरह से पार्टी का मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी की बगावत से मुस्लिम-दलित समीकरण प्रभावित होने की आशंका बढ़ी थी। मुसलमानों और पिछड़ों में हुए नुकसान की भरपाई अब तक न हो सकी थी कि इंद्रजीत सरोज का झटका लगा। पूर्व मंत्री आरके चौधरी के बाद पासी समाज में इंद्रजीत सरोज को असरदार नेता माना जाता है। इंद्रजीत 13 अगस्त से बसपा विरोधी मोर्चा बनाने का एलान कर चुके है। By Ashish Mishra Let's block ads! (Why?)