ट्रम्प ने येरूशलम को इजरायल की राजधानी घोषित किया, एम्बेसी को तेल अवीव से शिफ्ट करेगा US
ट्रम्प के फैसले का विरोध
सऊदी के सुल्तान और मिस्र के राष्ट्रपति ने दी चेतावनी
> 1948 में यूएस प्रेसिडेंट हैरी ट्रूमैन पहले वर्ल्ड लीडर थे, जिन्होंने इजरायल को मान्यता दी थी।
> अमेरिका हमेशा से दुनिया में शांति का पक्षधर रहा है और आगे भी रहेगा ___ ट्रम्प
वॉशिंगटन. अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प ने विरोधों को नजरअंदाज करते हुए बुधवार देर रात येरूशलम को इजरायल की राजधानी घोषित कर दिया। ट्रम्प ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस फैसले का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका अपनी एम्बेसी तेल अवीव से इस पवित्र शहर में ले जाएगा। अमेरिका हमेशा से दुनिया में शांति का पक्षधर रहा है और आगे भी रहेगा। सीमा विवाद में हमारी कोई भूमिका नहीं होगी। बता दें कि अमेरिका हमेशा से येरूशलम को पवित्र जगह मानता रहा है। 1948 में यूएस प्रेसिडेंट हैरी ट्रूमैन पहले वर्ल्ड लीडर थे, जिन्होंने इजरायल को मान्यता दी थी।
ट्रम्प के फैसले का विरोध
- ट्रम्प के इस फैसले से पहले ही अरब देशों में इसके विरोध में प्रदर्शन शुरू हो गए। तुर्की, सीरिया, मिस्र, सऊदी अरब, जाॅर्डन, ईरान समेत 10 गल्फ देशों ने इस पर अमेरिका को वॉर्निंग दी है।
- चीन, रूस, जर्मनी आदि देशों ने कहा कि इससे तनाव बढ़ेगा। इस बीच अमेरिका ने अपने सिटिजंस को इजरायल की जाने से बचने की सलाह दी है।
इसलिए हो रहा बवाल
- इजरायल पूरे येरूशलम को राजधानी बताता है, जबकि फििलस्तीनी पूर्वी येरूशलम को अपनी राजधानी बताते हैं।
- इस इलाके को इजरायल ने 1967 में कब्जे में ले लिया था। यहां यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों धर्मों के पवित्र स्थल हैं। यहां स्थित टेंपल माउंट जहां यहूदियों का सबसे पवित्र स्थल है, वहीं अल-अक्सा मस्जिद को मुसलमान पाक मानते हैं।
येरूशलम में किसी भी देश की एम्बेसी नहीं
- यूएन और दुनिया के ज्यादातर देश पूरे येरूशलम पर इजरायल के दावे को मान्यता नहीं देते।
- 1948 में इजरायल ने आजादी की घोषणा की थी। यहां किसी भी देश की एम्बेसी नहीं है। 86 देशों की एम्बेसी तेल अवीव में हैं।
भारत ने क्या कहा?
विदेश मंत्रालय के स्पोक्सपर्सन रवीश कुमार ने कहा, "फिलीस्तीन को लेकर भारत की स्वतंत्र स्थिति है। इसका फैसला हमारे हितों और विचारों से ही तय होगा। कोई तीसरा देश ये तय नहीं कर सकता।"
सऊदी के सुल्तान और मिस्र के राष्ट्रपति ने दी चेतावनी
- सऊदी अरब के सुल्तान सलमान ने कहा है कि अमेरिका के इस कदम से दुनियाभर के मुसलमान भड़क सकते हैं।
- वहीं, अमेरिका के करीबी दोस्त मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने इसे खतरनाक कदम बताया। फ्रांस, यूरोपियन यूनियन (ईयू) ने भी ट्रम्प के इस कदम पर चिंता जताई है।
ये देश अमेरिकी फैसले के विरोध में
- ट्रम्प के इस फैसले का अरब लीग में शामिल 57 देशों ने विरोध किया है। वे 12 दिसंबर को बैठक करेंगे।
- तुर्की, सीरिया, मिस्र, सऊदी अरब, जाॅर्डन, ईरान समेत 10 से अधिक गल्फ देशों ने अमेरिका को वॉर्निंग दी है। फिलिस्तीन ने दुनिया के देशों से मदद की अपील की है।
(साभार: भाष्कर)
सम्पादक - स्वतंत्र भारत न्यूज़
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