कर्टन रेजर: रक्षा मंत्रालय
नौसेना कमांडरों का 2024 का दूसरा सम्मेलन
नई दिल्ली (PIB): नौसेना कमांडरों का 2024 का दूसरा सम्मेलन 17 से 20 सितंबर, 2024 तक नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। यह सम्मेलन शीर्ष स्तर का द्विवार्षिक आयोजन है। इसमें नौसेना कमांडरों के बीच महत्वपूर्ण रणनीतिक, परिचालन और प्रशासनिक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। भू-राजनीतिक और भू-रणनीतिक आवाजाही, क्षेत्रीय चुनौतियों और पश्चिम एशिया में समुद्री सुरक्षा संबंधी स्थिति की जटिलता की पृष्ठभूमि में आयोजित यह सम्मेलन भारतीय नौसेना के भविष्य के कार्यक्रम को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सम्मेलन के दौरान, माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय अपेक्षाओं से संबंधित मामलों पर नौसेना कमांडरों को संबोधित करेंगे। भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के प्रमुखों के साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ संघर्ष के सभी पहलुओं में तीनों सेनाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देने और थिएटराइजेशन की दिशा में एकरूपता के लिए नौसेना कमांडरों के साथ बातचीत करेंगे।
नौसेना प्रमुख के उद्घाटन भाषण से सम्मेलन की शुरुआत होगी। इसके बाद वे पिछले छह महीनों में भारतीय नौसेना द्वारा की गई प्रमुख परिचालन, सामग्री, रसद, मानव संसाधन विकास, प्रशिक्षण और प्रशासनिक गतिविधियों की समीक्षा करेंगे और समुद्री हितों की रक्षा के लिए पार किए जाने वाले प्रमुख मील के पत्थरों पर विचार-विमर्श करेंगे।
भारतीय नौसेना ने व्यापार की सुरक्षा को प्रभावित करने वाले ड्रोन और मिसाइलों के उभरते खतरों के खिलाफ मजबूती और दृढ़ संकल्प के साथ जवाब दिया है, जो हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में सुरक्षा संबंधी पसंदीदा प्रत्युत्तरकर्ता के रूप में अपनी क्षमता का प्रदर्शन करता है। कमांडर 2047 तक पूर्ण ‘आत्मनिर्भरता’ के दृष्टिकोण के अनुरूप ‘मेक इन इंडिया’ के माध्यम से स्वदेशीकरण को बढ़ाने के लिए मौजूदा नौसेना परियोजनाओं की भी समीक्षा करेंगे। क्षेत्र में भारत के समुद्री हितों की रक्षा के लिए नौसेना की प्रतिबद्धता को लेकर, सम्मेलन में परिचालन संबंधी तैयारियों की व्यापक समीक्षा की जाएगी। इसके साथ ही, नौसेना की क्षमता वृद्धि योजना पर चर्चा, स्वदेशीकरण के राष्ट्रीय दृष्टिकोण को बढ़ावा देना, आत्मनिर्भरता और नौसेना बलों की लड़ाकू प्रभावशीलता को साकार करना आदि अन्य विषय होंगे।
कमांडरों का सम्मेलन एक निर्णायक मंच के रूप में भारत के समुद्री हितों की रक्षा करने के लिए नौसेना की प्रतिबद्धता और नौसेना को ‘युद्ध के लिए तैयार, विश्वसनीय, एकजुट और भविष्य के लिए तैयार बल’ के रूप में बनाए रखता है।
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