वामपंथी उग्रवाद: गृह मंत्रालय
नई दिल्ली (PIB): भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था के विषय राज्य सरकारों का दायित्व हैं। लेकिन, भारत सरकार वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से प्रभावित राज्यों के प्रयासों में सहायता प्रदान कर रही है। वामपंथी उग्रवाद के खतरे का समग्र रूप से समाधान करने के लिए, वर्ष 2015 में एक राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना को स्वीकृति दी गई थी। इसमें सुरक्षा संबंधी उपायों, विकास संबंधी उपायों, स्थानीय समुदायों के अधिकारों और हकदारियों को सुनिश्चित करने आदि से संबंधित एक बहु-आयामी रणनीति की परिकल्पना की गई है। भारत सरकार सुरक्षा के मोर्चे पर, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल बटालियन, प्रशिक्षण, राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए धन, उपकरण और हथियार, खुफिया जानकारी साझा करना, फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशनों का निर्माण आदि प्रदान करके वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्य सरकार को सहायता प्रदान करती है। भारत सरकार (जीओआई) ने विकास के मोर्चे पर, प्रमुख योजनाओं के अलावा वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में कई विशिष्ट पहल की हैं, जिसमें सड़क नेटवर्क के विस्तार, दूरसंचार संपर्क में सुधार, कौशल और वित्तीय समावेशन पर विशेष बल दिया गया है।
वर्ष 2014-15 से पिछले 10 वर्षों के दौरान विशेष अवसंरचना योजना (एसआईएस), सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) और विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) योजनाओं के अंतर्गत वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों की क्षमता निर्माण के लिए 6908 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इसके अलावा, वामपंथी उग्रवाद प्रबंधन (एसीएएलडब्ल्यूईएम) योजना के लिए केंद्रीय एजेंसियों की सहायता के अंतर्गत, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा शिविरों में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे का समाधान करने और हेलीकॉप्टरों के लिए केंद्रीय एजेंसियों को 1000 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
विकास के मोर्चे पर, भारत सरकार की प्रमुख योजनाओं के अलावा, सड़क नेटवर्क के विस्तार, दूरसंचार संपर्क में सुधार, कौशल विकास और वित्तीय समावेशन पर विशेष बल देने के साथ वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में कई विशिष्ट पहल की गई हैं। (मई-2014) से पिछले 10 वर्षों में किए गए कुछ उपाय इस प्रकार हैं:
● सड़क नेटवर्क के विस्तार के लिए 14395 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया है, इनमें से 11474 का निर्माण पिछले 10 वर्षों में किया गया है।
● दूरसंचार संपर्क में सुधार के लिए वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में 5139 टॉवर स्थापित किए गए हैं।
● वित्तीय समावेशन के लिए अप्रैल-2015 से 30 सबसे अधिक वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में 1007 बैंक शाखाएं एवं 937 एटीएम और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में 5731 नए डाकघर खोले गए हैं।
● कौशल विकास के लिए वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में 46 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) और 49 कौशल विकास केंद्र (एसडीसी) क्रियाशील बनाए गए हैं।
● वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों के जनजातीय प्रखंडों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए 130 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) को क्रियाशील बनाया गया है।
नीति के दृढ़ कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप हिंसा में लगातार कमी आई है और भौगोलिक प्रसार में गिरावट आई है। वामपंथी उग्रवाद की हिंसा की घटनाएं वर्ष 2010 में वामपंथी उग्रवादी हिंसा की घटनाओं के उच्च स्तर से 73 प्रतिशत कम हो गई हैं। हिंसा के परिणामस्वरूप होने वाली मौतें (नागरिक+ सुरक्षा बल) वर्ष 2010 में 1005 के उच्चतम स्तर से 86 प्रतिशत कम होकर वर्ष 2023 में 138 हो गई हैं। वर्ष 2024 (30.06.2024 तक), 2023 की इसी अवधि के आंकड़ों की तुलना में वामपंथी उग्रवाद के अंतर्गत की गई घटनाओं में 32 प्रतिशत की तेज़ कमी आई है और इसके परिणामस्वरूप नागरिकों और सुरक्षा बल कर्मियों की मृत्यु में 17 प्रतिशत की कमी आई है।
वामपंथी हिंसा का भौगोलिक प्रसार भी काफी हद तक सीमित हो गया है और वर्ष 2013 में 10 राज्यों में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर 2024 में (अप्रैल-2024 से प्रभावी) 09 राज्यों में केवल 38 जिले रह गई है। (38 वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की सूची अनुलग्नक में है)।
वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा की रिपोर्ट करने वाले पुलिस स्टेशनों की संख्या वर्ष 2010 में 96 जिलों के 465 पुलिस स्टेशनों से घटकर वर्ष 2023 में 42 जिलों के 171 पुलिस स्टेशनों पर आ गई है। वर्ष 2024 में (जून 2024 तक), 30 जिलों में 89 पुलिस स्टेशनों से वामपंथी हिंसा की सूचना मिली है।
यह जानकारी गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
*****