उत्तर प्रदेश: 'डिजिटाइजेशन / ऑनलाइन उपस्थिति आदेश' के विरोध में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा
मुख्य समस्याओं के समाधान उपरांत ही लागू हो डिजिटाइजेशन/ऑनलाइन उपस्थिति की व्यवस्था !
संगठन की प्रमुख मांगें-
1-अन्य विभागों की भांति 'हाफ डे लीव अवकाश' का दिया जाए।
2-राज्य कर्मचारियों की भांति 30 ई.एल. या महाविद्यालयों के शिक्षकों की भांति पी.एल. दिया जाए।`
3-अन्य विभागों की भांति 'प्रतिकर अवकाश' प्रदान किया जाये।
4-मौसम की प्रतिकूलता व विभागीय कार्यक्रमों में प्रतिभाग हेतु बी.एस.ए. को ऑनलाइन उपस्थिति में शिथिलता का अधिकार दिया जाये।
5-सर्वर क्रैश होने पर वैकल्पिक व्यवस्था का स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किया जाए।
6-भेदभाव पूर्ण व शोषणकारी ऑनलाइन उपस्थिति की व्यवस्था को समाप्त कर अन्य विभागों की भांति ही उपस्थिति ली जाए।
जिला महामंत्री इलयास मंसूरी ने कहा कि, महानिदेशक स्कूल शिक्षा द्वारा 8 जुलाई से पंजिकाओं का डिजिटाइजेशन / ऑनलाइन उपस्थिति देने का आदेश निर्गत किया गया है जो कि. 'तुगलकी फरमान' है! विभागीय अधिकारी वातानुकूलित कक्ष में बैठकर बिना जमीनी हकीकत जाने ही इस प्रकार के अव्यवहारिक आदेश करते रहते हैं, जिनमें आने वाली व्यवहारिक कठिनाइयों को दूर किए बिना उसको लागू करा पाना संभव ही नहीं है!
प्रदेशीय मीडिया प्रभारी बृजेश श्रीवास्तव ने कहा कि, प्रदेशीय नेतृत्व द्वारा कई बार महानिदेशक स्कूल शिक्षा को ज्ञापन सौंपकर डिजिटाइजेशन से जुड़ी मौलिक समस्याओं को दूर करने की मांग की गई तथा 14 मार्च 2024 को महानिदेशक स्कूल शिक्षा कार्यालय में धरना भी किया गया था। तब महानिदेशक द्वारा संगठन के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया गया था कि, डिजिटाइजेशन से जुड़ी मौलिक समस्याओं के निस्तारण के पश्चात ही इसे लागू किया जाएगा। किंतु मांगे पूरी नहीं की गई।
जिला संगठन मंत्री तनवीर अहमद ने कहा कि, विभागीय अधिकारी दमन पूर्वक डिजिटाइजेशन/ऑनलाइन उपस्थिति व्यवस्था लागू करना चाहते हैं जिसका संगठन पुरजोर विरोध करता है।
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