
चित्रकूट रेल दुर्घटना पर एक साक्षात्कार - रघु ठाकुर से- रेल की सुरक्षा पर लिया जाने वाला पैसा कहाँ जाता है ?- बड़ा सवाल उठाया रघु ठाकुर ने .....
बड़ा सवाल उठाया रघु ठाकुर ने___
*** रेल की सुरक्षा पर लिया जाने वाला पैसा कहाँ जाता है ?-
**** पिछले 70 सालों में कितनी जांच कमेटियां बनीं और उन जांच कमीशन क़ि रिपोर्ट पर कब-कब कार्यवाही हुई ?-
और मांग की क़ि, ____
> रेलवे एक्ट के मुताबिक प्रति दस वर्ष में रेलवे का ट्रैक बदले जाएँ.
> जितने प्रतिशत रेल का विकास हो, उसी प्रतिशत में कर्मचारियों के प्रतिशत में भी वृद्धि की जाये.
चित्रकूट रेल दुर्घटना पर एक साक्षात्कार में लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक रघु ठाकुर ने बड़ा सवाल उठाया क़ि, “रेल की सुरक्षा पर लिया जाने वाला पैसा कहाँ जाता है ?
और पिछले ७० सालों में कितनी जांच कमेटियां बनीं और उन जांच कमीशन क़ि रिपोर्ट पर कब-कब कार्यवाही हुई ?-
और साथ ही एक बड़ा आरोप लगाया क़ि जांच रिपोर्टों पर कार्यवाही या उसको अमल में लाने के स्थान पर उन रिपोर्टों को रेल भवन के निचे बने तलघर में फेंक दिया जाता है.
साक्षात्कार में रघु ठाकुर ने कहा क़ि, "जो चित्रकूट के पास रेल दुर्घटना हुई है,उस पर श्री ठाकुर ने कहा कि उस दुर्घटना के बारे में यह कहा गया है कि वहां पर डी-रेलमेंट हुआ है। परन्तु डी-रेलमेंट होने की वजह क्या है। कई प्रकार की सूचनायें इधर-उधर से निकली है परन्तु कोई प्रमाणिक सूचना नहीं आ रही है। रेल मंत्री ने कहा है कि इसकी जांच करायी जायेगी, चेयरमैन ने कहा है कि इसकी जांच करायेंगे, जांचे तो पहले भी होती रही है परन्तु इन जांचों से कोई परिणाम निकलने वाला नहीं है। क्योंकि पिछले दिनों भी जो रेल दुर्घटना की जांच हुई थी, उन जांच कमेटियों की रिपोर्ट को आज तक कहीं अमल में नहीं लाया गया। अभी भी स्थिति कोई अच्छी नहीं है। यह देखा जाना चाहिए कि यह डी-रेलमेंट क्यों हुआ है? जो सूचना हमें प्राप्त हुई है, डी-रेलमेंन्ट के दो बड़े कारण है। एक कारण तो यह है कि जो रेलवे का ट्रैक है, इस रेलवे के ट्रैक में क्रैक था और इसके मरम्मत के लिए कोई भी उपाय वांछनीय ढंग से रेल मंत्रालय ने नहीं किये थे। जो पूराना ट्रैक है, टूटा-फूटा, उसे बदला नहीं गया है। दूसरी कुछ सूचनायें ऐसी प्राप्त हुई कि जो मानवरहित रेलवे क्रासिंग है, उनमें भी कोई व्यवस्था नहीं है और अक्सर उससे भी गाड़ियां टकरा जाती है और डी-रेलमेंट होता है। कुल मिला करके जो रेलवे में कर्मचारियों की कमी है और जो अभाव है, उसके कारण से दुर्घटनायें बढ़ रही है और उसके लिए मानव श्रम का अभाव है। लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी हमेशा से मांग करती रही है कि विकास का मतलब रोजगार का विकास होता है। विकास का मतलब-गाड़ियों का विकास हो जाये, यात्रियों का विकास हो जाये, लेकिन कर्मचारियों की संख्या कम हो जायें, कोई विकास नहीं हुआ। लेकिन यह तो नुकसानदायक ही हुआ और इसलिए विकास के मकसद के लिए जितने प्रतिशत रेल का विकास हो, उसी प्रतिशत में कर्मचारियों के प्रतिशत में भी वृद्धि की जाये। जो रेलवे का ट्रैक है, उसे बदलने की आवश्यकता है। रेलवे एक्ट के मुताबिक प्रति दस वर्ष में रेलवे का ट्रैक बदलना चाहिए और इसको बदलने की आवश्यकता है और साथ ही रेल कर्मचारियों की भर्ती करके कर्मचारियों को दूर करना आवश्यक है। लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी और पार्टी के साथी इन सवालों को उठा रहे है। हमारी पार्टी के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष श्री सचिदानन्द श्रीवास्तव रेल के सवालों को विशेष तौर पर उठाते रहे है"।
swatantrabharatnews.com