जीवन की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि है संन्यास: शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती
काशी (वाराणसी): परमाराध्य’ परमधर्माधीश ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य ‘स्वामिश्रीः’ अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ‘१००८’ ने बताया कि, मनुष्य का शरीर प्राप्त होने पर भी, भगवदर्पण बुद्धि विकसित होने के बाद भी यदि हम योगीजनों के मार्ग (सन्यास-मार्ग) का अवलम्ब ना लें तो शायद ये इस दुर्लभ मानव शरीर के साथ ये सबसे बडा अन्याय होगा। इसलिए समय से तत्वोपलब्धि हो जाए इसके लिए जीवन की सबसे बडी उपलब्धि *सन्यास* की उपलब्धि है।
उक्त उद्गार 'परमाराध्य' परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती 1008 ने अपने 21वें संन्यास दिवस के उपलक्ष्य में गंगा पार आयोजित *संन्यास समज्या समारोह* के अवसर पर काशी के समस्त दण्डी संन्यासियों के समक्ष व्यक्त किए।
*विरक्त दीक्षा लेकर चार ब्रह्मचारी हुए शङ्कराचार्य परम्परा को समर्पित*
*भजन सन्ध्या का हुआ आयोजन*