मुंबई में RBI@90 के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री का मूल पाठ: प्रधानमंत्री कार्यालय
नई दिल्ली(PIB): प्रधानमंत्री कार्यालय ने "मुंबई में RBI@90 के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री का मूल पाठ" जारी किया।
मुंबई में RBI@90 के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री का मूल पाठ:
महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस जी, मुख्यमंत्री श्रीमान एकनाथ शिंदे जी, मंत्रिमंडल के मेरी सहयोगी निर्मला सीतारमण जी, भागवत कराड़ जी, पंकज चौधरी जी, महाराष्ट्र सरकार के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र जी, अजीत जी, रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास जी, रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के अधिकारी, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों,
आज भारत का रिजर्व बैंक एक ऐतिहासिक पड़ाव पर पहुंचा है। RBI ने अपने 90 years पूरे किए हैं। एक संस्थान के रूप में RBI, आजादी के पहले और आजादी के बाद, दोनों ही कालखंड का गवाह रहा है। आज पूरी दुनिया में RBI की पहचान उसके Professionalism और Commitment की वजह से बनी है। मैं आप सभी को, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को RBI की स्थापना के 90 years की बधाई देता हूं।
और, इस समय जो लोग RBI से जुड़े हैं उन्हें मैं बहुत सौभाग्यशाली मानता हूँ। आज आप जो नीतियां बनाएंगे, जो काम करेंगे, उनसे RBI के अगले दशक की दिशा तय होगी। ये दशक इस संस्थान को उसके शताब्दी वर्ष तक ले जाने वाला दशक है। और ये दशक विकसित भारत की संकल्प यात्रा के लिए भी उतना ही अहम है। और इसके लिए जैसा आप लोगों का मंत्र है- RBI को तेज Growth को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए trust और stability पर भी उतना ही फोकस करना है। मैं RBI को उसके लक्ष्यों और संकल्पों के लिए भी शुभकामनाएं देता हूँ।
साथियों,
आप सभी अपनी फील्ड के एक्सपर्ट्स हैं। आप जानते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था, हमारी GDP काफी हद तक Monetary और Fiscal पॉलिसीज के coordination पर निर्भर करती है। मुझे याद है, मैं जब 2014 में रिजर्व बैंक के ‘80वें’ वर्ष के कार्यक्रम में आया था, तब हालात एकदम अलग थे। भारत का पूरा बैंकिंग सेक्टर समस्याओं और चुनौतियों से जूझ रहा था। NPA को लेकर भारत के बैंकिंग सिस्टम की stability और उसके भविष्य को लेकर हर कोई आशंका से भरा हुआ था। हालत इतने खराब थे कि पब्लिक सेक्टर बैंक्स देश की आर्थिक प्रगति को जरूरी गति नहीं दे पा रहे थे। हम सभी ने वहां से शुरुआत की। और आज देखिए, आज भारत के बैंकिंग सिस्टम को दुनिया में एक strong और sustainable system माना जा रहा है। जो बैंकिंग सिस्टम कभी डूबने की कगार पर था, वो बैंकिंग सिस्टम अब प्रॉफिट में आ गया है और credit में रिकॉर्ड वृद्धि दिखा रहा है।
Friends,
आप भी जानते हैं कि सिर्फ 10 साल में इतना बड़ा परिवर्तन आना आसान नहीं था। ये बदलाव इसलिए आया, क्योंकि हमारी नीति, नियत और निर्णयों में स्पष्टता थी। ये बदलाव इसलिए आया क्योंकि हमारे प्रयासों में दृढ़ता थी, ईमानदारी थी। आज देश देख रहा है, जब नियत सही होती है तो नीति सही होती है। जब नीति सही होती है, तो निर्णय सही होते हैं। और जब निर्णय सही होते हैं, तो नतीजे सही मिलते हैं। In-Short मैं यही कहना चाहता हूं- नियत सही, तो नतीजे सही।
कैसे देश का बैंकिंग सिस्टम ट्रांसफॉर्म हुआ, ये अपने आप में एक स्टडी का विषय है। हमने कोई भी सिरा ऐसा नहीं था, जिसे ऐसे ही छोड़ दिया हो। हमारी सरकार ने ‘रिकग्निशन’, ‘रिज़ॉल्यूशन’ और ‘रि-कैपिटलाइजेशन’ की रणनीति पर काम किया। पब्लिक सेक्टर बैंक्स की हालत सुधारने के लिए सरकार ने करीब साढ़े 3 लाख करोड़ का Capital Infusion किया और साथ ही governance संबंधी कई Reforms भी किए। अकेले Insolvency and Bankruptcy Code की नई व्यवस्था से ही करीब सवा तीन लाख करोड़ के Loans, Resolve हुए।
और एक आंकड़ा देशवासियों को जरूर जानना जरूरी है। 27 हजार से ज्यादा ऐसी ऐप्लिकेशंस, जिसमें 9 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का Underlying Default था, वो IBC में Admission से पहले ही Resolve हो गईं। ये दिखाता है कि इस नई व्यवस्था का सामर्थ्य कितना ज्यादा है। बैंकों का जो Gross NPA, 2018 में सवा 11 प्रतिशत के आसपास था। वो सितंबर 2023 आते-आते 3 प्रतिशत से भी कम हो गया।
आज Twin Balance Sheet की समस्या अतीत का हिस्सा हो चुकी है। आज बैंक्स की Credit Growth 15 परसेंट तक हो गई है। और इन सभी उपलब्धियों में RBI की सह भागीदारी और प्रयासों की भी बड़ी भूमिका रही है और वो बधाई के पात्र हैं।
साथियों,
RBI जैसे संस्थान के बारे में चर्चा अक्सर financial definitions और कठिन terminologies तक ही सीमित रह जाती है। आपका कार्य जितना जटिल है, उसमें ये स्वाभाविक भी है। लेकिन, आप जो काम करते हैं, उससे देश के सामान्य मानवी का जीवन सीधे तौर पर प्रभावित होता है। बीते 10 वर्षों में हमने सेंट्रल बैंक, बैंकिंग सिस्टम और अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के बीच इस connect को highlight किया है। गरीबों का financial inclusion आज इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। आज देश में 52 करोड़ जनधन खाते हैं। इनमें भी 55 परसेंट से ज्यादा खाते महिलाओं के नाम पर हैं। इसी financial inclusion का प्रभाव आप agriculture और fisheries जैसे सेक्टर्स में भी देख सकते हैं।
आज 7 करोड़ से ज्यादा farmers, fishermen और पशुपालकों के पास किसान क्रेडिट कार्ड्स हैं। इससे हमारी rural economy को एक बहुत बड़ा push मिला है। Cooperative sector को भी पिछले 10 वर्षों में बड़ा बूस्ट मिला है। सहकारिता में Cooperative Banks की एक बहुत बड़ी भूमिका होती है और ये रिजर्व बैंक के रेगुलेशन और सुपरविजन का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र भी है। यूपीआई आज एक Globally Recognised Platform बन चुका है। इस पर हर महीने 1200 करोड़ से ज्यादा ट्रांजैक्शन हो रहे हैं।
अभी आप लोग Central Bank Digital Currency पर भी काम कर रहे हैं। यानी पिछले 10 वर्षों में हुए Transformation की एक तस्वीर ये भी है। एक दशक के भीतर ही हम पूरी तरह से एक नई बैंकिंग व्यवस्था, एक नई अर्थव्यवस्था और नए currency experience में प्रवेश कर चुके हैं। और जैसा मैंने पहले कहा है, पिछले 10 साल में जो हुआ, वो तो सिर्फ ट्रेलर है। अभी तो बहुत कुछ करना है, अभी तो हमें देश को बहुत आगे लेकर जाना है।
साथियों,
बहुत जरूरी है कि हमारे पास अगले 10 साल के लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट हों। हमें मिलकर अगले 10 साल में डिजिटल ट्रांजेक्शन की संभावनाओं को विस्तार देना होगा। हमें cashless economy से आ रहे इन बदलावों पर नजर भी रखनी होगी। हमें Financial Inclusion और Empowering Efforts को भी और बेहतर करना होगा।
साथियों,
इतनी बड़ी जनसंख्या की Banking Needs भी अलग-अलग हो सकती हैं। कई लोग Physical Branch Model को पसंद करते हैं, कई लोगों को Digital Delivery पसंद होती है। देश को ऐसी नीतियां बनाने की जरूरत है, जिससे Ease of Doing Banking बेहतर हो और सभी को उनकी जरूरत के अनुसार Credit Access मिल सके। DPI के क्षेत्र में भारत को अग्रणी बनाने के लिए हमें Artificial Intelligence, Machine Learning की निरंतर मदद लेनी चाहिए। भारत की प्रगति तेज गति से हो, Inclusive हो, Sustainable हो, इसके लिए रिजर्व बैंक को लगातार कदम उठाते रहने होंगे। एक regulator के तौर पर RBI ने बैंकिंग सेक्टर में rule based discipline और financially prudential practices को सुनिश्चित कराया है।
लेकिन इसके साथ ही, ये भी आवश्यक है कि RBI, विभिन्न सेक्टर्स की भविष्य की जरूरतों का आकलन करते हुए, अभी से तैयारी करें, बैंकों को प्रोत्साहित करे, Proactive कदम उठाए। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि सरकार आपके साथ है। आपको याद होगा, 10 साल पहले डबल डिजिट की महंगाई से निपटने का reflection, तब की Financial policies में नहीं दिखता था। इससे निपटने के लिए हमारी सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को Inflation Targeting का अधिकार दिया। Monetary Policy Committee ने इस Mandate पर बहुत अच्छे ढंग से काम भी किया। साथ ही साथ, सरकार ने Active Price Monitoring और Fiscal Consolidation जैसे कदम उठाए। इसलिए कोरोना संकट हो, अलग-अलग देशों में युद्ध की स्थिति हो, तनाव हो, भारत में Inflation, Moderate Level पर ही रही।
साथियों,
जिस देश की priorities स्पष्ट हों, उसे Progress करने से कोई नहीं रोक सकता। हमने कोरोना के दौरान Financial prudence की चिंता भी की और सामान्य नागरिक के जीवन को भी सर्वोच्च प्राथमिकता दी। यही वजह है कि भारत का गरीब, भारत का मिडिल क्लास उस आपदा से उबरकर अब अर्थव्यवस्था को गति दे रहा है। दुनिया के बड़े-बड़े देश जहां अभी तक उस झटके से उबरने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं इंडियन Economy नए रिकॉर्ड बना रही है। भारत की इस सफलता को RBI वैश्विक स्तर पर ले जा सकता है।
Inflation control और growth में एक बैलेंस बनाना, किसी भी developing country की बहुत unique जरूरत होती है। इससे निपटने के कौन से Monetary Tools हो सकते हैं, इसके बारे में सोचना बहुत आवश्यक है। RBI इसके लिए एक मॉडल बनकर Global Leadership की भूमिका निभा सकता है। और ये बात मैं दस साल के अनुभव के बाद कहता हूं। और ये बात दुनिया को निकट से जानने-समझने के बाद कह रहा हूं। और इससे पूरे ग्लोबल साउथ को बहुत बड़ी मदद मिल सकती है।
Friends,
अगले 10 साल के टारगेट को तय करते हुए हमें एक बात और ध्यान रखनी है। वो है- भारत के युवाओं की Aspirations. भारत आज दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है। इस युवा Aspiration को पूरा करने में RBI का अहम रोल है। बीते 10 साल में सरकार की पॉलिसीज की वजह से नए-नए सेक्टर्स बने हैं। इन सेक्टर्स में देश के युवाओं को नए अवसर मिल रहे हैं। आप देखिए, आज ग्रीन एनर्जी जैसे उभरते हुए क्षेत्रों का विस्तार हो रहा है।
सरकार Solar Energy और Green Hydrogen जैसे सेक्टर्स को प्रमोट कर रही है। आज देश में Ethanol blending को लगातार बढ़ाया गया है। डिजिटल टेक्नोलॉजी में आज भारत एक prime player बनकर उभरा है। हमने स्वदेशी 5G technology पर काम किया है। डिफेंस सेक्टर में हम बड़े exporter की भूमिका में आ रहे हैं।
MSMEs पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था और Manufacturing Sector की Backbone जैसे हैं। ऐसे सारे सेक्टर्स में अलग-अलग तरीके के कर्ज की जरूरत होती है। कोरोना के समय हमने MSME Sector के लिए जो Credit Guarantee Scheme बनाई, उसने इस सेक्टर को बहुत बड़ी शक्ति दी थी। रिजर्व बैंक को भी आगे Out of the Box Policies के बारे में सोचना होगा। और मैंने देखा है हमारे शक्तिकांत जी Out of the Box सोचने में माहिर हैं। और मुझे खुशी है सबसे ज्यादा तालियां इस बात पर पड़ीं। विशेषकर नए सेक्टर्स में हमारे युवाओं को पर्याप्त Credit Availability मिले, ये सुनिश्चित किया जाना बहुत जरूरी है।
साथियों,
21वीं सदी में Innovation का बहुत महत्व रहने वाला है। सरकार, Innovation पर रिकॉर्ड Invest कर रही है। आपने देखा है, अभी-अभी हमने अंतरिम बजट दिया उसमें इनोवेशन के लिए 1 लाख करोड़ रुपए का रिसर्च फंड भी बनाया है। ‘कटिंग एज टेक्नोलॉजी’ पर जो प्रपोजल आएंगे, जो लोग इस क्षेत्र में काम करना चाहते हैं, हम उनके लिए कैसे prepare हों, ये सोचना बहुत आवश्यक है। और RBI को अभी से सोचना चाहिए कि वो कैसे उनकी मदद करेगा। हमें ऐसे लोग पहचानने होंगे, हमें ऐसी टीम्स बनानी होंगी। जो परंपरागत कारोबार हैं, जो आने वाले विषय हैं, हमें उन्हें लेकर एक्सपर्टीज डेवलप करनी चाहिए।
इसी तरह स्पेस सेक्टर ओपन हो रहा है, इसमें नए-नए स्टार्टअप आ रहे हैं। तो उनको क्रेडिट के लिए किस तरह का सपोर्ट चाहिए, ये हमें देखना होगा। इसी तरह भारत में एक सबसे बड़ा क्षेत्र नया पूरी ताकत के साथ आ रहा है, वो है टूरिज्म सेक्टर। टूरिज्म सेक्टर भी बढ़ रहा है और पूरी दुनिया भारत आना चाहती है, भारत देखना चाहती है, भारत समझना चाहती है। अभी मैंने कहीं पढ़ा था, जो tourism के एक्पर्ट्स होते हैं उन्होंने कहा है, कि आने वाले वर्षों में religious tourism में दुनिया का सबसे बड़ा कैपिटल अयोध्या बनने वाला है। हमें देखना होगा कि इस सेक्टर को फाइनेंशियली सपोर्ट करने के लिए हमारी क्या तैयारी है? जो देश में नए-नए सेक्टर्स बन रहे हैं, हमें उनमें अभी से एक्सपर्टीज डेवलप करनी चाहिए और उनको हम कैसे सपोर्ट करेंगे, इस पर भी पहले से मंथन होना चाहिए।
अभी 100 दिन मैं चुनाव में बिजी हूं, तो आपके पास भरपूर समय है। आप सोचकर रखिए, क्योंकि शपथ लेने के दूसरे दिन ही झमाझम काम आने वाला है।
साथियों,
हम लोगों ने फाइनेंशियल इंक्लूजन पर बहुत काम किया है, डिजिटल पेमेंट पर बहुत काम किया है। इससे हमारे छोटे बिजनेस की, रेहड़ी-पटरी वालों की फाइनेंशियल capacity अब transparently दिखाई देने लगी है अब इस जानकारी का उपयोग करते हुए हमें उन्हें फाइनेंशियली empower करना है।
Friends,
हमें मिलकर अगले 10 वर्षों में एक और बड़ा काम करना है। हमें भारत की आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ाना है। हमें कोशिश करनी है कि हमारी Economy दुनिया के संकटों से कम से कम प्रभावित हो। आज भारत, ग्लोबल जीडीपी ग्रोथ में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ Global Growth का इंजन बन रहा है। इन स्थितियों में ये प्रयास होना चाहिए कि हमारा रुपया पूरी दुनिया में ज्यादा Accessible भी हो, Acceptable भी हो।
एक और Trend जो बीते कुछ वर्षों में पूरी दुनिया में देखने को मिला है, वो है- बहुत ज्यादा आर्थिक विस्तार और बढ़ता हुआ कर्ज। कई देशों का Private Sector Debt तो उनकी GDP के दोगुने तक पहुंच गया है। कई देशों का Debt Level उस देश के साथ-साथ पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है। रिजर्व बैंक को इस पर भी एक स्टडी करनी चाहिए।
भारत की ग्रोथ के जितने प्रोस्पेक्ट्स और पोटेंशियल हैं, उसको ध्यान में रखते हुए क्रेडिट की कितनी उपलब्धता होनी चाहिए और उसको कैसे सस्टेनेबल तरीके से मैनेज किया जाना चाहिए, इसे आधुनिक परिप्रेक्ष्य में तय किया जाना बहुत आवश्यक है।
साथियों,
देश के लिए जरूरी प्रोजेक्ट्स को फंडिंग देने के लिए हमारी बैंकिंग इंडस्ट्री का आगे बढ़ना भी उतना ही जरूरी होगा। और इस आवश्यकता के बीच, आज कई मोर्चों पर चुनौतियां भी हैं। AI और Block Chain जैसी नई तकनीकों ने बैंकिंग के तरीकों को बदला है। पूरा तरीका बदल गया है। बढ़ती Digital Banking की व्यवस्था में Cyber Security की भूमिका बहुत अहम हो गई है। Fintech में होने वाले नए इनोवेशंस बैंकिंग के नए तरीके बनाने जा रहे हैं। ऐसी परिस्थितियों में देश के Banking Sector के स्ट्रक्चर में क्या बदलाव जरूरी हैं, इस पर हमें सोचना होगा। इसमें हमें नए financing, operating and business models की आवश्यकता हो सकती है। ग्लोबल चैंपियन की क्रेडिट जरूरतों से लेकर रेहड़ी पटरी वालों तक की जरूरत को, कटिंग एज सेक्टर्स से लेकर ट्रेडिशनल सेक्टर्स तक की जरूरतों को, हम पूरा कर सकें, ये विकसित भारत के लिए बहुत जरूरी है।
विकसित भारत के बैंकिंग विजन के इस पूरे अध्ययन के लिए रिजर्व बैंक बहुत उपयुक्त संस्था है। आपके ये प्रयास 2047 के विकसित भारत के निर्माण के लिए बहुत अहम होंगे।
एक बार फिर आप सबको मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
धन्यवाद!
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