बड़ी खबर: मैंने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि 500 किसान मर गए तो वो बोले क्या मेरे लिए मरे: सत्यपाल मलिक
मैंने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि 500 किसान मर गए तो वो बोले क्या मेरे लिए मरे: सत्यपाल मलिक
हरियाणा के चरखी दादरी में मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि जब वे कृषि क़ानूनों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले तब ‘वे बहुत घमंड में थे।’
मलिक यह भी कहा कि, आगे अगर सरकार किसानों के ख़िलाफ़ कोई क़दम लेगी तो वे इसका विरोध करेंगे और अपना पद छोड़ने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
"मैं जब किसानों के मामले में प्रधानमंत्री जी से मिलने गया तो मेरी पांच मिनट में लड़ाई हो गई उनसे। वो बहुत घमंड में थे। जब मैंने उनसे कहा कि हमारे 500 लोग मर गए तो उसने कहा कि मेरे लिए मरे हैं?"
~सत्यपाल मलिक, राज्यपाल, मेघालय pic.twitter.com/JpNaivdlXd
— Avadhesh Akodia (@avadheshjpr) January 3, 2022
चंडीगढ़/भिवानी: 'द वायर' द्वारा प्रकाशित खबरों में बताया गया है कि, ''मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने हरियाणा के दादरी में हुई एक समूह से बातचीत के दौरान कहा कि, जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से (अब निरस्त कर दिए गए) नए कृषि कानूनों को लेकर बात करनी चाही, तब वे ‘बहुत घमंड में थे’ और मलिक की उनसे ‘पांच मिनट में ही लड़ाई हो गई।'’
सोशल मीडिया पर साझा किए जा रहे ईटीवी भारत के एक वीडियो में मलिक कहते हैं, ‘जब मैं किसानों के मामले में प्रधानमंत्री जी से मिलने गया तो मेरी पांच मिनट में ही लड़ाई हो गई। वो बहुत घमंड में थे। जब मैंने उन्हें कहा कि, हमारे पांच सौ लोग मर गए… तुम तो कुतिया मरती है तो चिट्ठी भेजते हो तो वो बोले मेरे लिए मरे हैं! मैंने कहा आपके लिए ही तो मरे हैं, राजा बने हुए हो आप उनकी वजह से। खैर! झगड़ा हो गया मेरा।’
मलिक आगे कहते हैं, ‘उन्होंने कहा कि, तुम अमित शाह से मिलो, मैं उनसे मिला, उसने कहा, सत्यपाल, इसकी अक्ल मार रखी है लोगों ने, तुम बेफिक्र रहो, ये किसी न किसी दिन समझ जाएगा।’
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के रद्द होने को किसानों की ऐतिहासिक जीत करार देते हुए मलिक ने कहा कि, केंद्र सरकार को प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने के संबंध में ईमानदारी से काम करना होगा।
उन्होंने साथ ही कहा कि, सरकार को फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी रूप देना होगा। मलिक ने कहा कि, वह खुद भी इन कृषि कानूनों के खिलाफ थे।
हरियाणा के चरखी दादरी में फोगाट खाप द्वारा उन्हें सम्मानित किए जाने के कार्यक्रम से इतर मलिक ने संवाददाताओं से कहा कि, किसान आंदोलन केवल स्थगित हुआ है और अगर अन्याय हुआ तो यह दोबारा शुरू हो जाएगा।
मलिक ने कहा कि, अन्नदाताओं (किसानों) ने अपने अधिकारों की लड़ाई जीती है और भविष्य में भी अगर किसानों के खिलाफ कोई सरकार कदम उठाती है तो वह पूरी ईमानदारी से इसका विरोध करेंगे और अगर पद छोड़ने की बात आई, तब भी वह पीछे नहीं हटेंगे।
मलिक ने कहा, ‘मेरे लिए किसी भी पद से पहले किसानों का हित सर्वोपरि है।’ उन्होंने कहा कि, किसानों के अधिकारों पर आंच नहीं आने दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि, जब सरकार किसानों से संबंधित कानून बनाती है तो पहले किसानों की राय ली जानी चाहिए और अगर कोई कानून बनाना है तो किसानों के फायदे के लिए बनाया जाए।
बीते कई महीनों में मलिक भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को कई बार, खासकर किसान आंदोलन से जुड़े मसलों को लेकर, आड़े हाथों ले चुके हैं।
अक्टूबर 2021 में उन्होंने कहा था कि, यदि किसानों की मांगें स्वीकार नहीं की जाती हैं, तो भाजपा सत्ता में नहीं आएगी।
उस समय यह पूछे जाने पर कि, क्या वह किसानों के साथ खड़े होने के लिए अपना पद छोड़ देंगे, मलिक ने कहा था कि, वह किसानों के साथ खड़े हैं और वर्तमान में उन्हें पद छोड़ने की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन जरूरत पड़ने पर वह ऐसा भी करेंगे।
उन्होंने लखीमपुर खीरी कांड को लेकर कहा था कि, ‘केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को इस्तीफा देना चाहिए था। वैसे भी वह मंत्री मंत्री बनने के लायक नहीं हैं।’
नवंबर महीने में उन्होंने मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा की आलोचना करते हुए कहा था कि, एक नए संसद भवन के बजाय एक विश्व स्तरीय कॉलेज बनाना बेहतर होगा।
उस समय भी मालिक ने केंद्र पर किसानों की मौत को लेकर संवेदनशील रवैया न अपनाने पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था, ‘एक कुत्ता भी मरता है तो दिल्ली के नेताओं का शोक संदेश आता है लेकिन 600 किसानों का शोक संदेश का प्रस्ताव लोकसभा में पास नहीं हुआ।’
तब उन्होंने दोहराया था कि, ‘मैं जन्म से राज्यपाल नहीं हूं। मेरे पास जो कुछ है, उसे खोने के लिए मैं हमेशा तैयार हूं, लेकिन मैं अपनी प्रतिबद्धता नहीं छोड़ सकता। मैं पद छोड़ सकता हूं लेकिन किसानों को पीड़ित और हारते हुए नहीं देख सकता।’
उल्लेखनीय है कि, पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने वाले जाट नेता मलिक नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान जम्मू कश्मीर, गोवा और मेघालय के राज्यपाल बने हैं.
(साभार- द वायर)
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