प्रथम लेखा दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ
नई दिल्ली(PIB): प्रधानमंत्री कार्यालय ने प्रथम लेखा दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ जारी किया।
प्रथम लेखा दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ:
कार्यक्रम में हमारे साथ उपस्थित देश के कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल श्री जीसी मुर्मू जी, डिप्टी CAG सुश्री परवीन मेहता जी, इस महत्वपूर्ण संस्था के माध्यम से देश की सेवा के लिए समर्पित सभी सदस्यगण, देवियों और सज्जनों! आप सभी को ऑडिट डे की हार्दिक शुभकामनाएं।
एक संस्था के रूप में CAG, न केवल देश के खातों का हिसाब-किताब चेक करता है, बल्कि productivity में, efficiency में ‘वैल्यू एडिशन’ भी करता है। इसीलिए, ऑडिट डे और इससे जुड़े कार्यक्रम, इस अवसर पर हमारे चिंतन-मंथन हमारे improvement और improvisation का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। मैं आप सभी को आपकी निष्ठा के लिए, CAG की प्रासंगिकता और गरिमा को लगातार नई दिशा देने के लिए बधाई देता हूँ।
साथियों,
बहुत कम Institution ऐसे होते हैं जो समय बीतते-बीतते अधिक मजबूत होते हैं अधिक mature होते हैं और अधिक उपयोगी होते हैं। ज्यादातर Institution जन्म लेते हैं, तीन दशक, चार दशक, पांच दशक आते-आते स्थितियां इतनी बदल जाती हैं कि वो कभी-कभी अपना relevance ही खो देते हैं। लेकिन CAG के संबंध में हम कह सकते हैं कि इतने सालों के बाद ये Institute अपने-आप में एक बहुत बड़ी विरासत है, बहुत बड़ी अमानत है। और हर पीढ़ी को उसे संभालना, उसे संवारना, उसको सजाना और आने वाली पीढ़ियों के लिए और अधिक उपयुक्त बना करके उसको संक्रमित करना, ट्रांसपोर्ट करना, मैं समझता हूं कि एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी है।
साथियो,
पिछली बार जब मैं यहां आया था, आप लोगों से मुलाक़ात हुई थी, तब हम महात्मा गांधी जी की 150वीं जन्म-जयंती मना रहे थे। उस कार्यक्रम में बापू की प्रतिमा का अनावरण किया गया था। और आज, जब ऑडिट-डे का ये महत्वपूर्ण कार्यक्रम हो रहा है, तब देश अपनी आज़ादी के 75 वर्ष पर अमृत महोत्सव मना रहा है। आज हमें देश की अखंडता के नायक सरदार पटेल जी की प्रतिमा के अनावरण का सौभाग्य मिला है। गांधी जी हों, सरदार पटेल हों, या फिर बाबा साहेब आंबेडकर, राष्ट्र निर्माण में इन सभी का योगदान, CAG के लिए, हम सभी के लिए, कोटि-कोटि देशवासियों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा हैं। देश के लिए कैसे बड़े लक्ष्य तय किए जाते हैं, कैसे उन्हें हासिल किया जाता है, कैसे व्यवस्था में परिवर्तन लाया जाता है, इन महान व्यक्तित्वों की जीवन गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है।
साथियों,
एक समय था, जब देश में ऑडिट को एक आशंका, एक भय के साथ देखा जाता था। ‘CAG बनाम सरकार’, ये हमारी व्यवस्था की सामान्य सोच बन गई थी। और कभी-कभी तो ये भी हो जाता था कि बाबू लोग ऐसे हैं, ऐसा ही देते हैं। बाबुओं को लगता था CAG वाले ऐसे ही हैं कि हर चीज में उनको नुक्स ही नजर आता है। हरेक की अपनी-अपनी बात थी। लेकिन, आज इस मानसिकता को बदला गया है। आज ऑडिट को वैल्यू एडिशन का अहम हिस्सा माना जा रहा है।
सरकार के कामकाज का आकलन करते समय CAG के पास outsider viewpoint का advantage होता है। आप जो कुछ हमें बताते हैं, उससे हम Systemic Improvements करते हैं, उसे हम अपने लिए एक सहयोग के तौर पर देखते हैं।
मुझे लंबे अर्से तक सरकारों का नेतृत्व करने का सौभाग्य मिला है। मैं जब गुजरात में मुख्यमंत्री था तब भी अपने अधिकारियों से कहता था, और आज भी यही कहता हूँ, CAG में जो document और डेटा मांगे जाते हैं वो तो आप जरूर दीजिये, अपने काम से जुड़ी दूसरी फाइल्स भी उन्हें दीजिये। इससे हमारे लिए और बेहतर काम करने का स्कोप तैयार होता है। हमारा सेल्फ assessment का काम आसान हो जाता है।
साथियों,
शुचिता और पारदर्शिता हमारे व्यक्तिगत जीवन में हों या सरकार में, ये हमारे लिए सबसे बड़े morale booster होते हैं। उदाहरण के तौर पर, पहले देश के बैंकिंग सेक्टर में transparency की कमी के चलते तरह-तरह की practices चलती थीं। परिणाम ये हुआ कि बैंको के NPAs बढ़ते गए। NPAs को कार्पेट के नीचे कवर करने का जो कार्य पहले के समय किया गया, वो शायद मुझसे ज्यादा आप लोग जानते हैं। लेकिन हमने पूरी ईमानदारी के साथ पिछली सरकारों का सच, जो भी स्थिति थी, देश के सामने खुल करके रख दी। हम समस्याओं को पहचानेंगे तभी तो समाधान तलाश कर पाएंगे।
इसी तरह, आपकी तरफ से fiscal deficit को लेकर, सरकारी खर्चों को लेकर लगातार आगाह किया जाता था। हमने आपके concerns को सकारात्मक तरीके से लिया, Unused और Under-Used elements को monetize करने के साहसिक निर्णय लिए। आज इन फैसलों के परिणाम, फिर से गति पकड़ रही अर्थव्यवस्था, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है, उसका स्वागत-सम्मान हो रहा है। CAG में जब आप इनका व्यापक आकलन करेंगे तो मुझे लगता है कि इन फैसलों के कई ऐसे पहलू सामने आएंगे जो कभी-कभी विशेषज्ञों से भी छूट जाते हैं।
साथियों,
आज हम ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं जिसमें जो पुरानी सोच है, ‘सरकार सर्वम्, सरकार जानम, सरकार ग्रहणम’ इस पुरानी सोच को हमने बदलने का तय कर लिया है। और उसका परिणाम, सरकार का दखल भी कम हो रहा है, और आपका काम भी आसान हो रहा है। ‘मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस’ Contactless customs, automatic renewals, faceless assessments, service delivery के लिए online applications, इन सारे reforms ने सरकार के गैर-जरूरी दखल को खत्म किया है।
सिस्टम में जब ये ट्रांसपरेंसी आती है तो नतीजे भी हमें साफ-साफ दिखाई देने लगते हैं। आज भारत पूरी दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप eco-system बन चुका है। आज 50 से ज्यादा हमारे भारतीय यूनिकॉर्न खड़े हो चुके हैं। हमारे IITs आज चौथे सबसे बड़े यूनिकॉर्न प्रोड्यूसर बनकर उभरे हैं। ‘मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस’ के इस अभियान में आप सभी को, देश की हर संस्था को सहभागी बनना है, Ownership लेनी है, Co-traveler के रूप में चलना ही चलना है। हमारी हर संवैधानिक संस्था के लिए ये अमृतकाल का एक संकल्प, 2047 में जब हिंदुस्तान शताब्दी मनाएगा, तब देश को बहुत ऊंचाई पर ले जाने की ताकत के रूप में काम आएगा।
साथियों,
दशकों तक हमारे देश में CAG की पहचान, सरकारी फाइलों और बहीखातों के बीच माथापच्ची करने वाली संस्था के तौर पर रही है। CAG से जुड़े लोगों की यही इमेज बन गई थी। और इसका ज़िक्र मैंने 2019 में भी जब आपके बीच में आया था, मैंने उल्लेख किया था। मुझे खुशी है कि आप तेजी के साथ परिवर्तन ला रहे हैं, प्रक्रियाओं को आधुनिक बना रहे हैं। आज आप advanced analytics tools इस्तेमाल कर रहे हैं, Geo-spatial data और satellite imagery का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये इनोवेशन हमारे संसाधनों में भी होना चाहिए, और हमारी कार्यशैली में भी होना चाहिए।
मुझे बताया गया है कि आपने preliminary findings को field audit से पहले ही departments के साथ शेयर करना शुरू किया है। ये एक healthy practice है। जब आप इन preliminary findings को अपनी Field Study के साथ Combine करेंगे, तब इसके परिणाम और भी अच्छे निकलेंगे। इसी तरह, मैंने आपको सुझाव दिया था कि आप ऑफिस से बाहर निकलकर auditees और स्टेकहोल्डर्स से मिलें। आपने इस सुझाव को स्वीकार किया है। पिछले साल फरवरी में CAG के सीनियर ऑफिसर्स और मिनिस्ट्रीज़ के सेक्रेटरीज़ ने एक सेमीनार भी किया था। मैं इन प्रयासों की सराहना करता हूँ, और उम्मीद करता हूँ कि ये सिलसिला सेमीनार्स तक नहीं रुकेगा।
ये CAG और विभागों के बीच पार्टनर्शिप में progress करने का माध्यम बनेगा। जब मैं ये सुनता हूँ कि एक ग्राम पंचायत की महिला प्रधान को आपने इस प्रक्रिया में शामिल किया है तो हम सबके लिए ये गर्व की बात है कि आज हमारी संस्थाएं इस तरह के open environment में जमीन से जुड़कर काम कर रही हैं। ये evolution, ये अनुभव CAG को और उसके साथ-साथ हमारी auditing mechanism को एक नई ऊंचाई तक लेकर जाएगा। जितनी strong और scientific हमारी auditing होगी, उतनी ही हमारी व्यवस्थाएं transparent और मजबूत होंगी।
साथियों,
कोरोना के मुश्किल समय में भी CAG ने कितनी तन्मयता के साथ काम किया, इसकी जानकारी मुझे मिलती रही है और अभी कुछ बातें मुर्मू जी से भी सुनने को मिलीं। दुनिया के दूसरे बड़े देशों से होती हुई कोरोना की लहर हमारे यहाँ पहुंची थी, इतनी बड़ी आबादी की चुनौती हमारे सामने थी, सीमित संसाधनों का दबाव हमारे हेल्थ वर्कर्स पर था, लेकिन देश ने इलाज से लेकर बचाव तक हर फ्रंट पर युद्ध स्तर पर काम किया। बड़े-बड़े देशों के पास अगर व्यापक संसाधन थे, तो हमारे पास अतुलनीय सामाजिक शक्ति थी।
मुझे बताया गया है कि CAG ने भी अपने दायित्वों से आगे बढ़कर, आम जनता को वैक्सीनेशन में भी मदद की। इसी स्पिरिट के साथ देश की हर संस्था, हर देशवासी अपने कर्तव्य के पालन में जुटा हुआ था। हमने ये नहीं देखा कि हमारा काम क्या है, हमने ये देखा कि हम क्या कर सकते हैं! इसीलिए, सदी की ये सबसे बड़ी महामारी जितनी चुनौतीपूर्ण थी, उतनी ही इसके खिलाफ देश की लड़ाई भी असाधारण रही है।
आज हम दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम भी चला रहे हैं। कुछ सप्ताह पहले ही देश ने 100 करोड़ वैक्सीन डोज का पड़ाव पार किया है। मैं चाहूँगा कि अपने रूटीन कामकाज के साथ-साथ CAG, महामारी के खिलाफ देश की इस लड़ाई के दौरान जो अच्छी प्रैक्टिसेस डवलप हुईं, उनका अध्ययन करें। देश ने इससे जो कुछ नया सीखा, नया अपनाया, जो Systemic Learning हुईं, वो भविष्य में Global Good Practices बनने में भी मदद करेंगी, दुनिया को भावी महामारियों से लड़ने के लिए तैयार करेंगी, मजबूती देंगी।
साथियों,
पुराने समय में information, stories के जरिए प्रसारित होती थी। कहानियों के जरिए ही इतिहास लिखा जाता था। लेकिन आज 21वीं सदी में, डेटा ही information है, और आने वाले समय में हमारी history भी data के जरिए देखी और समझी जाएगी। In future, data will be dictating the history! और, बात जब डेटा और उसके assessment की होती है तो आप से बढ़ करके कोई मास्टर नहीं है इसका। इसलिए, आज आजादी के अमृत महोत्सव में देश जो प्रयास कर रहा है, जिन लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रहा है, भविष्य में जब देश के इन प्रयासों का, इस कालखंड का आकलन किया जाएगा तो आपका काम, आपके दस्तावेज़ उसका एक प्रामाणिक आधार बनेंगे। जैसे आज हम अपने स्वाधीनता संग्राम से जुड़े इतिहास को देखते हैं, उससे प्रेरणा लेते हैं, वैसे ही जब देश आज़ादी के सौ साल पूरे करेगा तो आपकी आज की स्टडी रिपोर्ट्स उस समय के भारत के लिए अपने इतिहास में झाँकने का, उससे सीखने का जरिया बन सकती हैं।
साथियों,
आज देश ऐसे कितने ही काम कर रहा है जो अपने आपमें अप्रत्याशित भी हैं, और अभूतपूर्व भी हैं। दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान का ज़िक्र अभी जब मैं आपसे एक उदाहरण के तौर पर कर रहा था, इसी तरह, आप अनेकानेक संकल्पों में लगे हुये देशवासियों के कितने ही प्रयासों को देख सकते हैं। कुछ साल पहले तक हम सरकारी खातों में लाखों-करोड़ का हिसाब किताब तो करते थे, लेकिन सच्चाई ये भी थी कि देश के करोड़ों नागरिकों के पास अपना बैंक अकाउंट तक नहीं था। कितने ही परिवार ऐसे थे जिनके पास रहने के लिए अपना घर नहीं था, सर के ऊपर पक्की छत नहीं थी। पीने के पानी की सुविधा हो, बिजली का कनेक्शन हो, घर में शौचालय हो, गरीब से गरीब को इलाज की सुविधा हो, हमारे ही देश में करोड़ों लोगों के लिए ये बुनियादी जरूरतें, luxury हुआ करती थीं। लेकिन आज ये परिस्थिति बदली है, और तेजी से बदल भी रही है। देश अगर इस मुकाम तक पहुंचा है तो इसके पीछे कितने ही देशवासियों की दिन रात की मेहनत है, उनका कितना परिश्रम इसके पीछे लगा है। हमारे हेल्थ सेक्टर के लोग हों, बैंकिंग सेक्टर के लोग हों, सरकारी विभागों और प्रशासन के लोग हों, या फिर हमारा प्राइवेट सेक्टर हो, इन सबने एक अभूतपूर्व सामंजस्य के साथ असाधारण स्तर पर काम किया है। तब जाकर गरीब की चौखट तक उसके अधिकारों की डिलीवरी संभव हुई है, तब जाकर देश के विकास को ये गति हासिल हुई है।
साथियों,
समाज में इन फैसलों का असर इतना व्यापक होता है कि उन्हें हम तभी समझ पाते हैं जब इस दिशा में focused studies की जाएँ! CAG को भी देश के इन प्रयासों का, इन परिणामों का आकलन करना चाहिए। ये लेखा-जोखा देश के सामूहिक प्रयासों का प्रकटीकरण होगा, देश के सामर्थ्य और उसके आत्मविश्वास का एक जीता-जागता document होगा। साथ ही, इससे आने वाली सरकारों के लिए कामकाज के और बेहतर तरीके तलाशने में भी ये आपके दस्तावेज काम आएंगे।
मुझे पूरा भरोसा है कि देश के लिए आपका योगदान अनवरत जारी रहेगा, देश के विकास को नई गति देता रहेगा।
इसी विश्वास के साथ, आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद! और आप सबको अनेक-अनेक शुभकामनाएं।
***