सर्वोच्च न्यायालय की ई-कमेटी ने ई- कोर्ट्स परियोजना के तीसरे चरण से संबंधितदृष्टिकोण – पत्र के मसौदे पर टिप्पणियां, सुझाव और इनपुट आमंत्रित की
नई-दिल्ली (PIB): सर्वोच्च न्यायालय की ई-कमेटी ने एक और बड़ी पहल करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के तत्वावधान में ई - कोर्ट्स परियोजना के चरण -III के लिए एक दृष्टिकोण – पत्र का मसौदा तैयार किया है। ई - कोर्ट्स परियोजना भारत सरकार के न्याय विभागद्वारा संचालित एक मिशन मोड परियोजना है।
सर्वोच्च न्यायालय की ई-कमेटी ने कल ई - कोर्ट्स परियोजना के चरण -III के लिए दृष्टिकोण – पत्र का मसौदा जारी किया। ई-कमेटी द्वारा आज जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि दृष्टिकोण – पत्र का मसौदा ई-कमेटी की वेबसाइटhttps://ecommitteesci.gov.in/document/draft-vision-document-for-e-courts-project-phase-iii/पर उपलब्ध है और ई-कमेटी के अध्यक्ष ने सभी हितधारकों अर्थात अधिवक्ताओं, वादियों, आम नागरिकों, कानून के छात्रों, तकनीकी विशेषज्ञों से आगे आकर इसपर अपने बहुमूल्य इनपुट, सुझाव और प्रतिक्रिया देने का अनुरोध किया है क्योंकि हितधारकों के ज्ञान, अंतर्दृष्टि, चिंताओं और अनुभवों सेई - कोर्ट्स परियोजना के अगले चरण के दृष्टिकोण – पत्र के मसौदे को परिष्कृत करनेऔर इसके कार्यान्वयन की उपयुक्त योजना बनाने में मदद मिलेगी।
इस संबंध में, कल ई-कमेटीके अध्यक्ष डॉ.न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय ने भीदृष्टिकोण – पत्र के मसौदे के बारे में इनपुट, सुझावों और टिप्पणियों का स्वागत करते हुए उच्च न्यायालयों के सभी मुख्य न्यायाधीशों, कानून के दिग्गजों, लॉ स्कूलों, आईटी विशेषज्ञों समेत विभिन्न हितधारकों को संबोधित किया। ई-कमेटीके अध्यक्ष डॉ. न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड़ के पत्र के कुछ मुख्य अंश इस प्रकार हैं:
सर्वोच्च न्यायालय की ई-कमेटी“भारतीय न्यायपालिका में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के कार्यान्वयन की राष्ट्रीय नीति एवं कार्य योजना-2005" की अवधारणा के तहत, ई -कोर्ट्स परियोजना के कार्यान्वयन की देखरेख कर रही है। पिछले पंद्रह से अधिक वर्षों में ई-कमेटीने अपनी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है।
इस परियोजना के पहले दो चरणों में ई-कमेटीके उद्देश्यों की एक ठोस नींव रखने के लक्ष्य को व्यापक रूप सेहासिल किया गया है। ई-कमेटीके उद्देश्यों में शामिल है: देशभर की सभी अदालतों को आपस में जोड़ना; भारतीय न्यायिक प्रणाली कोसूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के क्षेत्र में सक्षम बनाना; न्यायिक उत्पादकता बढ़ाने के दृष्टि से अदालतों कोगुणात्मक और मात्रात्मक रूप से सक्षम बनाना;न्याय वितरण प्रणाली को सुलभ, कम खर्चीला, पारदर्शी एवं जवाबदेह बनाना; और नागरिक केंद्रित सेवाएं प्रदान करना। अब जबकि चरण- II जल्द ही समाप्त होने वाला है, ई-कमेटीने चरण- III के लिए एक दृष्टिकोण – पत्र का मसौदा तैयार करने की दिशा में कदम उठाए हैं।
भारत में ई - कोर्ट्स परियोजना का चरण-III दो केंद्रीय पहलुओं पर आधारित है- पहुंच और समावेशन। ई - कोर्ट्स परियोजना का चरण - III एक ऐसी न्यायिक प्रणाली को लागू करने का इच्छुकहै, जो भौगोलिक दूरियों के बावजूद अधिक आसानी से सुलभ हो, न्याय चाहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए कारगरएवं न्यायसंगत हो, मानव एवं अन्य संसाधनों का अधिक कुशलतासे उपयोग करता होऔर एक सकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव के लिए आधुनिक तकनीक को अपनाता हो।
चरण - III की इसपरिकल्पनाको निम्नलिखित चार बुनियादीबातों पर आधारित रखना अपेक्षित है:
- केन्द्रीय मूल्य: चरण - III को भरोसा, सहानुभूति, स्थिरता और पारदर्शिता के केन्द्रीय मूल्यों द्वारा संचालित एक ऐसे आधुनिक न्यायिक प्रणालीकी दिशा में प्रयास करना चाहिए, जो प्रक्रियाओं को सरल बनाते हुएप्रौद्योगिकी की सकारात्मकता को अधिकतम करे और इससे जुड़े जोखिमों और चुनौतियों को कम करे।
- प्रणाली की संपूर्णता का दृष्टिकोण: चरण -III का उद्देश्य विवाद प्रबंधन के सभी तीन घटकों यानी विवाद से परहेज, उसका नियंत्रण और समाधान के लिए प्रक्रियाओं को अधिक कुशल बनाना होगा। इनमें से प्रत्येक घटक को विभिन्न संस्थानों के साथ तकनीकी रूप से एकीकृतकरने की जरूरत होगी।
- एडॉप्शन फ्रेमवर्क: चरण - III को एक मजबूत एडॉप्शन फ्रेमवर्क के निर्माण पर ध्यान देना होगा। इस तरह केफ्रेमवर्क में कानून की अपेक्षित अनिवार्यता के साथ व्यवहार संबंधी हल्के दबाव, पर्याप्त प्रशिक्षण एवं कौशल का विकास, फीडबैक लूप शामिल होना चाहिए।
- प्रशासकीय ढांचा: प्रशासकीय दृष्टिकोण से अबजबकि कई न्यायिक निर्णयों ने न्यायिक प्रक्रियाओं में प्रौद्योगिकी के उपयोग को मान्य किया है, चरण - III को इससे जुड़ी प्रशासकीय संरचनाओं को दुरुस्त करना होगा। चरण -III का प्रमुख लक्ष्य और इसकी रणनीति एक केन्द्रीय डिजिटल बुनियादी ढांचे के निर्माण को प्राथमिकता देना होगा, जोकि न्यायपालिका द्वारा विवादोंके समाधान से जुड़ी सेवाओं के विकास तथाइसके इकोसिस्टम द्वारा विवादोंके नियंत्रण एवंउससेसंबंधित उपायों से जुड़ी सेवाओं के विकास को सक्षम बनासके।
चरण -III के लक्ष्यों के सफल संचालन के लिए अनुक्रमण, बजट निर्माण, खरीद, कॉन्ट्रैक्ट मैनेजमेंट,एडॉप्शनएवंचेंज मैनेजमेंट, और निगरानी एवं मूल्यांकन के एक मजबूत ढांचे के इर्दगिर्द सावधानीपूर्वक एक योजना बनाने की जरूरत होगी। दृष्टिकोण – पत्र का यह मसौदा इस किस्म के संचालन का एक खाका प्रदान करता है।
इस मसौदे पर अपनी प्रतिक्रिया, इनपुट एवंसुझाव ई-कमेटीको दो सप्ताह के भीतर ई-मेल आईडी ecommittee@aij.gov.in पर भेजे जा सकते हैं।