विशेष: COVID-19: जीवन बचाने को नहीं मिलेगी ट्रेन - पर मरने के बाद मांस के लोथड़ों को लाएगा प्लेन.....: रघु ठाकुर
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में शहडोल उमरिया के 17 मजदूरों की रेल से हुयी मौत पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक- महान समाजवादी चिंतक व विचारक- रघु ठाकुर ने कहा था कि, "यह गरीबो की सरकारी हत्यायें हैं।"
(फोटो साभार - IndianExpress)
रघु ठाकुर ने कहा था कि, "अगर उन्हें मुम्बई में सुविधा मिल गयी होती, रोजी-रोटी की व्यवस्था हो गयी होती तो, वे बेचारे भागने को मजबूर ही क्यों होते और रेल मिल जाती तो यह हादसा नहीं होता।"
आज विशेष में प्रस्तुत है, लोसपा के राष्ट्रीय संरक्षक- महान समाजवादी चिंतक व विचारक- रघु ठाकुर की उपरोक्त सरकारी हत्या से उठी हृदयविदारक़ वेदना जिसे उन्होंने कविता के रूप में प्रस्तुत किया है:
जीवन बचाने को नहीं मिलेगी ट्रेन
पर मरने के बाद -
मांस के लोथड़ों को लाएगा प्लेन।
लाश के टुकड़े पर बिखरी सूखी रोटियां चीख चीख कर सुना रही कहानियां।
सूखी रोटी तो कुत्ते भी छोड़ देते हैं
साहबों के कुत्ते तो चिकन डाइट लेतेहैं। आखिर वह नसीब वाले होते हैं।
गरीब तो पेट के लिए -
घर छोड़ कर गए थे।
उनके तो नसीब में
पूर्व जनम के कर्मों के दंड लिखे थे।
घर पर जवान बीवी को पति के आने का था इंतजार।
नादान बच्चे खुश थे कि पापा आएंगे कुछ लाएंगे उपहार।
बूढ़ी मां बेटे की शक्ल देखने को थी बेताब ।
बेटा ठीक से आ जाये
बस यही थी उसकी आश।
और जब विमान से मजदूर पहुंचा
तो मां का बेटा नहीं
बीबी का शोहर नहीं
बच्चो के पापा नहीं
वह तो जिस्म के कटे
टुकडों को जोड़कर
कपड़े में बंधी लाश थी।
जिसे देखकर बस्ती भी मौन और उदास थी।।
(फोटो साभार - IndianExpress)
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