लहू बोलता भी है: जंगे-आजादी-ए-हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- मीर अब्दुल्ला
आइए जानते हैं, जंंगे-आजादी-ए-हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- मीर अब्दुल्ला को......
मीर अब्दुल्ला कस्बा पोखरियाय दरभंगा (बिहार) के रहने वाले थे। बसिलसिले कारोबार समस्तीपुर में रहा करते थे और वहां की जमाते-उलमा-ए-हिन्द के सरगर्म कारकुनों में थे।
जंगे.आज़ादी के सिलसिलें में कांग्रेस के प्रोग्रामों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे।
15 अगस्त सन् 1942 को क्विट इण्डिया मूवमेंट के तहत निकलने वाले जुलूस में शामिल थे। इस जुलूस ने समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर सरकारी काम में मज़ाहमत की नतीजे के तौर पर मिलेट्री और पुलिस ने गोली चला दी, जिसमें बड़ी तादात में मुजाहिद ज़ख्मी हुए और मौक़े पर ही पर ही दर्जनों मुजाहिद शहीद हो गये उन शहीद होने वालों में मीर अब्दुल्लाह भी थे।
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