विशेष: मरणोपरांत सामुहिक देह-दान पहली बार: रघु ठाकुर ने 15 समाजसेवियों के साथ किया देह-दान - रचा नया इतिहास
- मरणोपरांत देह-दान करने पर बी•एम•सी• ने देहदानियों को किया सम्मानित.
- देश कर रहा है परम पूज्य महादानबीरों/ देहदानियोंं को शत-शत नमन.
नई-दिल्ली : प्रख्यात समाजवादी चिंतक व विचारक तथा लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक- रघु ठाकुर ने चिकित्सा और समाज की बडी जरूरत- "मरणोपरांत देह दान" को समझा ही नहीं बल्कि अपने सहभागियों/ समाजसेवियों को भी प्रेेेरित किया और जब 5 नवम्बर को देश के लोग धनतेरस की खरीददारी में लगे थे तो रघु ठाकुर अपने सहभागियों/15 समाजसेवियों के साथ सागर में "देह-दान" कर एक नया इतिहास रच रहे थे तथा बुन्देलखण्ड मेडिकल कॉलेज (BMC) इन महादानी- देेेेहदानियो का सम्मान कर रहा था।
अवसर था सागर (मध्य प्रदेश) में बुन्देलखण्ड मेडिकल कॉलेज के 10वें स्थापना-दिवस समारोह का।
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (BMC) ने 10 वें स्थापना दिवस को एक समारोह के रुप में मनाया।
इस समारोह की सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि, विख्यात समाजवादी चिंतक व विचारक तथा लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक- रघु ठाकुर ने अपने 15 सहभागी/ समाजसेवियों - (1) डॉ बद्री भाईसाब जी (2) श्रीमती निरुपमा मिश्र जी; (3) डॉ विनोद तिवारी जी; (4) अतुल मिश्रा जी; (5) हीरा लाल पटेल पथरिया जी; (6) रामवती पटेल जी; (7) संदीप शर्मा जी; (8) अस्मिता शर्मा जी; (9) प्रशांत ठाकुर जी; (10) डॉ• एस के सिंह जी; (11) मुकेश साहू जी; (12 & 13.) सुधीर ठाकुर सपत्नी; (14) हरीओम सिंह जरुआ खेड़ा; (15) महेश पांडे जी बंडा के साथ देहदान के संकल्प पत्र भरकर सामुहिक रुप से बुन्देेलखण्ड मेडिकल कालेज (BMC) प्रबंधन को सौंपा तथा BMC परिवार ने इसे अत्यधिक पुण्य का काम बताते हुए परमपूज्य महादानियोंं/ देहदानियों का सम्मान किया।
इस BMC परिवार में डीन डॉ• जी. एस. पटेल; अधीक्षक डॉ• आर. एस. वर्मा; सहायक अधीक्षक डॉ• एस. पी. सिंह; डॉ• मनीष जैन, डॉ• उमेश पटेल सहित बीएमसी प्रबंधन के अधिकारी व स्टूडेंट्स मुुुख्य रूप से शामिल थे।
स्थापना दिवस पर डीन- डॉ• जी. एस. पटेल ने कहा कि, "बीएमसी कॉलेज प्रदेश में सबसे बेहतर कॉलेज बनने जा रहा है तथा यह कॉलेज सबसे आधुनिक व सर्व सुविधायुक्त होगा।"
देह-दान की आवश्यकता पर चर्चा करते हुए रघु ठाकुर ने बताया कि मरणोपरांत देह दान क्यों आवश्यक है।
श्री ठाकुर ने बताया कि, "मृत देह किसी काम की नहीं होती है, लेकिन इसी मृत देह के जरिए मेडिकल छात्र अवश्य काबिल डॉक्टर बन सकते हैं। चिकित्सा विज्ञान की शिक्षा में मृत देह का ठीक वैसे ही महत्व है जैसे किसी मकान के निर्माण में नींव का है, लेकिन असल में दिक्कत देहदान की कमी की है। हमारा प्रयास हैै कि स्वस्थ समाज की स्थापना के लिए लोग आगे आयें और मरणोपरांत देह-दान कर अपने जीवन को सार्थक बनायें।"
श्री ठाकुर ने बताया कि, "पहले ज्यादातर लावारिस शव मेेेडिकल कालेजों मेें भेज दिए जाते थे और काम चल जाता था, क्योंकि तब पुलिस हर शव का पोस्टमार्टम नहीं कराती थी, लेकिन अब मेडिकल कॉलेज में बिना पोस्टमार्टम कोई लावारिस शव भेजा ही नहीं जाता है।
मेडिकल कॉलेेेजों में मृत देह को सुरक्षित रखने के लिए रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है।
पोस्टमार्टम होने पर शरीर कई जगह से खुल जाता है। ऐसे में शरीर में कोई भी दवा नहीं रुक पाती है।
मेडिकल कालेज बिना पोस्टमार्टम किए मृत देह को रसायनों के जरिए वर्षो तक सुरक्षित रख सकता है, लेकिन पोस्टमार्टम के बाद शव को एक माह तक भी सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है।
इसलिए आज मरणोपरांत देहदान की आवश्यकता का महत्व और भी अधिक हो गया है।"
इससे पहले भी दो राजनैतिक नेता देह-दान के इस महादान के महत्व को समझते हुए अपना देह-दान कर चुुके हैं।
देह-दान करने वाले राजनैतिक नेेेेताओं में पहला नाम है बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री- ज्योति बसु जी का है जिनके ब्रेन को SSKM हास्पीटल कलकत्ता ने बाडी प्राप्त करने के बाद सुरक्षित प्रीजर्ब कर लिया था, तथा दूसरा नाम- पूर्व सांसद (राज्य सभा)- नाना जी देशमुख का है।
लेकिन आज जहाँ राजनीति में अधिकांश नेता नैतिक व सामाजिक मूल्यों का हनन कर रहे हैं, वहीं सामाजिक और नैतिक दायित्वों को पूरा करते हुए विख्यात समाजवादी चिंतक व विचारक तथा लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक- रघु ठाकुर ने सामुहिक देह-दान का महादान कर एक नया इतिहास रच दिया है और एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है, क्योंकि यह पहला मौका है जब किसी राजनेता ने अपने साथ सामुहिक देह-दान कराया हो।
इस महान राजनैतिक संत परम पूज्य रघु ठाकुर जी और महादानियों/ देेहदानियों को पूरा देश शत-शत नमन कर रहा है।
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