नई शिक्षा नीति की उपलब्धियां: शिक्षा मंत्रालय
नई-दिल्ली (PIB): केंद्र सरकार, राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी 2020) के कार्यान्वयन के लिए अनेक पहलें की हैं, जिनका विवरण निम्नानुसार है:–
स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में अनेक पहलें की गई हैं जैसे स्कूलों के उन्नयन के लिए पीएम श्री (प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया) (कुल 6448 स्कूलों का चयन किया गया और पहली किस्त के रूप में केवीएस/एनवीएस के साथ 27 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में 6207 पीएम श्री स्कूलों को 630.11 करोड़ रुपये जारी किए गए); समझ और संख्यात्मकता के साथ पढ़ने में प्रवीणता के लिए राष्ट्रीय पहल (निपुण भारत); विद्या-प्रवेश-स्कूल तैयारी मॉड्यूल; डिजिटल/ ऑनलाइन/ ऑन-एयर शिक्षा के लिए पीएम ई-विद्या; दीक्षा (ज्ञान साझा करने के लिए डिजिटल अवसंरचना) वन नेशन वन डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में; मूलभूत चरण के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या संरचना (एनसीएफ एफएस); 3 से 8 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के लिए जदुई पिटारा; स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या संरचना; स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों की समग्र उन्नति के लिए राष्ट्रीय पहल (निष्ठा) 1.0, 2.0 और 3.0 स्कूली शिक्षा के विभिन्न चरणों के लिए एक एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम; 1500+ माइक्रो पाठ्यक्रमों, 5 बिलियन+ लर्निंग सत्रों, 12 बिलियन+ क्यूआर कोड, 20,000 हजार+ इकोसिस्टम प्रतिभागियों, विभिन्न लिंक्ड बिल्डिंग ब्लॉकों में चल रहे 15,000+ सूक्ष्म सुधारों के साथ एक एकीकृत राष्ट्रीय डिजिटल अवसंरचना का निर्माण करने के लिए राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षा वास्तुकला (एनडीईएआर); न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम या यूएलएएस आदि, जो 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी निरक्षरों को लक्षित करता है।
समग्र शिक्षा योजना को एनईपी 2020 की सिफारिश के साथ पूरी तरह से संरेखित किया गया है, जिसमें 2,94,283.04 करोड़ रुपये का कुल वित्तीय परिव्यय शामिल है, जिसमें 1,85,398.32 करोड़ रुपये केंद्रीय हिस्सा है। पीएम पोषण शक्ति निर्माण योजना को भी एनईपी 2020 की सिफारिश के साथ जोड़ा गया है।
राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र, परख (समग्र विकास के लिए ज्ञान का प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा और विश्लेषण) की स्थापना मानदंडों, मानकों, दिशा-निर्देशों को निर्धारित करने और छात्र मूल्यांकन से संबंधित गतिविधियों को लागू करने के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए की गई है।
स्कूली बस्तों के भार को कम करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्कूली बस्तों के वजन संबंधी नई नीति राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में संचारित की गई है।
चार वर्षीय एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम शुरू किया गया है। शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए आईआईटी, एनआईटी, आरआईई, इग्नू और सरकारी कॉलेजों सहित 42 संस्थानों को मान्यता प्रदान गई है।
उत्कृष्ट पेशेवरों का एक बड़ा पूल बनाने के लिए राष्ट्रीय मेंटरिंग मिशन (एनएमएम) भी शुरू किया गया है, जो स्कूली शिक्षकों को सलाह देने के लिए इच्छुक हैं। एनएमएम को 30 केंद्रीय विद्यालयों में शुरू किया गया है। इसके अलावा, पूरे देश में सामुदायिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों को मजबूत करने के लिए विद्यांजलि नामक एक स्कूल स्वयंसेवक प्रबंधन कार्यक्रम शुरू किया गया है। अब तक 6,71,512 सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों ने विद्यांजलि पोर्टल पर पंजीकरण किया है और 4,43,539 स्वयंसेवकों ने अपना पंजीकरण करवाया है।
उच्च शिक्षा में, एनईपी 2020 के कार्यान्वयन के लिए विभिन्न पहल/ सुधार किए गए हैं। शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा के लिए नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ), नेशनल हायर एजुकेशन क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क, एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी), मल्टीपल आगमन/ प्रस्थान आदि शुरू किए गए हैं। अब तक एबीसी पोर्टल पर 1,667 विश्वविद्यालय/ आईएनआई/ एचईआई शामिल हुए हैं और 2.75 करोड़ छात्र पंजीकृत हैं। समानता और समावेश के साथ उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए, भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं; जेईई, एनईईटी, सीयूटीईटी जैसी प्रवेश परीक्षाएं 13 भारतीय भाषाओं में आयोजित की जा रही हैं; 12 भारतीय भाषाओं में विभिन्न विषयों पर यूजी छात्रों के लिए 100 किताबें शुरू की गई है; और प्रथम वर्ष की 20 तकनीकी पुस्तकों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए, वर्तमान में 95 उच्च शिक्षण संस्थानों (एचईआई) दवारा 1149 ओडीएल कार्यक्रमों चलाए जा रहे हैं और 66 उच्च शिक्षा संस्थान 371 ऑनलाइन कार्यक्रमों की पेशकश कर रहे हैं। 19 लाख से ज्यादा छात्र इन सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। बहु-विषयक शिक्षा को बढ़ावा देने और लचीलापन प्रदान करने के लिए, लगभग 295 विश्वविद्यालयों ने ‘स्वयं’ कार्यक्रम को अपनाया है जो शिक्षार्थियों को ‘स्वयं’ मंच से 40% तक क्रेडिट पाठ्यक्रमों का लाभ उठाने की अनुमति प्रदान करता है।
9 लाख से ज्यादा छात्र प्रति वर्ष प्रॉक्टेड परीक्षा के माध्यम से स्वयं प्रमाणपत्र प्राप्त करते हैं। इन प्रमाणपत्रों का उपयोग उस विश्वविद्यालय द्वारा क्रेडिट हस्तांतरण के लिए किया जा सकता है जिसमें छात्र नामांकित है। उच्च शिक्षण संस्थानों में नामांकन से लेकर डिग्री प्रदान करने तक के लिए प्रौद्योगिकी सक्षम उद्यम संसाधन योजना (ईआरपी) आधारित समाधान (एसएएमटीएच) का 32 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करते हुए लगभग 2700 विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है। 7 राज्यों के उच्च शिक्षा विभाग भी चालू हैं। 7 राज्य उच्च शिक्षा विभाग भी इसमें शामिल हैं।
उद्योग और सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पाठ्यक्रम एवं पाठ्यक्रम विकसित करने में उद्योग जगत के विशेषज्ञों के साथ काम करने के लिए एचईआई को सक्षम बनाने के लिए पहल की गई है जैसे कि प्रैक्टिस के प्रोफेसर पर दिशानिर्देश; सिस्को/ आईबीएम/ मेटा/ एडोब/ माइक्रोसॉफ्ट/ सेल्स फोर्स आदि के साथ उद्योग-संरेखित पाठ्यक्रम निर्माण करने के लिए समझौता ज्ञापन; उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा अप्रेंटिसशिप/इंटर्नशिप अंतर्निहित डिग्री प्रोग्राम की पेशकश; लगभग 10560 एचईआई के कुल पंजीकरण के साथ इंटर्नशिप के लिए एकल एकीकृत ऑनलाइन पोर्टल और अब तक 73383 उद्योगों को शामिल किया गया है। अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिए, लगभग 7568 संस्थानों की नवाचार परिषदों और लगभग 104 विचार विकास, मूल्यांकन और अनुप्रयोग प्रयोगशालाओं (आईडीईए) की स्थापना की गई है।
अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने के लिए, भारत में विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों के परिसरों की स्थापना और संचालन पर अधिनियम जारी किए गए हैं। इसके अलावा, जांजीबार, तंजानिया में आईआईटी मद्रास और अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली के परिसर की स्थापना के लिए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। तंजानिया के जंजीबार-तंजानिया स्थित आईआईटी मद्रास कैंपस में कक्षाएं शुरू हो चुकी हैं।
भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) पर संकाय का प्रशिक्षण/ उन्मुखीकरण, उच्चतर शिक्षण संस्थाओं में रहने वाले कलाकारों/ कारीगरों को सूचीबद्ध करने, भारतीय विरासत एवं संस्कृति पर आधारित पाठ्यक्रमों की शुरुआत करने, उच्चतर शिक्षा पाठ्यचर्या में भारतीय ज्ञान को शामिल करने और भारतीय भाषाओं में पुस्तकों का अनुवाद करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। 8,000 से ज्यादा उच्च शिक्षण संस्थानों ने अपने पाठ्यक्रम में आईकेएस को अपनाना शुरू किया है।
राष्ट्रीय ऋण संरचना, जिसका विकास संयुक्त रूप से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई), राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी), राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस), केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई), राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी), प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी), शिक्षा मंत्रालय (एमओई) और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के साथ किया गया है, एक व्यापक क्रेडिट संरचना है जिसमें प्राथमिक, स्कूल, उच्च और व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण शामिल है जिसमें सीखने के विभिन्न आयामों अर्थात् अकादमिक, व्यावसायिक कौशल और प्रासंगिक अनुभव और प्रवीणता/ व्यावसायिक स्तरों सहित अनुभवात्मक शिक्षा का श्रेय शामिल है। इसमें राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा योग्यता फ्रेमवर्क (एनएचईक्यूएफ), राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या फ्रेमवर्क (एनसीएफ) में निर्धारित योग्यता संरचना को शामिल किया गया है, जिससे लचीले पाठ्यक्रम के साथ व्यापकता-आधारित बहु-विषयक/अंतर-अनुशासनात्मक, समग्र शिक्षा, विषयों का रचनात्मक संयोजन, अनेक मार्ग, समानता की स्थापना, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय गतिशीलता की सुविधा प्रदान करना शामिल है।
यह जानकारी आज राज्यसभा में शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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