केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने दवाओं के विनियमन के क्षेत्र में भारत और सूरीनाम के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर को मंजूरी दी: मंत्रिमण्डल
नई दिल्ली (PIB): प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को भारतीय फार्माकोपिया आयोग (आईपीसी), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय, सूरीनाम गणराज्य सरकार के बीच 4 जून, 2023 को सूरीनाम में भारतीय फार्माकोपिया (आईपी) की मान्यता के लिए हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) से अवगत कराया गया। महामहिम राष्ट्रपति की सूरीनाम यात्रा के दौरान इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये थे।
दोनों पक्षों ने अपने संबंधित कानूनों और विनियमों के अनुसार दवाओं के विनियमन के क्षेत्र में निकट सहयोग और सूचनाओं के आदान-प्रदान के महत्व को पहचानते हुए निम्नलिखित बिन्दुओं पर सहमति प्रकट की है:
• सूरीनाम में निर्मित और/या आयातित दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सूरीनाम में दवाओं के लिए मानकों की पुस्तक के रूप में भारतीय फार्माकोपिया (आईपी) को स्वीकार करना;
• भारतीय निर्माताओं द्वारा जारी किए गए प्रति आईपी विश्लेषण प्रमाणपत्र को स्वीकार करना और सूरीनाम में दवाओं के डुप्लीकेट परीक्षण की आवश्यकता समाप्त करना;
• गुणवत्ता नियंत्रण विश्लेषण के दौरान उपयोग किए जाने वाले आईपीआरएस और अशुद्धता मानकों को आईपीसी से यथोचित रूप से कम लागत पर प्राप्त करना;
• सूरीनाम में जेनेरिक दवाओं के विकास और किफायती दवाओं की उपलब्धता में योगदान की बेहतर संभावनाएं;
• विनियामक ढांचे, आवश्यकताओं और प्रक्रियाओं में फार्माकोपिया की समझ को बढ़ावा देना;
• आईपी के मोनोग्राफ के विकास से संबंधित सूचना के आदान-प्रदान और प्रलेखन की सुविधा प्रदान करना;
• संबंधित आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित या उसके संबंध में अपनी सेवाओं के प्रावधान में विनियामक प्राधिकरणों की क्षमता को बढ़ाना;
• मोनोग्राफ और भविष्य की प्रौद्योगिकियों के विकास में पारस्परिक लाभ के क्षेत्रों में तकनीकी सहयोग की संभावनाएं तलाशना।
समझौता ज्ञापन चिकित्सा उत्पादों के निर्यात की सुविधा प्रदान करेगा, जिससे विदेशी मुद्रा अर्जित होगी। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में उठाया गया कदम सिद्ध होगा।
भारतीय फार्माकोपिया मानकों की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता से भारतीय फार्मास्युटिकल क्षेत्र को कई लाभ हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल है:
• इससे इन देशों में भारतीय फार्मास्युटिकल उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि यह दोहरे विनियमन, परीक्षण में दोहराव और आयात के बाद की जांच को समाप्त करेगा। इस प्रकार, भारतीय दवा निर्यातकों को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल होगी और व्यापार अधिक लाभकारी हो जाएगा।
• इसके अलावा, आयात करने वाले देशों को किफायती दामों पर गुणवत्तापूर्ण भारतीय चिकित्सा उत्पादों तक पहुंच प्राप्त होगी।
• आयातक देशों में निर्माताओं के पास जेनेरिक दवाओं का विकास करने और अपने नागरिकों को किफायती दवाएं उपलब्ध कराने में योगदान देने की बेहतर संभावना होगी।
• विभिन्न संदर्भ मानक और अशुद्धता मानक इन निर्माताओं को यथोचित लागत पर उपलब्ध हो जाएंगे।
विनियामक पद्धितियों में तालमेल भारत से दवाओं के निर्यात को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है और इसके परिणामस्वरूप फार्मास्युटिकल क्षेत्र में शिक्षित पेशेवरों के लिए रोजगार के बेहतर अवसरों में मदद मिल सकती है।
भारतीय फार्माकोपिया (आईपी) को आधिकारिक तौर पर पांच (5) देशों: अफगानिस्तान, घाना, नेपाल, मॉरीशस और सूरीनाम गणराज्य की ओर से मान्यता प्राप्त है। मंत्रालय आईपी को मान्यता देने वाले देशों का विस्तार करने का इच्छुक है।
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