भीषण गर्मी से राहत पाने और पीने के पानी तक के लिए तड़पता और बेहाल उत्तर प्रदेश: भीषण गर्मी से राहत पाने और पीने के पानी तक के लिए तड़पते और बेहाल लोगों पर मलहम लगाने का मुख्यमंत्री योगी का नाकाम प्रयास जारी !
भीषण गर्मी से राहत पाने और पीने के पानी तक के लिए तड़पता और बेहाल उत्तर प्रदेश !
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पड़ रही भीषण गर्मी, बिनाशकारी-विकाश से लगातार बढ़ रहे तापमान से जल स्तर निचे चले जाने और उस पर लगातार जारी अघोषित बिजली कटौती से राहत पाने और पीने के पानी तक के लिए उत्तर प्रदेश की राजधानी सहित लगभग पूरे उत्तर प्रदेश में लोग त्राहिमाम कर रहे हैं।
आज उत्तर प्रदेश में आजादी के इस तथाकथित अमृत महोत्सव-काल में जारी भीषण गर्मी और बिजली कटौती से पानी तक के लिए तड़पते और बेहाल लोगों पर मलहम लगाने की मुख्यमंत्री योगी और उनकी सरकार ने एक और नाकाम प्रयास किया है !
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी और उनकी सरकार ने आजादी के इस तथाकथित अमृत महोत्सव में आज शाम 03बजकर09 मिनट पर एक ट्वीट कर अपने दाइत्वों का निर्वहन करने का एक नाकाम प्रयास कर सिद्ध कर दिया है कि, वे और उनके विभागीय मंत्री पूरी तरह चैतन्य शून्य हैं और जब प्यास लगती है तब कुआं खोदने की कहावत से भी आगे बढ़कर कुआं खोदने की सोचते हैं और ट्वीट करके अपने दायित्वों का निर्वहन कर लेते हैं !
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी और उनकी सरकार ने आजादी के इस तथाकथित अमृत महोत्सव में आज शाम 03 बजकर 09 मिनट पर किये गए ट्वीट में लिखा है कि, "तेज गर्मी/लू का मौसम चल रहा है। ऐसे में गांव हो या शहर, कहीं भी अनावश्यक बिजली कटौती न हो। जरूरत हो तो अतिरिक्त बिजली खरीदने की व्यवस्था करें। ट्रांसफॉर्मर जलने/तार गिरने जैसी समस्याओं का बिना विलंब निस्तारण किया जाए"।
तेज गर्मी/लू का मौसम चल रहा है। ऐसे में गांव हो या शहर, कहीं भी अनावश्यक बिजली कटौती न हो।
जरूरत हो तो अतिरिक्त बिजली खरीदने की व्यवस्था करें।
ट्रांसफॉर्मर जलने/तार गिरने जैसी समस्याओं का बिना विलंब निस्तारण किया जाए: #UPCM @myogiadityanath pic.twitter.com/pzIhZJ4Bgs— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) June 19, 2023
विशेषकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, उनके लखनऊ व गोरखपुर स्थित कार्यालय और बिजली बिभाग तक की वास्तविकता यह है कि, आम आदमी और यहां तक कि स्वतंत्र भारत न्यूज़ पोर्टल तक के ट्वीट का न जवाब मिलता है, न कोई कार्यवाही होती है और टेलीफोन / शिकायत नंबर तो मिलेगा ही नहीं और यदि नंबर मिल भी गया तो /नो रिप्लाई'!
अब हम मुख्यमंत्री जी , उनके मंत्रिमंडल और उनके कार्यालय को दोष क्यों दें, लोग बेहाल हों या त्रस्त, उन्हें तो राष्ट्र के नौ वर्ष की विकाश-गाथा गाने से फुर्सत मिले तब न कुछ सोचें।
जहां तक हम जानते हैं कि, 'सच' को न किसी प्रमाण की आवश्यकता होती है और न प्रचार की।
-:सच्चिदा नन्द श्रीवास्तव, संपादक:-
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