76वीं विश्व स्वास्थ्य सभा
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने "हील इन इंडिया एंड हील बाय इंडिया" पर मुख्य भाषण दिया
हील इन इंडिया और हील बाय इंडिया 'वन अर्थ, वन हेल्थ' की कल्पना और वैश्विक समुदाय की सेवा करने पर आधारित हैं: डॉ. मनसुख मांडविया
"भारत दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति, आयुर्वेद का घर है, इसकी अनूठी ताकत सामने के साथ, दुनिया भर में आयुष उपचार की मांग बढ़ी है"
"भारत ने कोविड टीकाकरण की अकल्पनीय गति हासिल की है भारत में अब तक 2.20 बिलियन से अधिक खुराक दी जा चुकी है। 'वैक्सीन मैत्री' पहल के माध्यम से लाखों टीके दुनिया के साथ साझा किए गए"
नई दिल्ली (PIB): केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, डॉ. मनसुख मांडविया ने जिनेवा में 76वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में "हील इन इंडिया एंड हील बाय इंडिया" के दौरान आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य भाषण दिया। उनके साथ स्वास्थ्य मंत्रालय के विशेष सचिव श्री एस. गोपालकृष्णन भी थे।
सभा को संबोधित करते हुए, डॉ मांडविया ने कहा कि “एक पृथ्वी-एक स्वास्थ्य की कल्पना और वैश्विक समुदाय की सेवा करने के लिए, भारत सरकार ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में स्वास्थ्य कार्यबल गतिशीलता और रोगी गतिशीलता के सहयोग से मूल्य-आधारित स्वास्थ्य सेवा की पहल की है।" उन्होंने कहा, "हील बाय इंडिया’' पहल को 'वसुधैव कुटुम्बकम' (विश्व एक परिवार है) के भारतीय दर्शन के अनुसार दुनिया की सेवा करने के लिए भारत से दुनिया के विभिन्न हिस्सों में स्वास्थ्य कार्यबल की गतिशीलता बढ़ाने के इरादे से तैयार किया गया है, जबकि 'हील इन इंडिया' पहल भारत में दुनिया को "एकीकृत और समग्र उपचार" प्रदान करना चाहती है और विश्वस्तरीय, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच के लिए रोगी की गतिशीलता बढ़ाती है"।
डॉ. मांडविया ने बताया कि "भारत दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणाली, आयुर्वेद का घर है। इसकी अनूठी ताकत सामने आने के साथ, आयुर्वेद, योग, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी जैसे आयुष उपचारों की मांग दुनिया भर में बढ़ी है और यहां इनको बढ़ावा मिला है”।
भारत की जी20 की अध्यक्षता में "एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य" के दर्शन पर प्रकाश डालते हुए, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दोहराया, "जी20 हेल्थ ट्रैक के तहत, भारत ने स्वास्थ्य आपात स्थितियों, रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया को प्राथमिकता दी है जिसमें एक स्वास्थ्य और एंटी-माइक्रोबियल रेसिस्टेंट (एएमआर), सुरक्षित, प्रभावी, गुणवत्तापूर्ण और किफायती चिकित्सा प्रतिउपायों, विश्व स्तर पर फार्मास्युटिकल क्षेत्र के भीतर सहयोग को मजबूत करने, यानी टीके, चिकित्सीय और नैदानिक तथा डिजिटल स्वास्थ्य नवाचारों और समाधानों तक पहुंच में सुधार किया है जिससे निचले स्तर पर सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज और स्वास्थ्य सेवा वितरण में सुधार पर ध्यान दिया जा सके।’’
भारत में हेल्थकेयर इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए किए गए उपायों पर जोर देते हुए, डॉ. मांडविया ने कहा कि "भारत ने कोविड टीकाकरण की एक अकल्पनीय गति हासिल की है और भारत में अब तक 2.20 बिलियन से अधिक खुराक दी जा चुकी है। 'वैक्सीन मैत्री' पहल' के माध्यम से लाखों टीके दुनिया के साथ साझा किए गए थे।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एक लचीला स्वास्थ्य देखभाल इकोसिस्टम बनाने के लिए, भारत ने स्वास्थ्य सेवा के सभी पहलुओं को कवर करने के लिए आयुष्मान भारत पहल शुरू की है। “दुनिया की सबसे बड़ी सरकार द्वारा वित्त पोषित स्वास्थ्य बीमा योजना – आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) 2018 में शुरू की गई थी।1,50,000 आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केन्द्र (एबी-एचडब्ल्यूसी) ) भारत में व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं का वितरण बदल रहे हैं।
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) का उद्देश्य प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा इकोसिस्टम के विभिन्न हितधारकों के बीच की खाई को पाटना है और प्रधानमंत्री-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन का उद्देश्य बीमारी निगरानी प्रणाली तैयार करना, प्रयोगशाला नेटवर्क, देश भर में संक्रामक रोग ब्लॉकों का निर्माण करनाऔर एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण पर जोर देने के साथ अनुसंधान क्षमता में वृद्धि करना है”।
दुनिया भर में स्वास्थ्य प्रणालियों पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव की चर्चा करते हुए, डॉ. मांडविया ने कहा कि "महामारी ने दिखा दिया कि स्वास्थ्य संबंधी खतरे राष्ट्रीय सीमाओं तक सीमित नहीं हैं और इसके लिए एक समन्वित वैश्विक प्रतिक्रिया की आवश्यकता है। यह इस संदर्भ में है कि भारत स्वास्थ्य कर्मियों की क्षमता निर्माण के मामले में समर्थन कर रहा है, साथ ही आगे बढ़ने के लिए डिजिटल तकनीक का उपयोग कर रहा है।”
डॉ. मांडविया ने बैठक में भाग लेने के लिए सभी गणमान्य व्यक्तियों के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया। उन्होंने यह दोहराते हुए अपने संबोधन का समापन किया कि "'सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा' हमारे माननीय प्रधानमंत्री द्वारा "सबका साथ, सबका विकास और सबका प्रयास" के रूप में प्रतिपादित भारत के मार्गदर्शक दर्शन के साथ जुड़ा हुआ है, जिसका अर्थ है 'एक साथ प्रयास करके सामूहिक प्रयासों के माध्यम से समावेशी विकास करना"।
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