'मिशन मोड में पर्यटन का विकास' विषय पर केन्द्रीय बजट के बाद हुए वेबिनार में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ और Youtube पर सजीव प्रसारण जारी
Prime Minister Modi addresses webinar on ‘Developing Tourism in mission mode’
नई दिल्ली (PIB): प्रधानमंत्री कार्यालय ने 'मिशन मोड में पर्यटन का विकास' विषय पर केन्द्रीय बजट के बाद हुए वेबिनार में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ और Youtube पर सजीव प्रसारण जारी किया।
'मिशन मोड में पर्यटन का विकास' विषय पर केन्द्रीय बजट के बाद हुए वेबिनार में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ:
नमस्कार।
इस वेबिनार में उपस्थित सभी महानुभाव का स्वागत है। आज का नया भारत, नए Work-Culture के साथ आगे बढ़ रहा है। इस बार भी बजट की खूब वाहवाही हुई है, देश के लोगों ने इसे बहुत पॉजिटिव तरीके से लिया है। अगर पुराना वर्क कल्चर होता, तो इस तरह के बजट वेबिनार्स के बारे में कोई सोचता ही नहीं। लेकिन आज हमारी सरकार बजट के पहले भी और बजट के बाद भी हर स्टेकहोल्डर के साथ विस्तार से चर्चा करती है, उनको साथ लेकर के चलने का प्रयास करती है। बजट का Maximum Outcome कैसे आए, बजट का Implementation तय समय सीमा के भीतर कैसे हो, जो लक्ष्य बजट में तय किए गए हैं, उन्हें प्राप्त करने में ये वेबिनार एक कैटेलिस्ट की तरह काम करता है। आप भी जानते हैं कि मुझे Head of the Government के तौर पर काम करते हुए 20 साल से भी अधिक समय का अनुभव रहा है। इस अनुभव का एक निचोड़ ये भी है कि जब किसी नीतिगत निर्णय से सभी स्टेकहोल्डर्स जुड़ते हैं तो रिजल्ट भी मनचाहा आता है, समय सीमा के भीतर आता है। हमने देखा है कि बीते कुछ दिनों में जो वेबिनार हुए उसमें हजारों लोग हमारे साथ जुड़े दिन भर सब लोग मिलकर के बहुत ही गहन मंथन करते रहे और मैं कह सकता हूं कि बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव आए और आगे के लिए आए। जो बजट है उसी पर ध्यान केंद्रित किया और उसी में से कैसे आगे बढ़ा जाए बहुत उत्तम सुझाव आए। अब आज हम देश के टूरिज्म सेक्टर के कायाकल्प के लिए ये बजट वेबिनार कर रहे हैं।
साथियों,
भारत में हमें टूरिज्म सेक्टर को नई ऊंचाई देने के लिए Out of The Box सोचना होगा और Long Term Planning करके चलना होगा। जब भी कोई टूरिस्ट डेस्टिनेशन को विकसित करने की बात आती है तो कुछ बातें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं, जैसे उस स्थान का Potential क्या है? Ease of Travel के लिए वहां की Infrastructural Need क्या है, उसे कैसे पूरा करेंगे? इस पूरे टूरिस्ट डेस्टिनेशन को प्रमोशन के लिए हम और क्या-क्या नए तरीके अपना सकते हैं। इन सारे सवालों का जवाब आपको भविष्य का रोडमैप बनाने में बहुत मदद करेगा। अब जैसे हमारे देश में टूरिज्म का पोटेंशियल बहुत ज्यादा है। कोस्टल टूरिज्म, Beach टूरिज्म, Mangrove टूरिज्म, हिमालयन टूरिज्म, एडवेंचर टूरिज्म, वाइल्डलाइफ टूरिज्म, Eco टूरिज्म, हेरीटेज टूरिज्म, स्पीरिचुअल टूरिज्म, वेडिंग डेस्टिनेशन, कॉन्फ्रेंसस के द्वारा टूरिज्म, स्पोर्टस के द्वारा टूरिज्म ऐसे अनेक क्षेत्र हैं। अब देखिए रामायण सर्किट, बुद्ध सर्किट, कृष्णा सर्किट, नार्थ ईस्ट सर्किट, गांधी सर्किट, सब हमारे महान गुरू परंपरा हुई उनके सारे तीर्थ क्षेत्र पूरा पंजाब भरा पड़ा है। हमें इन सभी को ध्यान में रखते हुए मिलकर के काम करना ही है। इस वर्ष के बजट में देश में कंपीटिटिव स्पीरिट से, चैलेंज रूट से देश के कुछ टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स को डेवलपमेंट के लिए select करने की बात कही गई है। ये चैलेंज हर स्टेकहोल्डर को साथ मिलकर प्रयास करने के लिए प्रेरित करेगा। बजट में टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स इसके एक holistic development पर भी फोकस किया गया है। इसके लिए अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स को हम कैसे एंगेज कर सकते हैं, इस पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए।
साथियों,
जब हम टूरिज्म की बात करते हैं, तो कुछ लोगों को लगता है कि एक फैंसी सा शब्द है, समाज के High Income Group से और उन्हीं लोगों को Represent करता है। लेकिन भारत के संदर्भ में देखें तो टूरिज्म का दायरा बहुत बड़ा है, बहुत पुराना है। सदियों से हमारे यहां यात्राएं होती रही हैं, ये हमारे सांस्कृतिक-सामाजिक जीवन का हिस्सा रहा है। और वो भी जब संसाधन नहीं थे, यातायात की व्यवस्था ही नहीं थी, बहुत कठिनाई होती थी। तब भी कष्ट उठाकर लोग यात्राओं पर निकल पड़ते थे। चारधाम यात्रा हो, द्वादश ज्योर्लिंग की यात्रा हो, 51 शक्तिपीठ की यात्रा हो, ऐसी कितनी ही यात्राएं हमारे आस्था के स्थलों को जोड़ती थीं। हमारे यहां होने वाली यात्राओं ने देश की एकता को मजबूत करने का भी काम किया है। देश के कितने ही बड़े-बड़े शहरों की पूरी अर्थव्यवस्था, उस पूरे जिले की पूरी अर्थव्यवस्था यात्राओं पर ही निर्भर थी। यात्राओं की इस पुरातन परंपरा के बावजूद, दुर्भाग्य ये रहा कि इन स्थानों पर समय के अनुकूल सुविधाएं बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया गया। पहले सैकड़ों वर्षों की गुलामी और फिर आजादी के बाद के दशकों में इन स्थानों की राजनीतिक उपेक्षा ने देश का बहुत नुकसान किया।
अब आज का भारत इस स्थिति को बदल रहा है। जब यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ती हैं, तो कैसे यात्रियों में आकर्षण बढ़ता है, उनकी संख्या में भारी वृद्धि होती है और ये भी हम देश में देख रहे हैं। जब वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम का पुनर्निमाण नहीं हुआ था, तो उस समय साल में 70-80 लाख के आसपास ही लोग मंदिर के दर्शन के लिए आते थे। काशी विश्वनाथ धाम का पुनर्निमाण होने के बाद पिछले साल वाराणसी जाने वाले लोगों की संख्या 7 करोड़ को पार कर गई है। इसी तरह जब केदारघाटी में पुनर्निमाण का काम नहीं हुआ था, तो वहां भी सालाना 4-5 लाख लोग ही दर्शन के लिए आते थे। लेकिन पिछले साल 15 लाख से ज्यादा श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन के लिए गए। अगर मेरा गुजरात का पुराना अनुभव है, वहां का भी अनुभव आपसे शेयर करता हूं। गुजरात में पावागढ़ करके एक तीर्थ क्षेत्र है, बड़ौदा के पास। जब वहां का पुनर्निमाण नहीं हुआ था, पुरानी हालत थी, तो मुश्किल से 2 हजार, 5 हजार, 3 हजार इतनी संख्या में लोग आते थे लेकिन वहां जीर्णोद्धार हुआ, कुछ इंफ्रास्ट्रक्चर बना, सुविधाएं बनी तो उस पावागढ़ मंदिर के पुनर्निमाण के बाद, नव निर्माण के बाद करीब-करीब 80 हजार लोग वहां औसतन आते हैं। यानि सुविधाएं बढ़ीं तो इसका सीधा प्रभाव, यात्रियों की संख्या पर पड़ा, टूरिज्म को बढ़ाने के लिए उसके surrounding जो चीजें होती हैं वो भी बढ़ने लग गई हैं। और ज्यादा संख्या में लोगों के आने का अर्थ है, स्थानीय स्तर पर कमाई के ज्यादा अवसर, रोजगार-स्वरोजगार के ज्यादा मौके। अब देखिए दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का भी उदाहरण दूंगा। ये प्रतिमा बनने के बाद एक साल के भीतर ही 27 लाख लोग उसे देखने के लिए पहुंचे। ये दिखाता है कि भारत के विभिन्न स्थलों में अगर Civic Amenities बढ़ाई जाएं, वहां डिजिटल कनेक्टिविटी अच्छी हो, होटल-हॉस्पिटल अच्छे हों, गंदगी का नामो-निशान ना हो, बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर हो, तो भारत के टूरिज्म सेक्टर में कई गुना वृद्धि हो सकती है।
साथियों,
मुझे आपसे बात करते हुए अहमदाबाद शहर में एक कांकरिया तालाब है। उस कांकरिया lake Project के विषय में भी कुछ कहने का मन करता है। अब ये कांकरिया lake प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले वहां आमतौर पर लोग जाते नहीं थे, ऐसे हीं वहां से गुजरना पड़े तो गुजरे नहीं तो वहां कोई जाता ही नहीं था। हमने वहां ना सिर्फ lake का re-development किया बल्कि फूड स्टॉल्स में काम करने वालों का Skill Development भी किया। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही हमने वहां स्वच्छता पर भी बहुत जोर दिया। आप कल्पना कर सकते हैं कि आज वहां Entry Fees होने के बावजूद भी औसतन प्रतिदिन 10 हजार लोग जाते हैं। ऐसे ही तरीकों से हर टूरिस्ट डेस्टिनेशन, अपना एक Revenue Model भी विकसित कर सकता है।
साथियों,
ये वो समय है जब हमारे गांव भी टूरिज्म का केंद्र बन रहे हैं। बेहतर होते इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण हमारे दूर-सुदूर के गांव, अब टूरिज्म के मैप पर आ रहे हैं। केंद्र सरकार ने बॉर्डर किनारे पर बसे जो गांव हैं वहां वाइब्रेंट बार्डर विलेज योजना शुरू की है। ऐसे में होम स्टे, छोटे होटल, छोटे रेस्टोरेंट हो ऐसे अनेक बिजनेस के लिए लोगों को ज्यादा से ज्यादा सपोर्ट करने का काम हम सबको मिलकर के करना है।
साथियों,
आज एक बात मैं भारत आ रहे foreign Tourists के संदर्भ में भी बताऊंगा। आज जिस तरह दुनिया में भारत के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है, भारत आने वाले विदेशी टूरिस्टों की संख्या भी बढ़ रही है। पिछले साल जनवरी में सिर्फ 2 लाख विदेशी टूरिस्ट ही आए थे। जबकि इस साल जनवरी में 8 लाख से ज्यादा विदेशी टूरिस्ट भारत आए। विदेश से जो टूरिस्ट भारत आ रहे हैं, हमें उन्हें भी Profile करके अपना टारगेट ग्रुप तय करना होगा। विदेश में रहने वाले वो लोग जिनमें ज्यादा से ज्यादा खर्च करने की क्षमता होती है, हमें उन्हें ज्यादा से ज्यादा संख्या में भारत लाने के लिए विशेष रणनीति बनाने की आवश्यकता है। ऐसे टूरिस्ट भले ही कम दिन भारत में रहेंगे लेकिन ज्यादा राशि खर्च करके जाएंगे। आज जो विदेशी टूरिस्ट भारत आते हैं वो औसतन 1700 डॉलर खर्च करते हैं। जबकि अमेरिका में international traveler औसतन 2500 डॉलर और ऑस्ट्रेलिया में करीब 5 हजार डॉलर खर्च करते हैं। भारत में भी high spend tourists को ऑफर करने के लिए बहुत कुछ है। हर राज्य को इस सोच के साथ भी अपनी टूरिज्म पॉलिसी में बदलाव करने की जरूरत है। अब जैसे मैं आपको एक और उदाहरण दूंगा। सामान्य तौर पर कहा जाता है कि सबसे ज्यादा किसी स्थान पर रूकने वाला जो टूरिस्ट होता है- वो Bird Watcher होता है। ये लोग महीनों-महीनों किसी देश में डेरा डाले रहते हैं। भारत में इतने भांति-भांति प्रकार के पक्षी हैं। हमें ऐसे Potential Tourists को भी Target करके अपनी नीतियां बनानी होंगी।
साथियों,
इन सब प्रयासों के बीच, आपको टूरिज्म सेक्टर की एक बेसिक चुनौती पर भी काम करना है। ये है हमारे यहां प्रोफेशनल टूरिस्ट गाइड्स की कमी। गाइड्स के लिए स्थानीय कॉलेजों में सर्टिफिकेट कोर्स हो, कंपटीशन हो, बहुत अच्छे नौजवान इस प्रोफेशन में आगे आने के लिए मेहनत करेंगे और हमें शानदार अनेक भाषा बोलने वाले अच्छे टूरिस्ट गाइड मिलेंगे। उसी प्रकार से डिजिटल टूरिस्ट गाइड भी तो अवेलेबल है, टेक्लोनॉजी का उपयोग करके भी कर सकते हैं। किसी एक विशेष टूरिस्ट डेस्टिशन में जो गाइड्स काम कर रहे हैं, उनकी एक Specific Dress या वर्दी भी होनी चाहिए। इससे लोगों को पहली नजर में ही पता चल जाएगा कि सामने वाला जो व्यक्ति है वो टूरिस्ट गाइड है औऱ वो हमारी इस काम में मदद करेगा। हमें ये याद रखना होगा कि जब कोई भी टूरिस्ट किसी स्थान पर पहुंचता है तो उसके मन में सवालों का भंडार भरा होता है। वो अनेक सवालों के तत्काल समाधान चाहता है। ऐसे में गाइड उन सभी सवालों के जवाब खोजने में उनकी मदद कर सकता हैं।
साथियों,
मुझे विश्वास है, इस वेबिनार के दौरान आप टूरिज्म से जुड़े हर पहलू पर गंभीरता से विचार करेंगे।
आप बेहतर सोल्युशंस के साथ सामने आएंगे। और मैं एक और बात कहना चाहता हूं जैसे टूरिज्म के लिए मान लीजिए हर राज्य एक या दो बहुत ही अच्छे टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर जोर लगाता है, एक शुरूआत कैसे कर सकते हैं। हम तय करें कि स्कूल से बच्चे जो टूरिस्ट के रूप में निकलते हैं, हर स्कूल टूरिस्ट करते ही हैं, यात्रा के लिए निकलते ही हैं 2 दिन, 3 दिन के कार्यक्रम बनाते हैं। तो आप तय कर सकते हैं के भई फलाने डेस्टिनेशन में शुरू में हर दिन 100 स्टूडेंट्स आएंगे, फिर per day 200 आएंगे, फिर per day 300 आएंगे, फिर per day 1000 आएंगे। अलग-अलग स्कूल के आए वो खर्चा करते ही हैं। यहां जो लोग हैं, उनको लगेगा कि इतनी बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं चलो ये व्यवस्था खड़ी करो, ये दुकान खड़ी करो, पानी की व्यवस्था करो, अपने आप शुरू हो जाएगा। अगर मान लीजिए हमारे सभी राज्य तय करें कि नार्थ-ईस्ट के अष्ट लक्ष्मी हमारे 8 राज्य हैं। हम हर वर्ष 8 यूनिवर्सिटी हर राज्य में तय करें और हर यूनिवर्सिटी नार्थ-ईस्ट के एक राज्य में 5 दिन, 7 दिन टूर करेगी, दूसरी यूनिवर्सिटी दूसरे राज्य में टूर करेगी, तीसरी यूनिवर्सिटी तीसरे राज्य में टूर करेगी। आप देखिए आपके राज्य में 8 यूनिवर्सिटी ऐसी होगी जहां के हमारे युवकों को नार्थ-ईस्ट के 8 राज्यों का पूरा अता-पता होगा।
उसी प्रकार से आजकल वेडिंग डेस्टिनेशन एक बहुत बड़ा बिजनेस हुआ है, बहुत बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बना है। विदेशों में लोग जाते हैं, क्या हमारे राज्यों में वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में स्पेशल पैकेज घोषित कर सकते हैं और मैं तो कहूंगा कि हमारे देश में एक वातावरण बनाना चाहिए कि गुजरात के लोगों को लगना चाहिए कि भई 2024 में अगर हमारे यहां से शादियों के लिए वेडिंग डेस्टिनेशन होगा तो तमिलनाडु में होगा और तमिल पद्धति से हम शादी करवाएंगे। घर में 2 बच्चें हैं तो कोई सोचेगा कि एक हम असमिया पद्धति से शादी करवाना चाहते हैं, दूसरे कि हम पंजाबी पद्धति से शादी करवाना चाहते हैं। वेडिंग डेस्टिनेशन वहां बना देंगे। आप कल्पना कर सकते हैं, वेडिंग डेस्टिनेशन इतने बड़े कारोबार की संभावना है। हमारे देश के टॉप क्लास के लोग विदेश जाते होंगे, लेकिन मिडिल क्लास अपर मिडिल क्लास के लोग आजकल वेडिंग डेस्टिनेशन पर जाते हैं और उसमें भी जब नयापन होता है तो उनकी जिंदगी में यादगार हो जाता है। हम इस दिशा का अभी तक उपयोग नहीं कर रहे, कुछ गिने-चुने स्थान अपने तरीके से करते हैं। उसी प्रकार से कॉन्फ्रेंन्सेस आज दुनिया के लोग कॉन्फ्रेंस के लिए आते हैं। हम ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करें public private partnership से करें, लोगों को कहे जमीन की कुछ ऐसी व्यवस्थाएं करें तो कॉन्फ्रेंन्सेस के लिए लोग आएंगे, आएंगे तो वो होटल में भी रूकेंगे hospitality industry भी बढ़ेगी। यानि एक पूरा eco-system develop हो जाएगा। उसी प्रकार से sports tourism बहुत क्षेत्र है, हम invite करें। अब देखिए अभी कतर में फुटबाल मैच हुआ पूरी दुनिया का कतर की economy में बहुत बड़ा प्रभाव हुआ उसका, दुनिया भर के लोग आए लाखों लोग आए। हम छोटे से शुरू करें, बहुत बड़ा हो सकता है। हमें इन तरीकों को ढूंढना होगा, उसके लिए फिर इंफ्रास्ट्रक्चर शुरू में लोग आए न आए, हम अपने स्कूल के बच्चों, कॉलेज के बच्चों हमारे सरकार की मीटिंगों के लिए वहां जाना। अगर हम अपने एक डेस्टिनेशन को महत्व देना शुरू करेंगे तो अपने आप और लोग भी आना शुरू करेंगे और फिर वहां की व्यवस्थाएं बनेंगी। मैं चाहता हूं कि भारत में कम से कम 50 टूरिस्ट डेस्टिनेशन ऐसे हमें डेवलप करने चाहिए कि दुनिया के हर कोने में पता हो कि अगर भारत जाते हैं तो इस जगह पर तो जाना ही चाहिए। हर राज्य को गर्व होना चाहिए कि दुनिया के इतने देश के लोग मेरे यहां आते हैं। दुनिया के इतने देशों को हम टारगेट करेंगे। हम वहां की एम्बेसी को लिटरेचर भेजेंगे, वहां की एम्बेसी को हम कहेंगे कि देखिए आप टूरिस्टों के लिए मदद चाहते हैं तो हम ये-ये मदद करते हैं। हमें पूरी व्यवस्था हमारे जो टूर ऑपरेटर्स हैं उनसे भी मेरा आग्रह है कि आपको नए सिरे से सोचना होगा हमें हमारी एप्स, हमारी डिजिटल कनेक्टिविटी इन सबको बहुत आधुनिक बनाना होगा और हमारा कोई टूरिस्ट डेस्टिनेशन ऐसा नहीं होना चाहिए जिसकी एप्स यूएन की सभी languages में न हो और भारत की सभी languages में न हो। अगर हम सिर्फ अंग्रेजी और हिंदी में हमारी वेबसाइट बना देंगे तो संभव नहीं होगा। इतना ही नहीं हमारे टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर साइनेजिज सभी भाषाओं के होने चाहिए। अगर तमिल का कोई सामान्य परिवार आया है, बस लेकर के चला है और वहां पर उसको तमिल में अगर साइनेजिज मिल जाते हैं तो वह बड़ी आसानी से पहुँच जाता है। छोटी-छोटी चीजें हैं जी, हम एक बार अगर इसके महात्मय को समझेंगे तो हम अवश्य रूप से टूरिज्म को वैज्ञानिक तरीके से आगे बढ़ा सकते हैं।
मैं आपसे आशा करता हूं कि आज के इस वेबिनार में और विस्तार से चर्चा करिए और रोजगार के बहुत सारे अवसर जैसे agriculture में है, जैसे real estate development और infrastructure में है, textile में है उतनी ही ताकत टूरिज्म के अंदर रोजगार की है, बहुत अवसर है। मैं आपको निमंत्रण देता हूं और आपको इस आज के वेबिनार के लिए बहुत शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।
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