रॉकी के किरदार ने मेरी पहचान बनाई: शाहमीर खान
ऊंची उड़ान भरने को तैयार शाहमीर खान: अनिल 'बेदाग'
मुंबई: अक्सर यह देखने में आया है कि धारावाहिक में नेगेटिव किरदार निभा रहे कलाकार को भी दर्शकों द्वारा हाथों हाथ लिया जाता है। इसकी अहम वजह यह होती है कि लोग उसके काम के नहीं पर उसकी अदाकारी के दीवाने होते हैं। लोगों को दीवाना बना देने वाले ऐसे कलाकारों की सूची में अब शाहमीर खान ने भी अपना नाम दर्ज करवा लिया है।
शेमारू चैनल पर प्रसारित हो रहे धारावाहिक "क्योंकि तुम ही हो" में शाहमीर द्वारा रॉकी का किरदार निभाया गया है। रॉकी अपनी मर्जी का मालिक है और जिस चीज पर उसका दिल आ जाये उसे पाकर ही वह दम लेता है। ऐसे जक्की स्वभाव वाले रॉकी का दिल अपनी ही भाभी पर आ जाता है। भाभी पर उसकी बुरी नजर है और इस चक्कर में वह अपने ही भाई का दुश्मन बन जाता है। बड़े भाई की यह भूमिका यहां अमर उपाध्याय द्वारा निभायी गयी है और वे इस घारावाहिक के निर्माता भी हैं। रॉकी के किरदार को मिल रही शोहरत में वे अमर उपाध्याय के योगदान को अहम मानते हैं। इस बारे में वे कहते हैं, "अमर उपाध्याय को अभिनय का तगड़ा अनुभव है। वे सेट पर मुझे सलाह देते रहते हैं कि फलां सीन में मुझे कैसे हाव-भाव देने होंगे। रॉकी के किरदार में निखार लाने के लिये उनका मार्गदर्शन महत्वपूर्ण रहा है। बड़ी बात यह भी है कि कलाकार के तौर पर उनमें असुरक्षा की भावना कतई नहीं है। निर्माता के तौर पर वे यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि किरदार हिट होगा तो धारावाहिक भी हिट होगा, इसलिये वे रॉकी के किरदार को उभारने के लिये सुझाव देते रहते हैं।"
रॉकी की यह महत्वपूर्ण भूमिका शाहमीर को काफी संघर्ष करने के पश्चात मिली। जब वे दिल्ली में थे तो निर्देशक मुजफ्फर अली के सहायक थे और उनके म्यूजिकल शो के निर्देशन में हाथ बंटाते थे। फिर अभिनय में नाम-दाम कमाने के इरादे से मुंबई आ गये। यहां आकर पता चला कि फिल्मों में काम पाना कितना मुश्किल है। काफी संघर्ष करने के बाद भी कहीं कोई चांस नहीं मिला तो वे सहायक निर्देशक बन गये। 'इशकजादे' 'लूटेरा' समेत कई फिल्मों में सहायक निर्देशक के तौर पर काम किया और कई एड फिल्मों के निर्देशन में भी योगदान दिया। अभिनय में कहीं कोई बात बनती न देख वे दिल्ली लौट गये और कामर्शियल पायलट बनने का निर्णय ले लिया। इसके लिये बाकायदा ट्रेनिंग लेनी भी शुरू कर दी पर उनका मन फिल्मों में ही अटका रहा। आखिर एक दिन वे मुजफ्फर अली के कुछ सहायकों से रेफरंस लेकर फिर मुंबई आ गये। अबकी बार सोचा कि फिल्म न सही तो धारावाहिकों के लिये कोशिश की जाये। निर्माता सुहेल जैदी से पुराना परिचय था और वे भी 'क्योंकि तुम ही हो' के एक निर्माता हैं। सुहेल की बदौलत उन्हें यह सीरियल मिला और बात बन गयी।
दूसरी पारी में मिली सफलता से शाहमीर खूब खुश हैं। वे कहते हैं, "आखिर उपरवाले ने सुन ली। जब संघर्ष कर रहा था तो तय कर रखा था कि छोटे रोल नहीं करूंगा। गर छोटे रोल करता तो उसी में फंसा रहता। मैं जो पहचान बनाना चाहता था , वह रॉकी की बदौलत बन पायी है। इस किरदार को निभाने के लिये मुझे दिल्ली के लड़कों वाला स्वैग भी खूब काम आया। हां, संवादों में दिल्ली वाला टच न आ जाए इस वजह से भाषा व उच्चारण पर मेहनत करनी पड़ी। मैं शाहरुख खान से खूब प्रभावित हूं। वे दिल्ली के हंस राज कॉलेज के छात्र थे सो मैं भी उस कॉलेज मे जाकर काफी समय बिताता और सोचता कि शाहरुख यहाँ क्या कुछ करते होंगे। उनकी तरह मैंने भी सीरियल से अपनी शुरूआत की है और उनके जैसा नाम कमाना चाहता हूँ। उपरवाले से यही दुआ मांगता हूँ कि अच्छा काम मिलता रहे। अपनी ओर से मेहनत करने में में कोई कमी नहीं रहने दूंगा।"
यानि कभी पायलट की ट्रेनिंग ले रहे शाहमीर ने अब ऊंची उड़ान भरने की तैयारी कर ली है।
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