यूक्रेन के परमाणु ऊर्जा संयंत्र के पास गोलाबारी की खबरों पर भारत ने चिंता जताई: भाषा
नई-दिल्ली (भाषा): भाषा द्वारा जारी समाचारों में 'यूक्रेन के परमाणु ऊर्जा संयंत्र के पास गोलाबारी की खबरों पर भारत ने चिंता जताई' शीर्षक से जारी खबरों में बताया गया है कि, भारत ने यूक्रेन में जापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र के इस्तेमाल हो चुके ईंधन भंडारण केंद्र के पास गोलाबारी की खबरों को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसके नतीजे लोगों के लिए ‘‘गंभीर’’ हो सकते हैं। साथ ही नयी दिल्ली ने परमाणु केंद्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आपसी संयम बरतने का आह्वान भी किया है।
संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था के प्रमुख ने बृहस्पतिवार को सुरक्षा परिषद की एक आपातकालीन बैठक में कहा कि यूक्रेन में जापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निकट लड़ाई से केंद्र को कुछ नुकसान हुआ है और उन्होंने तत्काल एक निरीक्षण मिशन को संयंत्र का दौरा करने की अनुमति देने का आह्वान किया।
यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में खुली बैठक में संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा, ‘‘हम यूक्रेन के परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों और केंद्रों की संरक्षा और सुरक्षा के संबंध में घटनाक्रम का सावधानीपूर्वक अवलोकन कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत इन केंद्रों की रक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करने को अत्यंत महत्व देता है, क्योंकि परमाणु केंद्रों से जुड़ी किसी भी दुर्घटना का लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर परिणाम हो सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम आपसी संयम बरतने का आह्वान करते हैं ताकि परमाणु केंद्रों की रक्षा और सुरक्षा को खतरा न हो।’’
इससे पूर्व अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के महानिदेशक राफेल मारियानो ग्रॉसी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठक में कहा कि पांच अगस्त को यूरोप के सबसे बड़े जापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर गोलाबारी की गई, जिससे बिजली के स्विचबोर्ड के पास कई विस्फोट हुए और बिजली बंद हो गई।
यूक्रेन ने आईएईए को सूचित किया है कि देश के 15 परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों में से 10 वर्तमान में ग्रिड से जुड़े हैं। इनमें से जापोरिज्जिया परमाणु संयंत्र में दो, रिव्ने एनपीपी में तीन, दक्षिण यूक्रेन एनपीपी में तीन और खमेलनित्स्की एनपीपी में दो रिएक्टर हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने दक्षिणी यूक्रेन में जापोरिज्जिया संयंत्र और उसके आसपास की स्थिति को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है और सभी संबंधित लोगों से ‘‘विवेक’’ का इस्तेमाल करने और ऐसी कोई भी कार्रवाई नहीं करने की अपील की है जो परमाणु ऊर्जा संयंत्र की संरक्षा या सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है।
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के एक प्रवक्ता ने कहा कि अफसोस की बात है कि पिछले कई दिनों में तनाव कम करने के बजाय, ऐसी और भी चिंताजनक घटनाओं की खबरें आई हैं जो अगर जारी रहीं तो आपदा का कारण बन सकती हैं।
प्रवक्ता ने कहा, ‘‘महासचिव ने संयंत्र के आसपास की सभी सैन्य गतिविधियों को तुरंत बंद करने और इसके केंद्रों या आसपास के क्षेत्र को निशाना नहीं बनाने का आह्वान किया। उन्होंने संयंत्र से सैन्य कर्मियों और उपकरणों को वापस बुलाने और आगे इस तरह की किसी भी तैनाती से बचने का आग्रह किया।’’
गुतारेस ने कहा कि इस केंद्र का इस्तेमाल किसी भी सैन्य अभियान के तहत नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक सुरक्षित परिधि को लेकर तकनीकी स्तर पर तत्काल समझौते की आवश्यकता है।
कंबोज ने रेखांकित किया कि भारत आईएईए के कानून के मुताबिक उसके प्रभावी, गैर-भेदभावपूर्ण और कुशल तरीके से सुरक्षा उपायों और निगरानी गतिविधियों के निर्वहन को उच्च प्राथमिकता देता है। उन्होंने कहा कि भारत इस मुद्दे पर आईएईए के प्रयासों को महत्व देता है।
गुतारेस ने कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि जापोरिज्जिया या यूक्रेन में या कहीं और किसी भी अन्य परमाणु केंद्रों को किसी भी तरह का संभावित नुकसान न केवल तत्काल आसपास के क्षेत्र के लिए बल्कि क्षेत्र और उससे आगे के लिए भी विनाशकारी परिणाम हो सकता है। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है।’’
जापोरिज्जिया एनपीपी पर रूस के कब्जे ने फिर से उन आशंकाओं को बढ़ा दिया है कि यूक्रेन के 15 परमाणु रिएक्टरों में से सबसे बड़ा परमाणु केंद्र क्षतिग्रस्त हो सकता है, जिससे दुनिया की सबसे भयावह परमाणु आपदा में से एक 1986 की चेरनोबिल दुर्घटना जैसी एक और आपात स्थिति पैदा हो सकती है। चेरनोबिल परमाणु त्रासदी यूक्रेन की राजधानी कीव से लगभग 110 किलोमीटर उत्तर में हुई थी।
कंबोज ने कहा कि भारत भी यूक्रेन की स्थिति को लेकर चिंतित है। संघर्ष की शुरुआत के बाद से भारत ने लगातार शत्रुता और हिंसा को तत्काल समाप्त करने का आह्वान किया है।
कंबोज ने कहा, ‘‘हमने दोनों पक्षों से कूटनीति और बातचीत के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया है। हम संघर्ष को समाप्त करने के सभी राजनयिक प्रयासों का समर्थन करते हैं।’’
कंबोज ने कहा, ‘‘हमें विकासशील देशों पर विशेष रूप से खाद्यान्न, उर्वरक और ईंधन की आपूर्ति पर यूक्रेन संघर्ष के प्रभाव के बारे में भी पूरी तरह से संज्ञान लेने की आवश्यकता है। यह सभी के लिए महत्वपूर्ण है। जब खाद्यान्न की बात आती है तो हम निष्पक्षता, सामर्थ्य और पहुंच के महत्व की सराहना करते हैं।’’
इस संबंध में, भारत ने काला सागर के माध्यम से यूक्रेन से अनाज का निर्यात बहाल करने और रूसी खाद्य और उर्वरकों के निर्यात की सुविधा के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव समर्थित पहल का स्वागत किया।
कंबोज ने कहा, ‘‘इन प्रयासों से पता चलता है कि मतभेदों को निरंतर बातचीत और कूटनीति के माध्यम से सुलझाया जा सकता है, जो भारत लगातार कहता रहा है।’’
भारत ने दोहराया कि वैश्विक व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और राष्ट्रों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान पर टिकी होनी चाहिए।
[साभार- पीटीआई-भाषा संवाददाता (योषिता सिंह)]
swatantrabharatnews.com