
11 अप्रैल को I O L की स्थापना दिवस पर दी बधाई - आजादी के 75 वर्षों में भी देश के सबसे बड़े उद्योग- भारतीय रेल में वेतनबोर्ड क्यों नहीं और रेल व रेल की जमीनें बिकने के कगार पर क्यों: एस. एन. श्रीवास्तव, महामंत्री, रेल सेवक संघ
15 अगस्त 1947 को प्राप्त आजादी के 75 वर्षों में भी देश के सबसे बड़े उद्योग- भारतीय रेल में वेतन बोर्ड क्यों नहीं और रेल व रेल की जमीनें बिकने के कगार पर क्यों?-
*1. वेतनबोर्ड क्यों नहीं?-
*2. 1974 का हड़ताल_बिफल क्यों?-
*3. रेल का निजीकरण_क्यों?-
-:एस एन श्रीवास्तव, महामंत्री, रेल सेवक संघ:-
लखनऊ: 11 अप्रैल 2022 को रेल सेवक संघ के महामंत्री- एस. एन. श्रीवास्तव ने रेल सेवक संघ की तरफ से अंतर्राष्ट्रीय श्रम-संगठन दिवस (IOL) की स्थापना दिवस पर बधाई दी तथा विश्व की महिलाओं के लिए प्रेरणा श्रोत- स्वर्गीय श्रीमती कस्तूरबा गाँधी और गरीबों, पिछड़ों के प्रेरणाश्रोत- महात्मा फुले एवं ”ज्योतिबा फुले' के नाम से प्रसिद्ध 'गोविंदराव' के जयंती पर सभी रेल कर्मचारियों और रेल सेवक संघ की तरफ से शत-शत नमन-बंदन प्रस्तुत किया।
सोमवार को रेल सेवक संघ के महामंत्री - एस. एन. श्रीवास्तव ने रेल कर्मचारियों को सोशल मीडिया के माध्यम से आगाह किया है कि, रेल कर्मचारी यदि अभी भी सचेत नहीं हुए तो रेल कर्मचारी निजी हाथों में बंधुआ मजदूर बन कर रह जायेंगे।
महामंत्री - एस. एन. श्रीवास्तव ने रेल कर्मचारियों को आगाह करते हुए कहा कि, गम्भीरता पूर्वक विचार करिये (सोचिए) कि, 15 अगस्त 1947 को प्राप्त आजादी के 75 वर्षों में भी देश के सबसे बड़े उद्योग- भारतीय रेल में वेतन बोर्ड क्यों नहीं और रेल व रेल की जमीनें बिकने के कगार पर क्यों ?-
*1. आज 75 वर्षों में भी वेतन बोर्ड गठित क्यों नहीं हुआ जबकि, 2nd.NCL ने सीमेन्ट आदि उद्योग की तरह रेलवे में भी वेतनबोर्ड गठित करने की रिकमेंडेशन की थी जिसेभारत सरकार ने स्वीकार किया था?-
*2. 1974 का हड़ताल विफल क्यों हुआ और किसने की गद्दारी?-
*3. रेल का निजीकरण क्यों हो रहा है और अब इस वर्ष 2022-23 में रेलवे के लगभग 1.5 एकड़ जमीन को बेचने का प्रस्ताव क्यों?-
एस. एन. श्रीवास्तव ने रेल कर्मचारियों को बताया कि, इन सब का कारण- यूनियनों को मान्यता देकर & PREM का गठन व अधीनस्थ-इंचार्जों को नेता बना कर संघर्षशील कर्मचारियों को सुविधाभोगी + कामचोर बनाना है!
एस. एन. श्रीवास्तव ने रेल कर्मचारियों से कहा कि, आज रेल बचाने का एक ही रास्ता और एक ही विकल्प बचा है और वह है:-
*कार्य के प्रति पूर्ण समर्पण + कठिन परिश्रम, गलत के बिरुद्ध आवाज + एकता, संघर्ष / आन्दोलन!
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औद्योगिक विवाद अधिनियम १९४७ (I.D.Act 1947) में परिभाषित "कर्मचारी / वर्कमैन (WORKMAN)" की पूरे भारतीय रेल में एक मात्र रजिस्टर्ड यूनियन- रेल सेवक संघ (रजिस्टर्ड) ही है।
उन्होंने बताया कि, अधीनस्थ इंचार्ज (सबोर्डिनेट इंचार्ज) मूलतः एक यूनिट का जूनियर प्रशासनिक अधिकारी होता है जो कर्मचारी की श्रेणी में नहीं आता है बल्कि वह मैनेजर की श्रेणी में आता है परन्तु 'रेलवे' यूनियन की मान्यता के नाम पर कर्मचारियों को धोखा दे रहा है तथा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (IOL) को भी धोखा दे रहा है कि उसने "प्रेम (PREM)" का गठन करके कर्मचारियों की भागेदारी प्रबंधन में सुनिश्चित करके कार्य-स्थल पर लोकतंत्र स्थापित कर दिया है जो सफ़ेद झूठ और धोखा है क्योकि "प्रेम (PREM)" में रेल प्रबंधन ने मान्यता-प्राप्त यूनियन के साथ सांठ-गांठ करके अपने ही नुमाइंदे स्थापित कर दिए हैं, जिससे आज रेल कि यह दुर्दशा हो चुकी है।
एस.एन.श्रीवास्तव, महामंत्री ने बताया कि, रेल सेवक संघ ने प्रत्येक आंदोलन में सदैव सफलता पाई है तथा "विश्व में पहली बार भ्रष्ट-अधिकारियों की फोटो-प्रदर्शनी" उ.म.रे. के मुख्यालय- सूबेदार गंज, प्रयागराज (भारतीय रेल) में लगा कर विश्व-रिकॉर्ड बना चुकी है अतैव आज रेल कर्मचारी बहनों एवं भाइयों से कहना चाहूंगा कि, आज 11 अप्रैल 2022 - अंतर्राष्ट्रीय श्रम-संगठन दिवस (IOL) की स्थापना दिवस पर तथा विश्व की महिलाओं के लिए प्रेरणा श्रोत- स्वर्गीय श्रीमती कस्तूरबा गाँधी और गरीबों, पिछड़ों के प्रेरणाश्रोत- महात्मा फुले एवं ”ज्योतिबा फुले' के नाम से प्रसिद्ध 'गोविंदराव' के जयंती पर पूर्ण रूप से समर्पित होकर अपनी ड्यूटी करने तथा अपने अधिकारों को पाने व सुरक्षित रखने के लिए भारतीय रेलवे के एक मात्र "कर्मचारियों / वर्कमैन" के रजिस्टर्ड यूनियन - रेल सेवक संघ के सदस्य बनें और अपनी यूनियन को शक्तिशाली बनायें।
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