विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव ने विभिन्न देशों की अग्रणी विशेषज्ञताओं का फायदा उठाने के लिए सहयोग करने पर ध्यान केंद्रित करने को कहा
दिल्ली (PIB): डॉ. एस चंद्रशेखर, सचिव विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार ने विभिन्न देशों की अग्रणी विशेषज्ञता से फायदा उठाने के लिये सहयोगी पहलों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया। जीआईटीए के 10वें स्थापना दिवस समारोह में उन्होंने कहा, ’’भारतीय व्यवसायों और स्टार्ट-अप को उन प्रमुख देशों के साथ काम करने की आवश्यकता है जो विश्व स्तरीय प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में विशेषज्ञ हैं और इस पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।’’
द्विपक्षीय शैक्षणिक उद्योग और सरकारी सहयोग को बढ़ावा देकर नवाचार और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास के 10 साल पूरे करने के लिए ग्लोबल इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी एलायंस (जीआईटीए) को बधाई देते हुए डॉ. चंद्रशेखर ने इन सहयोगी गतिविधियों को और अधिक देशों में ले जाने के लिए हितधारकों के साथ मजबूत अनुबंध की आवश्यकता पर जोर दिया।
डॉ. चंद्रशेखर ने सफलता की कहानियों को जन-जन तक ले जाने और सामाजिक लाभ के लिए देशभर में प्रौद्योगिकियों के समुचित प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने परियोजनाओं में लोगों की अधिक भागीदारी के लिए कार्यक्रम की दृश्यता बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
रेफ्रिजरेशन वाटर कूलिंग सिस्टम में 25 फीसदी कम बिजली और ऊर्जा स्रोतों की खपत की प्रक्रिया तैयार करने वाली एक परियोजना की सराहना करते हुए सचिव ने कहा कि इस प्रकार की प्रक्रियाओं को प्रचारित करने के लिए पहल की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि भले ही प्रत्येक रेफ्रिजरेटर पर 10 फीसदी बिजली की बचत होती है, विशेष रूप से प्रयोगशालाओं और वैक्सीन उद्योग में जहां भंडारण के लिए -20 डिग्री तक तापमान की आवश्यकता होती है, यह सीधे तौर पर कार्बन तटस्थता तक पहुंचने और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद करेगा।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के बीच एक पीपीपी जीआईटीए के 10वें स्थापना दिवस के समारोह में कुल 7 कंपनियों को जीआईटीए ग्लोबल टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट अवार्ड्स 2021 प्रदान किए गए। लघु श्रेणी में तीन कंपनियों, मध्यम में 2 और वृहत श्रेणी में 2 कंपनियों ने पुरस्कार प्राप्त किया। स्थापना दिवस समारोह 17 फरवरी 2022 को ऑनलाइन आयोजित किया गया। कार्यक्रम की थीम ’सहयोग करें और टिकाऊ भविष्य का निर्माण करें’ पर आधारित रही।
डीएसटी, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और भारी उद्योग विभाग द्वारा वित्त पोषित कुल 9 परियोजनाएं जो पिछले साल सफलतापूर्वक पूरी हुईं, इस कार्यक्रम में प्रदर्शित की गईं।
जीआईटीए बोर्ड के अध्यक्ष श्री दीप कपूरिया ने कहा कि जीआईटीए ने भारतीय नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए एक दृष्टिकोण बनाया है और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास प्रौद्योगिकी में निवेश के जोखिमों को साझा करने के लिए भारत सरकार, भारतीय उद्योग और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के बीच निर्बाध संबंध बनाने में मदद की है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक श्री चंद्रजीत बनर्जी ने अनुसंधान एवं विकास निवेश के साथ-साथ सीमांत क्षेत्रों में बड़े स्तर पर निवेश, विश्व स्तरीय अनुसंधान संस्थान बनाने और बुनियादी ढांचे को सक्षम करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
श्री संजीव के वार्षणेय, प्रमुख, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, डीएसटी, ने विज्ञान के फायदों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए निजी क्षेत्र और सरकार की संयुक्त भूमिका पर जोर दिया और सुझाव दिया कि सभी हितधारकों के बीच विज्ञान में विश्वास विकसित करने के प्रयास किए जाएं।
डीएसटी ने ’डीएसटी-
विनोवा कॉल ऑन स्मार्ट एंड सस्टेनेबल सिटीज एंड ट्रांसपोर्ट सिस्टम्स, क्लीन टेक्नोलॉजीज, आईओटी एंड डिजिटाइजेशन’ में प्राप्त आवेदनों में से 6 संयुक्त परियोजनाओं के चयन के लिए सिफारिशों की घोषणा की, जिसे 5 मार्च 2021 को लॉन्च किया गया था। यह भी घोषणा की गई कि भारत और स्वीडन जल्द ही सर्कुलर इकोनॉमी पर एक नई पहल करेंगे।
स्मार्ट ग्रिड पर भारत-
स्वीडन सहयोगी औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम के तहत संयुक्त रूप से वित्त पोषित होने वाली दो परियोजनाओं को स्वीडन ऊर्जा एजेंसी और डीएसटी, भारत सरकार द्वारा संयुक्त अनुसंधान और नवाचार आह्वान से चयनित घोषित किया गया था।
दिनभर चलने वाला यह कार्यक्रम विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए एक बहु-हितधारक मंच था, जहां डॉ. वी के सारस्वत, सदस्य, एनआईटीए आयोग, चांसलर, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, और पूर्व महानिदेशक, डीआरडीओ के साथ एक विशेष ’फायरसाइड चैट’ का आयोजन किया गया। इजराइल, कोरिया गणराज्य, यूनाइटेड किंगडम, स्वीडन, इटली और कनाडा के साथ 6 देश के सत्रों का अयोजन किया गया और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में ‘सहयोग और टिकाऊ भविष्य का निर्माण’ पर पैनल चर्चा में ताइवान, इजराइल, कनाडा, स्वीडन और यूनाइटेड किंगडम ने भाग लिया।
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