उच्च न्यायालय ने एअर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया को रद्द करने संबंधी स्वामी की याचिका खारिज की
नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एअर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया को रद्द करने का अनुरोध करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता
सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका को बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया। याचिका में आरोप लगाए गए थे कि राष्ट्रीय विमानन के मूल्यांकन का सरकार का तरीका ‘‘मनमाना, गैरकानूनी और जनहित के खिलाफ’’ है।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने आदेश पारित किया। अदालत ने कहा कि विस्तृत आदेश अपलोड किया जाएगा।
पीठ ने कहा, ''डॉ सुब्रमण्यम स्वामी हम इस मामले को खारिज कर रहे है...हम उपर्युक्त कारणों से इस रिट याचिका को खारिज कर रहे हैं।''
भाजपा नेता ने एअर इंडिया विनिवेश प्रक्रिया के संबंध में अधिकारियों द्वारा की गयी किसी भी कार्रवाई या निर्णय या किसी भी प्रकार की मंजूरी, अनुमति या परमिट को रद्द करने का अनुरोध किया था।
अदालत ने 04 जनवरी को स्वामी के साथ ही सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता और टैलेस प्राइवेट लिमिटेड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे की दलीलों को सुना था और फैसला सुरक्षित रख लिया था।
स्वामी ने अधिकारियों की भूमिका और काम के तरीके की जांच भी सीबीआई से कराने का अनुरोध किया था।
इस याचिका का केन्द्र और टैलेस प्राइवेट लिमिटेड के वकीलों ने विरोध किया था।
गौरतलब है कि, पिछले साल अक्टूबर में केंद्र ने एअर इंडिया और एअर इंडिया एक्सप्रेस के 100 प्रतिशत इक्विटी शेयरों के लिए टाटा संस कंपनी द्वारा की गई उच्चतम बोली के साथ ही जमीनी परिचालन देखने वाली कंपनी एआईएसएटीएस में सरकार की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी को स्वीकार कर लिया था। यह पिछले 20 वर्षों में पहला निजीकरण था।
(साभार- भाषा)
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