
पंडित मदन मोहन मालवीय को उनकी जयंती पर समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष- सच्चिदानन्द श्रीवास्तव ने श्रद्धांजलि अर्पित की
लखनऊ: पंडित मदन मोहन मालवीय को उनकी जयंती पर समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष- सच्चिदानन्द श्रीवास्तव ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष- सच्चिदानन्द श्रीवास्तव ने बताया कि, महामना मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर 1861 को हुआ था तथा मृत्यु 12 नवंबर 1946 को हुयी थी। महामना मदन मोहन मालवीय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता तो थे ही, साथ ही साथ वे इस युग के आदर्श पुरुष भी थे। वे भारत के पहले और अन्तिम व्यक्ति थे, जिन्हें महामना की सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया था।
सच्चिदानन्द श्रीवास्तव ने बताया कि, पत्रकारिता, वकालत, समाज सुधार, मातृ भाषा तथा भारतमाता की सेवा में अपना जीवन अर्पण करने वाले इस महामानव ने जिस विश्वविद्यालय की स्थापना की। उसमें उनकी परिकल्पना ऐसे विद्यार्थियों को शिक्षित करके देश सेवा के लिये तैयार करने की थी, जो देश का मस्तक गौरव से ऊँचा कर सकें। मालवीयजी सत्य, ब्रह्मचर्य, व्यायाम, देशभक्ति तथा आत्मत्याग में अद्वितीय थे। इन समस्त आचरणों पर वे केवल उपदेश ही नहीं दिया करते थे अपितु स्वयं उनका पालन भी किया करते थे। वे अपने व्यवहार में सदैव मृदुभाषी रहे।
सच्चिदानन्द श्रीवास्तव ने बताया कि, कर्म ही उनका जीवन था। अनेक संस्थाओं के जनक एवं सफल संचालक के रूप में उनकी अपनी विधि व्यवस्था का सुचारु सम्पादन करते हुए उन्होंने कभी भी रोष अथवा कड़ी भाषा का प्रयोग नहीं किया।
सच्चिदानन्द श्रीवास्तव ने बताया कि, भारत सरकार ने २४ दिसम्बर २०१४ को उन्हें भारत रत्न से अलंकृत किया।