भारतीय रिज़र्व बैंक की दो नवीन ग्राहक केंद्रित पहलों के शुभारंभ पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ
नयी दिल्ली(PIB): प्रधानमंत्री कार्यालय ने विज्ञप्ति के माध्यम से 'भारतीय रिज़र्व बैंक की दो नवीन ग्राहक केंद्रित पहलों के शुभारंभ पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ' जारी किये जिसे उन्ही के शब्दों में प्रस्तुत किया जा रहा है।
भारतीय रिज़र्व बैंक की दो नवीन ग्राहक केंद्रित पहलों के शुभारंभ पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ:
साथियों,
बीते 6-7 वर्षों से, केंद्र सरकार, सामान्य मानवी, उसके हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए काम कर रही है। एक रेग्यूलेटर के तौर पर RBI, अन्य वित्तीय संस्थाओं के साथ लगातार संवाद बनाए रखता है। मुझे खुशी है कि RBI ने भी सामान्य मानवी की सुविधा बढ़ाने के लिए, सामान्य नागरिक को ध्यान में रखते हुए लगातार अनेक कदम उठाए हैं। आज उसमें एक और कदम जोड़ा है। आज जिन दो योजनाओं को लॉन्च किया गया है, उनसे देश में निवेश के दायरे का विस्तार होगा और कैपिटल मार्केट्स को Access करना, निवेशकों के लिए अधिक आसान, अधिक सुरक्षित बनेगा। Retail direct scheme में देश के छोटे निवेशकों को गवर्नमेंट सिक्योरिटीज़ में इंवेस्टमेंट का सरल और सुरक्षित माध्यम मिल गया है। इसी प्रकार, Integrated ombudsman लोकपाल scheme के बैंकिंग सेक्टर में One Nation, One Ombudsman यह System ने आज साकार रूप लिया है। इससे बैंक कस्टमर्स की हर शिकायत, हर समस्या का समाधान समय पर, बिना परेशानी के हो सकेगा। और मेरा यह स्पष्टमत है कि लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत आप Grievance redressal system में कितने मजबूत हैं कितने सवेंदनशील है, कितने प्रोएक्टिव है, वहीं तो लोकतंत्र की सबसे बड़ी कसौटी है।
साथियों,
अर्थव्यवस्था में सभी की भागीदारी को प्रमोट करने की जो भावना है, उसको Retail Direct Scheme नई ऊंचाई देने वाली है। देश के विकास में Government Securities Market की अहम भूमिका से आमतौर पर लोग परिचित हैं। विशेष रूप से आज जब देश अपने फिज़िकल और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने में जुटा है, अभूतपूर्व इंवेस्टमेंट कर रहा है, तब छोटे से छोटे निवेशक का प्रयास और सहयोग, भागीदारी बहुत काम आने वाली है। अभी तक गवर्नमेंट सिक्योरिटी मार्केट में हमारे मध्यम वर्ग, हमारे कर्मचारियों, हमारे छोटे व्यापारी, सीनियर सिटिजंस यानि जिनकी छोटी सेविंग्स है उनको सिक्योरिटीज़ में निवेश के लिए बैंक, इंश्योरेंस या म्युचुअल फंड्स जैसे Indirect रास्ते अपनाने पड़ते थे। अब उन्हें सुरक्षित निवेश का एक और बेहतरीन विकल्प मिल रहा है। अब देश के एक बहुत बड़े वर्ग को, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज़ में, देश की संपदा के निर्माण में सीधा निवेश करने में और आसानी होगी। ये भी आप जानते हैं कि भारत में सभी गवर्नमेंट सिक्योरिटीज़ में guaranteed settlement का प्रावधान होता है। ऐसे में छोटे निवेशकों को सुरक्षा का एक आश्वासन मिलता है। यानि छोटे निवेशक सुरक्षित निवेश पर अच्छे रिटर्न का भरोसा मिलेगा और सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए देश के समान्य मानवी की आशा आकांक्षाओं के अनुरुप नया भारत बनाने के लिए जो- जो व्यवस्थाएं विकसित करनी चाहिए, इसके लिए ज़रूरी संसाधन मिलेंगे। और यही तो आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए नागरिक और सरकार की सामूहिक शक्ति है, सामूहिक प्रयास है।
साथियों,
आमतौर पर Finance की बातें जरा टेक्नीकल हो जाती हैं, सामान्य मानवी हेडलाइन पढ़कर छोड़ देता है और इसलिए सामान्य मानवी को बेहतर तरीके से इन बातों को समझाना और उनको समझाना मैं समझता हूँ आज समय की मांग है। क्योंकि financial inclusion की बात जब हम करते हैं। तब इस देश के आखिरी व्यक्ति को भी इस process का हिस्सा हम बनाना चाहते हैं। आप एक्सपर्ट्स इन सारी बातों से भलीभांति परिचित हैं, लेकिन देश के सामान्य जन के लिए भी ये जानना, उनकी बहुत मदद करेगा। जैसे उन्हें पता होना चाहिए कि इस योजना के तहत फंड मैनेजर्स की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, सीधा "Retail Direct Gilt (गिल्ट) RDG Account'' खोला जा सकता है। ये अकाउंट भी ऑनलाइन खोला जा सकता है और सिक्योरिटीज़ की खरीद-फरोख्त भी ऑनलाइन संभव है। सैलरी वालों या फिर पेंशनर्स के लिए घर बैठे-बैठे सुरक्षित निवेश का ये बहुत बड़ा विकल्प है। इसके लिए कहीं भी आने-जाने की ज़रूरत नहीं है, फोन और इंटरनेट से ही आप मोबाइल फोन पर इंटरनेट केनक्टिविटी, आपका काम हो जाएगा। ये RDG अकाउंट, निवेशक के savings accounts से भी लिंक होगा। जिससे सेल-परचेज़ ऑटोमेटिक खरीद- फरोख्त का जो काम है ऑटोमेटिक संभव हो सकेगा। आप कल्पना कर सकते हैं, लोगों को इससे कितनी आसानी होगी।
साथियों,
Financial Inclusion और Ease of Access जितनी जरूरी है, Ease of Investment और बैंकिंग सिस्टम पर सामान्य जन का भरोसा भी सामान्य जन के लिए सुविधा भी सामान्य जन के लिए सरलता भी उतना ही आवश्यक है। एक मज़बूत बैंकिंग सिस्टम मज़बूत होती अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ज़रूरी है। 2014 के पहले कुछ सालों में देश के बैंकिंग सिस्टम को जिस प्रकार से नुकसान पहुंचाया गया था, आज हर किसी को पता है, कि कैसी स्थितियां पैदा हो गई थी, क्या कुछ नहीं हुआ था। बीते 7 सालों में, NPAs को पारदर्शिता के साथ Recognize किया गया, Resolution और Recovery पर ध्यान दिया गया, पब्लिक सेक्टर के बैंकों को Re-capitalize किया गया, फाइनेंशियल सिस्टम और पब्लिक सेक्टर बैंकों में एक के बाद एक रिफॉर्म्स किए गए। जो Wilful defaulters, पहले सिस्टम से खिलवाड़ करते थे, अब उनके लिए मार्केट से फंड जुटाने का रास्ता बंद कर दिया गया है। पब्लिक सेक्टर बैंकों से जुड़ी गवर्नेंस में सुधार हो, डिसीजन मेकिंग, ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़ी आज़ादी हो, छोटे बैंकों को मर्ज कर बड़े बैंकों का निर्माण हो या फिर National Asset Reconstruction Company Limited की स्थापना हो, इन सभी कदमों से आज बैंकिंग सेक्टर में नया विश्वास, नई ऊर्जा लौट रही है।
साथियों,
बैंकिंग सेक्टर को और मज़बूत करने के लिए Co-operative बैंकों को भी RBI के दायरे में लाया गया। इससे इन बैंकों की गवर्नेंस में भी सुधार आ रहा है और जो लाखों depositors हैं, उनके भीतर भी इस सिस्टम के प्रति विश्वास मजबूत हो रहा है। बीते कुछ समय में depositors के हितों को देखते हुए ही, अनेक फैसले लिए गए हैं। One nation, One Ombudsman System से Depositors और Investors First के कमिटमेंट को बल मिला है। आज जो योजना लॉन्च हुई है, इससे बैंक, NBFCs और Pre-Paid Instrument में 44 करोड़ लोन अकाउंट और 220 करोड़ डिपॉजिट अकाउंट इसके जो धारक है उन धारकों को सीधी राहत मिलेगी। अब RBI के द्वारा रेगुलेटेड सभी संस्थाओं के लिए खाता धारकों की शिकायतों को दर्ज करने, ट्रैक करने और मॉनीटर करने का एक ही प्लेटफॉर्म होगा। यानि, शिकायत निवारण के लिए खाता धारक को अब एक और आसान विकल्प मिला है। जैसे कि, अगर किसी का बैंक अकाउंट लखनऊ में हो और वो दिल्ली में काम कर रहा हो। तो पहले होता ये था कि उसको लखनऊ के Ombudsman को ही शिकायत करनी पड़ती थी। लेकिन अब उसे भारत में कहीं से भी अपनी शिकायत दर्ज करने की सुविधा मिल गई है। मुझे ये भी बताया गया है कि ऑनलाइन फ्रॉड, साइबर फ्रॉड से जुड़े मामलों को एड्रेस करने के लिए RBI ने इस योजना में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के व्यापक उपयोग का प्रावधान किया है। इससे बैंक और जांच करने वाली एजेंसियों के बीच कम से कम समय में बेहतर तालमेल सुनिश्चित हो सकेगा। जितनी जल्दी एक्शन होगा, फ्रॉड से निकाली गई रकम की रिकवरी की संभावना उतनी ही अधिक होगी। ऐसे कदमों से digital penetration और customer inclusiveness का दायरा भी बड़े विश्वास के साथ बढ़ेगा, कस्टमर का भरोसा और बढ़ेगा ।
साथियों,
बीते सालों में देश के बैंकिंग सेक्टर में, फाइनेंशियल सेक्टर में Inclusion से लेकर technological integration और दूसरे रिफॉर्म्स किए हैं, उनकी ताकत हमने कोविड के इस मुश्किल समय में भी देखी है। और उसके कारण सामान्य मानवी की सेवा करने का एक संतोष भी पैदा होता है। सरकार जो बड़े-बड़े फैसले ले रही थी, उसका प्रभाव बढ़ाने में RBI के फैसलों ने भी बहुत बड़ी मदद की है। और मैं RBI गर्वनर और उनकी पूरी टीम को सार्वजनिक रुप से इस संकटकाल में जिस प्रकार से उन्होंने चीजों को हिम्मतपूर्वक जो निर्णय किये हैं इसके लिए उन्हे बहुत- बहुत बधाई देता हूँ। सरकार द्वारा जिस क्रेडिट गारंटी स्कीम की घोषणा की गई थी, उसके तहत लगभग 2 लाख 90 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का लोन स्वीकृत किया जा चुका है। इसकी मदद से सवा करोड़ से अधिक लाभार्थियों ने अपना उद्यम और मजबूत किया है। इसमें से अधिकतर MSMEs हैं, हमारे मध्यम वर्ग के छोटे उद्यमी हैं।
साथियों,
कोविड काल में ही सरकार द्वारा छोटे किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड देने के लिए विशेष मुहिम चलाई गई। जिससे ढाई करोड़ से अधिक किसानों को केसीसी कार्ड्स भी मिले और लगभग पौने 3 लाख करोड़ का कृषि ऋण भी उन्हें मिल गया। पीएम स्वनिधि से करीब 26 लाख स्ट्रीट वेंडर्स को जो ठेला चलाते हैं, सब्जी बेचते हैं। ऐसे 26 लाख लोगों को ऋण मिल चुका है, और आप कल्पना कर सकते हैं। कोविडकाल, इस संकटकाल के बाद 26 लाख से ज्यादा हमारे स्ट्रीट वैंड्रर्स को मदद मिल जाए, कितना बड़ा उनके लिए संबल हो गया । इस योजना ने उन्हें बैंकिंग सिस्टम से भी जोड़ दिया है। ऐसे अनेक interventions ने गांव और शहरों में आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरु करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
साथियों,
6-7 साल पहले तक भारत में बैंकिंग, पेंशन, इंश्योरेंस, ये सबकुछ एक exclusive club जैसा हुआ करता था। देश का सामान्य नागरिक, गरीब परिवार, किसान, छोटे व्यापारी-कारोबारी, महिलाएं, दलित-वंचित-पिछड़े, इन सबके लिए ये सब सुविधाएं बहुत दूर थीं। जिन लोगों पर इन सुविधाओं को गरीब तक पहुंचाने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने भी इस पर कभी ध्यान नहीं दिया। बल्कि बदलाव ना हो, कोई परिवर्तन न आएं, गरीब तक जाने के रास्तों बंद करने के लिए जो कुछ भी तर्क दे सकते हैं। भांति-भांति के बहाने यहीं एक परंपरा हो गई थी। और क्या कुछ कहां नहीं जाता था, खुलेआम बेशर्मी के साथ कहा जाता था। अरें, बैंक ब्रांच नहीं है, स्टाफ नहीं है, इंटरनेट नहीं है, लोगों में जागरूकता नहीं है, ना जाने कैसे- कैसे तर्क दिए जाते थे। Unproductive savings और Informal lending, इससे सामान्य नागरिक की स्थिति भी खराब हो रही थी और देश के विकास में उसकी भागीदारी भी न के बराबर थी। पेंशन और बीमा का तो यही माना जाता था कि ये सब समृद्ध परिवारों के भाग्य में ही है। लेकिन आज स्थिति बदल रही है। आज Financial Inclusion ही नहीं, बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर में Ease of access भारत की पहचान बन रही है। आज अलग-अलग पेंशन योजनाओं के तहत समाज का हर व्यक्ति 60 वर्ष की आयु के बाद मिलने वाली पेंशन की सुविधा से जुड़ सकता है। पीएम जीवन ज्योति बीमा योजना और पीएम सुरक्षा बीमा योजना के तहत लगभग 38 करोड़ देशवासी, 2-2 लाख रुपए की बीमा सुरक्षा से जुड़े हैं। देश के करीब-करीब हर गांव में 5 किलोमीटर के दायरे में बैंक ब्रांच या बैंकिंग कॉरस्पोंडेंट की सुविधा पहुंच रही है। पूरे देश में आज लगभग साढ़े 8 लाख बैंकिंग टच प्वाइंट्स हैं, जो देश के हर नागरिक की बैंकिंग सिस्टम तक पहुंच बढ़ा रहे हैं। जनधन योजना के तहत 42 करोड़ से अधिक ज़ीरो बैलेंस बैंक अकाउंट्स खोले गए, जिसमें आज गरीब के हज़ारों करोड़ रुपए जमा हैं। मुद्रा योजना से महिलाओं, दलित-पिछड़े-आदिवासियों में व्यापारियों-कारोबारियों की एक नई पीढ़ी सामने आई है, और स्वनिधि योजना से रेहड़ी-ठेला-फेरी चलाने वाले भी institutional lending से जुड़ पाए हैं।
साथियों,
Last-mile financial inclusion से जब digital empowerment जुड़ गया, तो उसने देश के लोगों को एक नई ताकत दी है। 31 करोड़ से अधिक रुपये कार्ड, करीब 50 लाख PoS/ m-PoS मशीनों ने आज देश के कोने-कोने में डिजिटल ट्रांजेक्शन को संभव बनाया है। UPI ने तो बहुत ही कम समय में डिजिटल ट्रांजेक्शंस के मामले में भारत को दुनिया का अग्रणी देश बना दिया है। सिर्फ 7 सालों में भारत ने डिजिटल ट्रांजेक्शंस के मामले में 19 गुणा की छलांग लगाई है। आज 24 घंटे, सातों दिन और 12 महीने देश में कभी भी, कहीं भी हमारा बैंकिंग सिस्टम चालू रहता है। इसका लाभ भी हमने कोरोना के इस काल में देखा है।
साथियों,
RBI का एक संवेदनशील रेगुलेटर होना और बदलती हुई परिस्थितियों के लिए खुद को तैयार रखना, देश की एक बड़ी ताकत है। आजकल आप देख रहे हैं कि Fintech जैसे क्षेत्र में हमारे भारतीय स्टार्टप्स कैसे ग्लोबल चैंपियंस बन रहे हैं। इस क्षेत्र में टेक्नोलॉजी तेजी से बदल रही है। हमारे देश के युवाओं ने भारत को Innovations का ग्लोबल पावर हाउस बना दिया है। ऐसे में ये जरूरी है कि हमारे regulating systems, इन बदलावों के प्रति जागरूक रहें और हमारे financial systems को विश्व स्तरीय बनाए रखने के लिए suitable ecosystem का निर्माण करें, उसे सशक्त करें।
साथियों,
हमें देश की, देश के नागरिकों की आवश्यकताओं को केंद्र में रखना ही होगा, निवेशकों के भरोसे को निरंतर मजबूत करते रहना होगा। मुझे पूरा विश्वास है कि एक संवेदनशील और इन्वेस्टर फ्रेंडली डेस्टीनेशन के रूप में भारत की नई पहचान को RBI निरंतर सशक्त करता है और मुझे विश्वास है कि सशक्त करता रहेगा। एक बार फिर इन बड़े रिफॉर्म्स के लिए मैं आप सब को सभी स्टैकहोल्डर्स को initiative लाने वाले सबको टेक्नोलोजी की छलांग लगाने के लिए आप सबको बहुत शुभकामनाएं देता हूँ ! बहुत- बहुत धन्यवाद !
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