आपबीती: 'लखनऊ मेदान्ता' यानी मौत का अन्धा कुआँ !
'लखनऊ मेदान्ता' Medanta Lucknow
यानी
मौत का अन्धा कुआँ...
इलाज़ के नाम पर लूट-पाट गिरोह का एक संस्थागत गढ़...
लखनऊ में ठगी का एक बड़ा केन्द्र...
डॉक्टर के नाम पर सर्वाधिक निष्ठुर और क्रूर यम-दूतों का अड्डा...
हॉस्पिटल के नाम पर,
लखनऊ में इंसानों और इंसानियत का अतिप्रसिद्ध 'स्लॉटर हाउस' अर्थात कत्लगाह...!
आस्थानन्द पाठक, IRAS
उक्त उदगार व्यक्त किया है भारत सरकार के एक IRAS अधिकारी- आस्थानन्द पाठक ने जो अपनी माता जी का इलाज कराने देश और लखनऊ के मशहूर हॉस्पिटल- मेदांता में, जहां से वे लुट के निकले और अपनी माँ को दूसरे हॉस्पिटल में इलाज कराकर बचा पाए।
आस्थानन्द पाठक ने अपनी इस आपबीती को फेशबुक पर इस आशय से शेयर किया कि, और लोग उनकी तरह मेदांता का शिकार न हों।
आस्थानन्द पाठक ने अपनी आपबीती को फेशबुक पर शेयर करते हुए लिखा है कि, लोग ज्यादा से ज्यादा उनके द्वारा प्रस्तुत समीक्षा को शेयर करें और निःसंदेह पुण्य के भागी बनें..किसी की जान बचाने से बड़ा पुण्य क्या हो सकता है..।
आस्थानन्द पाठक ने अपनी आपबीती को फेशबुक पर शेयर करते हुए नोट भी लिखा है कि, ''यह मेरा अपना भोगा और समझा हुआ सत्य है, आपका अनुभव इससे अलग हो तो आप भाग्यशाली हैं...।''
अंत में उन्होंने अपने शुभचिंतकों को लिखा है कि, "परेशान न हों, एक दो महीने पहले अपनी माता जी को लेकर मैंने मेदान्ता के बहुत चक्कर काटे, और जीवन का सबसे दर्दनाक अनुभव झेला, फिर फोर्टिस चंडीगढ़ जाकर जान बची...लेकिन मेदान्ता से पर्याप्त लुटने के बाद"।
आस्थानन्द पाठक की इस आपबीती को प्रकाशित करते हुए सरकार से यह अपेक्षा की जाती है कि, ''सरकार इस तरह का कदम उठाएगी कि फिर कोई अपनी जननी माँ को बचाने जाने वाला सत्यवान लुट न जाय, बर्बाद न हो जाय।''