गन्ना किसानों के लिए अब तक के उच्चतम उचित और लाभकारी मूल्य 290 रुपये प्रति क्विंटल को स्वीकृति दी: आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्डलीय समिति (सीसीईए)
सरकार ने चीनी सीजन 2021-22 के लिए चीनी मिलों द्वारा देय गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य के निर्धारण को स्वीकृति दी.
इस निर्णय से 5 करोड़ गन्ना किसानों और उनके आश्रितों के साथ-साथ चीनी मिलों और संबंधित सहायक गतिविधियों में कार्यरत 5 लाख श्रमिकों को लाभ होगा
यह निर्णय उपभोक्ताओं के हितों और गन्ना किसानों के हितों के बीच संतुलन स्थापित करता है.
चीनी सीजन 2021-22 के लिए गन्ने की उत्पादन लागत 155 रुपए प्रति क्विंटल है। 10% की वसूली दर पर 290 रुपए प्रति क्विंटल की यह एफआरपी उत्पादन लागत से 87.1% अधिक है, यह किसानों को उनकी लागत पर 50% से अधिक का रिटर्न देने के वादे को भी सुनिश्चित करती है।
वर्तमान चीनी सीजन 2020-21 में 91,000 करोड़ रुपये मूल्य के करीब 2,976 लाख टन गन्ने की चीनी मिलों द्वारा खरीद की गई, जो अब तक का उच्चतम स्तर है और न्यूनतम समर्थन मूल्य के मामले में धान की फसल की खरीद के बाद दूसरे स्थान पर है। आगामी चीनी सीजन 2021-22 में गन्ने के उत्पादन में अपेक्षित वृद्धि को ध्यान में रखते हुए चीनी मिलों द्वारा लगभग 3,088 लाख टन गन्ना खरीदे जाने की संभावना है। गन्ना किसानों को किए जाने वाला कुल प्रेषण लगभग 1,00,000 करोड़ रुपये होगा। सरकार अपने किसान हितैषी उपायों के माध्यम से यह सुनिश्चित करेगी कि गन्ना किसानों को उनकी बकाया धनराशि समय पर मिले।
स्वीकृत एफआरपी चीनी मिलों द्वारा चीनी सीजन 2021-22 (1 अक्टूबर, 2021 से प्रारंभ) में किसानों से गन्ने की खरीद के लिए लागू होगी। चीनी क्षेत्र एक महत्वपूर्ण कृषि-आधारित क्षेत्र है जो कृषि श्रम और परिवहन सहित विभिन्न सहायक गतिविधियों में कार्यरत लोगों के अलावा लगभग 5 करोड़ गन्ना किसानों और उनके आश्रितों एवं चीनी मिलों में सीधे कार्यरत लगभग 5 लाख श्रमिकों की आजीविका से जुड़ा है।
पृष्ठभूमि:
एफआरपी का निर्धारण कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर और राज्य सरकारों एवं अन्य हितधारकों के परामर्श के बाद किया गया है।
पिछले 3 चीनी सीजनों 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में, लगभग 6.2 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी), 38 एलएमटी और 59.60 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया है। वर्तमान चीनी सीजन 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में, 60 एलएमटी के निर्यात लक्ष्य के मुकाबले, लगभग 70 एलएमटी के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए हैं और 23 अगस्त 2021 तक 55 एलएमटी से अधिक का वास्तविक रूप से देश से निर्यात किया गया है। चीनी के निर्यात से चीनी मिलों की तरलता में सुधार हुआ है जिससे वे किसानों का बकाया गन्ना मूल्य चुकाने में सक्षम हुई हैं।
सरकार चीनी मिलों को अतिरिक्त गन्ने को पेट्रोल के साथ मिश्रित इथेनॉल में बदलने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, जो न केवल हरित ईंधन के रूप में कार्य करता है बल्कि कच्चे तेल के आयात के संदर्भ में विदेशी मुद्रा की बचत भी करता है। पिछले 2 चीनी सीजन 2018-19 और 2019-20 में, लगभग 3.37 एलएमटी और 9.26 एलएमटी चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित किया गया है। वर्तमान चीनी सीजन 2020-21 में 20 लाख मीट्रिक टन से अधिक को परिवर्तित किए जाने की संभावना है। आगामी चीनी सीजन 2021-22 में, लगभग 35 एलएमटी चीनी को इथेनॉल में बदले जाने का अनुमान है और 2024-25 तक लगभग 60 एलएमटी चीनी को इथेनॉल में बदलने का लक्ष्य है, जो अतिरिक्त गन्ने की समस्या के साथ-साथ विलंबित भुगतान का भी समाधान करेगा और इससे गन्ना किसानों को समय पर उनका भुगतान भी मिलेगा।
पिछले तीन चीनी सीजनों में तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को इथेनॉल की बिक्री से चीनी मिलों/डिस्टिलरीज द्वारा 22,000 करोड़ रुपये के राजस्व का सृजन किया गया है। वर्तमान चीनी सीजन 2020-21 में चीनी मिलों को ओएमसी को इथेनॉल की बिक्री से लगभग 15,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हो रहा है।
पिछले चीनी सीजन 2019-20 में लगभग 75,845 करोड़ रुपये का गन्ना बकाया देय था, जिसमें से 75,703 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया है और अब केवल 142 करोड़ रुपया बकाया हैं। हालांकि, वर्तमान चीनी सीजन 2020-21 में 90,959 करोड़ रुपए के गन्ना बकाया में से 23 अगस्त 2021 तक किसानों को 86,238 करोड़ रुपये की गन्ना बकाया धनराशि का भुगतान किया जा चुका है। गन्ने के निर्यात में वृद्धि और गन्ने से इथेनॉल बनाने की प्रक्रिया से किसानों के गन्ना मूल्य भुगतान में तेजी आई है।
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