
'समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा' का *घोषणा-पत्र* जारी - *आर्थिक आतंकवादियों, भारत छोडो*
*आर्थिक आतंकवादियों, भारत छोडो''
उद्देश्य:-
''जनता की खोयी हुयी आस्था को तथा अच्छे लोगों को राजनीति में वापस लाना है और समतामूलक समाज की स्थापना करना है''
*समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा* के राष्ट्रिय उत्तर प्रदेश विधानसभा २०२२ की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी''*
-:एस. एन. श्रीवास्तव:-
राष्ट्रीय अध्यक्ष- एस. एन. श्रीवास्तव ने बताया कि, ''*समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा* उत्तर प्रदेश विधानसभा २०२२ की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी''।
इस अवसर पर उन्होंने पार्टी का नारा दिया कि,
*आर्थिक आतंकवादियों, भारत छोडो''
इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष - एस एन श्रीवास्तव ने मोर्चे के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि,
हमारा उद्देश्य -
''जनता की खोयी हुयी आस्था को तथा अच्छे लोगों को राजनीति में वापस लाना है और समतामूलक समाज की स्थापना करना है''
आप अत्यधिक बुद्धिमान हैं और विवेकशील व्यक्तित्व के साथ साथ समाज में रचनात्मक कार्यों को करते रहने में आपकी अत्यधिक रुचि सदैव आपकी रचनाओं से परिलक्षित होती रहती है।
अतैव आपको 'समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा' का घोषणा-पत्र' संलग्न कर इस विश्वास से भेजा जा रहा है कि, आप अवश्य 'समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा' के साथ सहभागिता करेंगे।
हमारा उद्देश्य - ''जनता की खोयी हुयी आस्था को तथा अच्छे लोगों को राजनीति में वापस लाना है और समतामूलक समाज की स्थापना करना है''।
सकारात्मक प्रतिक्रिया की आशा और विश्वास में,
आपका साथी,
सच्चिदा नन्द श्रीवास्तव
राष्ट्रीय अध्यक्ष
समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा
संलग्न - समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा' का *घोषणा-पत्र*
आइये, समतामूलक समाज निर्माण मोर्चे के अध्यक्ष - सच्चिदानन्द श्रीवास्तव का संक्षिप्त परिचय भी यहां बताते चलें।
सच्चिदानन्द श्रीवास्तव का जन्म उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा से लगे तमकुहीरोड जिला कुशीनगर में हुआ तथा प्रारम्भिक शिक्षा संस्कृत पाठशाला और लोकमान्या इंटर कालेज से ली तथा गोरखपुर से मेकेनिकल इंजिनीरिंग की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उनकी पहली तैनाती सेवरही चीनी मिल में हुयी। तदोपरांत जल निगम, सिंचाई विभाग के उपरान्त १९८० से मार्च २०१६ तक भारतीय रेलवे में एक ईमानदार ब्रिज इंजीनियर के रूप में कार्यरत रहे। इनको ईमानदारी का खामियाजा भी भुगतना पड़ा और उनका ३४ बार ट्रांसफर किया गया और ट्रांसफर को आधार बनाकर लगभग १३ वर्षों का वेतन रोका गया परन्तु उन्होंने अपने मातहत कर्मचारियों के ही लिए नहीं बल्कि रेल सेवक संघ की स्थापना करके भ्रष्टाचार के बिरुद्ध और रेल कर्मचारियों के हक़ की लड़ाई लड़ते हुये विश्व में पहली बार उत्तर रेलवे के मुख्यालय पर रेलवे के भ्रष्ट अधिकारियों की फोटो प्रदर्शनी लगाकर विश्व रिकॉर्ड भी बनाये।
संघर्ष के साथ-साथ उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई भी जारी रखी और इंस्टिट्यूट ऑफ़ रेल ट्रांसपोर्ट, नयी दिल्ली से मल्टी मोडल ट्रांसपोर्टेशन एंड लॉजिस्टिक मैनेजमेंट में डिप्लोमा तथा इंस्टिट्यूट ऑफ़ रेल ट्रांसपोर्ट के एसोसिएट मेंबरशिप का प्रमाणपत्र भी प्राप्त किये।
भ्रष्टाचार के बिरोध में जारी संघर्ष में इन्हे कर्मचारियों का व्यापक समर्थन मिला। विशेषकर उत्तर रेलवे, स्लीपर प्लांट सूबेदारगंज, ब्रिज वर्कशॉप, उत्तर मध्य रेलवे और रेल-विद्युतीकरण में कर्मचारियों का व्यापक समर्थन मिला।
यहां तक कि, जब वे उत्तर रेलवे के ब्रिज वर्कशॉप में एक कैजुअल लेबर की बिधवा की नौकरी और अन्य मांगो को लेकर अनसन पर बैठ गए तो अनसन के तेरहवे दिन सभी कर्मचारियों ने तीन दिन तक हड़तालकर वर्कशॉप पूरी तरह ठप्प कर दिया और रेलवे को उसे नौकरी देनी पड़ी तथा सभी मांगो को मानना पड़ा। इसी प्रकार १९९३ में लातूर में भूकंप आया और रेलवे भूकंप के नाम पर पूर्व में महाप्रबंधक के माध्यम से अनाधिकृत रूप से भेजे गए करोड़ों रुपये की भरपाई के लिए जब बिना कर्मचारियों की मर्जी से दान की राशि काटने लगी तो श्री श्रीवास्तव ने इसका बिरोध किया और उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल के सभी कर्मचारियों ने एकजुटता का परिचय देते हुए अनाधिकृत कटौती का बिरोध किया और जब रेलवे ने जबरदस्ती काटना चाहा तो श्री श्रीवास्तव कैट न्यायालय गए और कैट न्यायलय ने बिना कर्मचारी विशेष की मर्जी के कटौती पर रोक लगा दी। रेलवे ने कैट के अंतरिम आदेश का उल्लंघन कर कर्मचारियों के वेतन से जबरन कटौती कर ली और श्री श्रीवास्तव का ट्रांसफर कर शोषण करना प्रारम्भ किया। श्री श्रीवास्तव भी बराबर भ्रष्टाचार के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया और रेलवे के बड़े भ्रष्टाचार का खुलाशा किया जिसमें रेलवे के गिट्टी के ठेकेदारों द्वारा उस समय के रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष - ए.एन.शुक्ला के निराला नगर लखनऊ के निर्माण, DRM- धनञ्जय पति त्रिपाठी के इण्डोगल्फ फैक्ट्री और मालविका स्टील के मिलीभगत से हो रहे रेलवे की बड़ी लूट का खुलाशा हुआ जिसमे आज भी मामला जांचोपरांत न्यायलय में लंबित है। DRM- धनञ्जय पति त्रिपाठी को लखनऊ से हटाकर रेलवे बोर्ड में कार्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया और बॉम्बे से आर के सिंह को लखनऊ डी आर एम् के पद पर लाया गया तथा जांच कराने और उनके सहित अन्य कर्मचारियों का शोषण समाप्त कर सभी के ट्रांसफर रद्द कर अनुपस्थित किये गए पीरियड को ड्यूटी मानकर तीन दिन में वेतन के भुगतान होने पर मामला शांत हुआ।
सेवा निबृत्त होने के उपरान्त रेल सेवक संघ के महामंत्री के झंडे तले श्री श्रीवास्तव ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध और कर्मचारियों के हक़ की लड़ाई लड़ने के साथ साथ अपना शेष जीवन देश को समर्पित कर दिया। महान समाजवादी चिंतक व विचारक - साथी रघु ठाकुर के विचारो और डॉक्टर लोहिया, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और शहीद ये आजम - भगत सिंह के पुस्तकों को पढ़ कर समतामूलक समाज की स्थापना में स्वयं को समर्पित कर दिया। लोसपा के कार्यकर्ताओं ने उनके संघर्ष को देखकर उन्हें २०१६ में ही साथी संजय सिंह, वर्तमान आप नेता और राजयसभा संसद से रिक्त उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठा दिया परन्तु नेतृत्व द्वारा लगातार प्रदेश इकाई के प्रस्ताव को ख़ारिज करने, पार्टी के संविधान का उल्लंघन करने तथा कथनी और करनी में फर्क दिखयी देने पर लोसपा छोड़ देश के मजदूरों, किसानों और रिटायर्ड सेना के जवानों के साथ मिलकर एक अगस्त के ऐतिहासिक दिन पर समतामूलक समाज निर्माण मोर्चे का गठन किया और श्री श्रीवास्तव को मोर्चे का सर्व सम्मत से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया। अब वे तेजी से अपनी रफ़्तार बढ़ा रहे हैं तथा उनकी रफ़्तार देखकर लगने लगा है कि, जैसा कि, उनके नारे से स्पष्ट है, परिवर्तन लाएंगे और आर्थिक आतंकवाद को उखाड़ फेकेंगे - टैक्स और विभिन्न माध्यमों से हो रही जनता के धन की लूट को बंद करने में सफल होंगे।
समता मूलक समाज निर्माण मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष - एस. एन. श्रीवास्तव दो बार लखनऊ कैंट विधान सभा से चुनाव लड़ चुके हैं तथा २०२२ में भी लखनऊ कैंट से ही चुनाव लड़ेंगे।