40,093 करोड़ रुपये मूल्य के खाद्यान्न का आवंटन: उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
पीएमजीकेएवाई के तहत उत्तर प्रदेश के 14.71 करोड़ लाभार्थियों को निःशुल्क वितरण के लिए रिकॉर्ड 109.33 एलएमटी खाद्यान्न का आवंटन
सार्वजनिक वितरण में ऑटोमेशन यह सुनिश्चित करता है कि योजना का लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचे और उन्हें पात्रता का पूरा कोटा भी मिले
नयी दिल्ली (PIB): सबसे कमजोर लोगों को राहत देने के लिए पीएमजीकेएवाई के तहत उत्तर प्रदेश को निःशुल्क वितरण के लिए 109.33 एलएमटी खाद्यान्न का रिकॉर्ड आवंटन किया गया है। इस योजना के माध्यम से उत्तर प्रदेश के 14.71 करोड़ से अधिक लोगों को लाभान्वित किया जा रहा है। इन खाद्यान्नों की लागत 40,093 करोड़ रुपये है।
भारत सरकार खाद्य सब्सिडी, अंतरराज्यीय परिवहन, डीलर मार्जिन/अतिरिक्त डीलर मार्जिन आदि सहित इस तरह के वितरण के लिए पूरी लागत वहन कर रही है और भारतीय खाद्य निगम द्वारा राज्य सरकार को खाद्यान्न निःशुल्क जारी किया जा रहा है।इस योजना के तहतप्रति व्यक्ति 5 किलो अनाज (जिसमें 3 किलो गेहूं और 2 किलो चावल शामिल है) को अतिरिक्त रूप से एनएफएसए लाभार्थियों को वितरित किया गया। एनएफएसए के तहत देश में सबसे ज्यादा आवंटन उत्तर प्रदेश में हुआ है।
उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) का चरणवार क्रियान्वयन:-
चरण |
अवधि |
उत्तर प्रदेश को आवंटित मात्रा(लाख मीट्रिक टन में) |
उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा उठाई गई मात्रा (लाख मीट्रिक टन में) |
कुल लागत(करोड़ रुपये में) |
I |
अप्रैल से जून 2020 |
21.47 |
21.45 |
9218 |
II |
जुलाई से नवंबर 2020 |
36.35 |
35.19 |
12774 |
III |
मई और जून 2021 |
14.71 |
14.69 |
5171 |
IV |
जुलाई से नवंबर 2021 |
36.80 |
1.00 |
12930 |
|
कुल |
109.33 |
71.33 |
40093 |
पिछले 3-4 वर्षों के दौरानराज्य ने वितरण और खरीद प्रणाली में बड़ा परिवर्तन देखा है।प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग से पारदर्शिता आई है,सरकारी खजाने के लिए लागत में भारी बचत हुई है। उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ने के पीछे राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का ऑटोमेशन एक प्रमुख विशेषता है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के संचालन के ऑटोमेशन से राज्य सरकार के साथ-साथ नागरिकों दोनों को कई गुना लाभ होता है।
सरकार को होने वाले लाभों में शामिल हैं --
➢लाभार्थियों के बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण से धोखाधड़ी, चोरी आदि कम हुईहै।
➢राज्य 100 प्रतिशतप्रमाणीकरण आधारित लेन-देन रिकॉर्ड कर रहा है।
➢30 लाख से अधिक डुप्लीकेट लाभार्थियों को हटाया गया और लगभग 7 लाख निष्क्रिय राशन कार्ड हटाए गए हैं।
➢लगभग 80,000 एफपीएस के ऑटोमेशन से उत्तर प्रदेश सरकार के लिए लगभग 3000 करोड़ रुपये की बचत हुई।
➢बढ़ी हुई दक्षता, प्रदर्शन मूल्यांकन और विचलन की सक्रिय पहचान, यदि कोई हो।
नागरिकों को लाभ-
➢बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण ने यह सुनिश्चित किया है कि सही लाभार्थी को सही मूल्य पर सही मात्रा मिले।
➢समर्पित हेल्पलाइन और मोबाइल एप्लिकेशन से लाभार्थियों के लिए शिकायतों को दर्ज कराना, फीडबैक देना आसान हो गया है।
➢पोर्टेबिलिटी ने लाभार्थी को राज्य में या राज्य के बाहर किसी भी दुकान से राशन खरीदने में सक्षम बनाया है।
खरीद प्रणाली में ऑटोमेशन-
ऑटोमेशन केवल सार्वजनिक वितरण प्रणाली तक ही सीमित नहीं है। अब यह खरीद प्रणाली में भी समाहित हो गया है। उत्तर प्रदेश में खरीद प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए कई डिजिटल पहल की गई हैं। उनमें निम्नलिखित शामिल हैः
- वास्तविक भूमि स्वामियों के माध्यम से खरीद सुनिश्चित करने के लिए खरीद पोर्टल के साथ किसानों के जमीन के रिकॉर्ड एकीकृत किए गए हैं।
- बैंक खाते के विवरण के सत्यापन के बाद पीएफएमएस के माध्यम से किसान के बैंक खातों में एमएसपी का सीधा अंतरण किया जाता है ताकि न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान केवल वास्तविक किसान को किया जा सके और सिस्टम में कोई लीकेज न हो।
- ऑनलाइन बिलिंग प्रणाली शुरू- खरीद पोर्टल के साथ भारतीय खाद्य निगम के संचालन का एकीकरण जो केंद्रीय पूल में दिए गए स्टॉक की ई-बिलिंग और केएमएस 2020-21 से उसके बाद के भुगतान को सक्षम करता है।
- उत्तर प्रदेश ऑनलाइन गेहूं वितरण और बिलिंग प्रणाली लागू करने वाला देश का पहला राज्य है।
- आरएमएस 2021-22 से किसानों के बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से किसानों से प्रायोगिक तौर पर खरीद ताकि केवल प्रामाणिक किसानों से खरीद सुनिश्चित की जा सके और बिचौलियों की भागीदारी की संभावनाओं से इंकार किया जा सके ताकि न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ केवल पात्रता रखने वालों को दिया जा सके।
भारत सरकार उत्तर प्रदेश के किसानों के कल्याण के लिए संकल्पबद्ध है।
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