
महत्वपूर्ण प्रश्न: नये संसद भवन / भवनों के निर्माण पर राशि खर्चना प्राथमिकता हो या रोटी और रोजगार?
नये भवन की आवश्यकता क्या है?
'नए संसद भवन' के निर्माण को लेकर सर्वोच्च न्यायलय ने कुछ दिखाऊ नाराजगी की टिप्पणी भी की थीं।
सर्वोच्च न्यायालय भवन निर्माण के खिलाफ भी हो और भूमि पूजन की अनुमति भी दे, यह अंतर्विरोधी भी है व कुछ कुछ पाखण्ड भी लगता है। वरना शीर्ष अदालत की क्या मजबूरी है?
या
क्या वह प्र मंत्री जी से भय भीत है?-
-:रघु ठाकुर:-
नई संसद देश की आकांक्षाओं को पूरा करेगी, लोकतंत्र हमारी संस्कृति है, नई संसद आत्मनिर्भर भारत का गवाह बनेगी: प्रधानमंत्री
देशहित को सर्वोपरि रखने का संकल्प लेने का आग्रह किया: प्रधानमंत्री
भोपाल/ नई दिल्ली: 10 दिसंबर को प्रधान मंत्री- श्री नरेंद्र मोदी जी ने नये संसद भवन का भूमि पूजन कर ही दिया। नए संसद भवन के भूमि पूजन के अवसर पर देशहित को सर्वोपरि रखने का संकल्प लेने का आग्रह करते हुए प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि, "नई संसद देश की आकांक्षाओं को पूरा करेगी, लोकतंत्र हमारी संस्कृति है और नई संसद आत्मनिर्भर भारत का गवाह बनेगी", परन्तु नए संसद भवन के निर्माण से कैसे भूखमरी और बढ़ती बेरोजगारी से भारत 'आत्मनिर्भर-भारत' का गवाह बनेगा, क्या यह वर्तमान परिश्थिति में संभव है?-
देश में एक तरफ बढ़ती भूखमरी और बेरोजगारी तथा दूसरी तरफ देश की राजधानी- नई दिल्ली में लगभग बीस हजार करोड़ रुपये के नये संसद भवन के निर्माण हेतु प्रधानमंत्री जी द्वारा किये गए भूमि पूजन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए महान समाजवादी चिंतक व विचारक तथा लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक- रघु ठाकुर ने कहा कि, आखिर 10 दिसंबर को प्रधान मंत्री- श्री नरेंद्र मोदी जी ने नये संसद भवन का भूमि पूजन कर ही दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने भी भूमीपूजन की अनुमति दी थी।
रघु ठाकुर ने कहा कि, यद्यपि नए संसद भवन के निर्माण को लेकर सर्वोच्च न्यायलय ने कुछ दिखाऊ नाराजगी की टिप्पणी भी की थीं। सर्वोच्च न्यायालय भवन निर्माण के खिलाफ भी हो और भूमि पूजन की अनुमति भी दे, यह अंतर्विरोधी भी है व कुछ कुछ पाखण्ड भी लगता है वरना शीर्ष अदालत की क्या मजबूरी है? या क्या वह प्र मंत्री जी से भय भीत है? जो भी हो, पर इस नये भवन की आवश्यकता क्या है? पूरे विष्टा प्रोजेक्ट पर जो लुटियन्स जोन के एक हिस्से के विकास के लिए कल्पित है, पर आज की दरों पर लगभग बीस हजार करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है पर बहुत सम्भव है कि बनते व पूरा होते इसकी कीमत चालीस से पचास हजार करोड़ रुपये तक पहुंचे।
रघु ठाकुर ने बताया कि, आज देश की स्थिति ऐसी है कि अधिकांश भाग में पीने का पानी नहीं है, साफ तो दूर की बात। खेतों को सिंचाई की व्यवस्था के अभाव में देश की आधी खेती असिंचित है। लगभग चालीस करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन को अभिशप्त हैं। सरकारी शिक्षा और चिकित्सा की हिस्सेदारी निरन्तर घट रही है। निजी क्षेत्र की लूट है।
कोरोना काल के प्रभावित दस बारह करोड़ लोग बेरोजगार बन कर भुखमरी मे ढकेल दिये गए हैं। उन्हें सरकार सिवाय कर्ज देने के कोई अनुदान या हर्जाना नहीं दे सकी।
तब यह पृश्न महत्वपूर्ण है कि क्या ये नये भवनों के निर्माण पर राशि खर्चना प्राथमिकता हो या रोटी और रोजगार?
रघु ठाकुर ने कहा कि, मै प्रमंत्री जी से अभी भी अपील करूँगा की इस vista(विष्टा) प्रोजेक्ट को रोककर पहले देश की बुनियादी जरूरतों की पूर्ति करें। सुंदरता और बाह्य दिखावे का विकास बाद में कर लेना।
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