हरियाणा - भर्ती में घोटाला! लुवास भर्ती परीक्षा के टॉप स्कोरर हुए बाहर, कम स्कोर वालों को नौकरी: प्रियंका सौरभ
लुवास के लैब अटेंडेंट भर्ती परीक्षा के Topper ने भर्ती परीक्षा में 100 में 81 मार्क्स लिए परन्तु, इसके बावजूद उसकी जगह 70 अंक वाले उम्मीदवार का चयन होना, इस बात का प्रमाण है कि, वर्तमान सरकार की ये 'नीति' मेरिट वाले बच्चों को खा रही है, उनका कैरियर बेवजह बर्बाद कर रही है।
हिसार (हरियाणा): हाल में हिसार के लाला लाजपतराय विश्विद्यालय ने अपने विभागों के लिए लैब अटेंडेंट भर्ती परीक्षा का अंतिम चयनित परिणाम जारी किया है।
ये भर्ती पिछले दो साल से अटकी थी। लुवास के इन लैब अटेंडेंट के 12 पदों के हरियाणा एवं अन्य राज्यों के हज़ारों आवेदकों ने परीक्षा दी थी। परीक्षा परिणाम के आधार पर टॉप 250 आवेदकों को डॉक्यूमेंटेशन के लिए बुलाया गया। डॉक्यूमेंटेशन के दौरान दिए गए सोसिओ इकनोमिक स्टेटस के एक्स्ट्रा मार्क्स ने खेल खेला। भर्ती परीक्षा के टोपर सहित अन्य टॉप स्कोरर भी सरकारी नौकरी की दौड़ से भर बाहर और परीक्षा में कम अंक वालों को लुवास में सरकारी नौकरी मिल गई।
हरियाणा सरकार ने 2015 के बाद हरियाणा में होने वाली ग्रुप सी और डी की भर्ती के लिए नियम बनाये है कि, जिस आवेदक के माता-पिता, भाई -बहन और पत्नी या परिवार में अन्य कोई सरकारी नौकरी में नहीं है, उस आवेदक को भर्ती में पांच एक्स्ट्रा मार्क्स दिए जायेंगे। इस नियम से बिना सरकारी नौकरी वाले आवेदकों को तो बहुत बड़ा फायदा होता है मगर सरकारी नौकरी वाले घरों के मेधावी आवेदकों को बेवजह सरकारी नौकरी से वंचित होना पड़ता है। लुवास के लैब अटेंडेंट भर्ती परीक्षा के टोपर ने भर्ती परीक्षा में 100 में 81 मार्क्स लिए इसके बावजूद उसकी जगह 70 अंक वाले उम्मीदवार का चयन होना इस बात का प्रमाण है कि, वर्तमान सरकार की ये नीति मेरिट वाले बच्चों को खा रही है। उनका कैरियर बेवजह बर्बाद कर रही है। ऐसा हरियाणा के केवल इस भर्ती में ही नहीं वर्तमान सरकार की हर भर्ती में हुआ है।
आज जहां सरकारी नौकरी के लिए आधे-आधे अंक के लिए आवेदक दिन-रात में कर रहें है, वहां कम अंक वाले आवेदकों को पांच-पांच अंक देकर नौकरी देना सीधा पक्षपात है।
लुवास भर्ती के अन्य टॉप स्कोरर दीपेंदर, मनोज और प्रियंका जो टॉप दस में होने के बावजूद चयनित नहीं हुए का कहना है कि, इस तरह एग्जाम में पांच-पांच मार्क्स लेने से जब टोपर ही बाहर बैठे है तो अन्य के लिए नौकरी के सारे रस्ते बंद हो गए है। अब ऐसा लगता है कि, जिन घरों में कोई सरकारी नौकरी में है उनके अन्य सदस्यों को कभी भी हरियाणा में नौकरी नहीं मिलेगी।
सरकार की इस पालिसी पर आवेदकों ने सवाल उठाते हुए पुछा है कि, क्या ये सरकार ऐसा कानून भी बनाएगी जिसके तहत चुनाव में बराबर सीटें जीतकर आने वाली पार्टी में से उस पार्टी को एक्स्ट्रा पांच सीट दे दी जाये, जिसकी अब तक को सरकार नहीं बनी और उसकी सरकार बन जाये। इन्होने ये बात हरियाणा के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री को खुले तौर पर कही है। अगर वो इस बात को स्वीकार कर लेंगे और तो हरियाणा के मेधावी विद्यार्थी भी एक्स्ट्रा पांच मार्क्स को सही मान लेंगे।
इन एक्स्ट्रा पांच मार्क्स से आज वो घर भी दुखी है, जहां किसी बच्चे को सरकारी नौकरी न होने कि वजह से कहीं कोई छोटी नौकरी तो मिल गयी लेकिन अब उस के अच्छी नौकरी और घर में किसी अन्य सदस्य को नौकरी के सारे रस्ते बंद हो गए। हरियाणा के मेधावी बच्चों की मांग को देखते हुए यहाँ की सरकार और उच्च न्यायलय को स्वत् संज्ञान लेते हुए इस मामले को तुरंत संतुलित करना चाहिए, वरना हरियाणा के हर घर में बेरोजगारी की थाली और घण्टिया बजती रहेगी और यहाँ के युवा आंदोलन की राह पकड़ लेंगे।
(प्रियंका सौरभ, स्वतंत्र पत्रकार)
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