स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (एसवीईपी) ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमों को बढ़ावा दे रहा है और ग्रामीण उद्यमियों का निर्माण कर रहा है
एसवीईपी ने 23 राज्यों के 153 ब्लॉकों में व्यवसाय सहायता सेवाओं और पूंजी (इन्फ्युजन) को बढ़ावा दिया है; अगस्त 2020 के अनुसार, लगभग एक लाख उद्यमों की मदद की जा रही है, जिनमें 75 प्रतिशत महिलाओं के स्वामित्व और प्रबंधन में हैं.
नई-दिल्ली (PIB): स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (एसवीईपी), दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम), ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 2016 से एक उप-योजना के रूप में लागू किया गया है। इसका उद्देश्य ग्रामीणों को गरीबी से बाहर निकालना,उनकी उद्यम स्थापना में मदद करना और उद्यमों के स्थिर होने तक सहायता उपलब्ध करानाहै। एसवीईपी उद्यमों को प्रोत्साहन देने के लिए वित्तीय सहायता और व्यवसाय प्रबंधन में प्रशिक्षण और स्थानीय सामुदायिक कैडर बनाते समय स्व-रोजगार अवसरों को उपलबध कराने पर ध्यान केंद्रित करता है।
एसवीईपी ग्रामीण स्टार्ट-अप्स की तीन प्रमुख समस्याओं - वित्त, इन्क्युबेशन और कौशल पारिस्थितिक तंत्र का निवारण करता है। एसवीईपी के तहत गतिविधियों को रणनीतिक रूप से तैयार किया गया है, ताकि ग्रामीण उद्यमों को बढ़ावा दिया जा सके। इसका एक प्रमुख क्षेत्र एक समुदाय संसाधन व्यक्तियों - उद्यम संवर्धन (सीआरपी-ईपी) को विकसित करना है, जो स्थानीय है और ग्रामीण उद्यमोंकी स्थापना करने में ग्रामीण उद्यमियों की मदद करता है। एक अन्य प्रमुख क्षेत्र एसवीईपी ब्लॉकों में ब्लॉक संसाधन केंद्रों (बीआरसी) को बढ़ावा देना है। यह सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों की निगरानी और प्रबंधन करता है और एसवीईपी ऋण आवेदनों का मूल्यांकन करता है तथा संबंधित ब्लॉक में उद्यम संबंधी जानकारियों के भंडार के रूप में कार्य करता है। बीआरसी प्रभावी और स्वतंत्र रूप से कार्य करने के लिए स्थायी राजस्व मॉडल की सहायता करने की भूमिका निभाते हैं।
कार्यान्वयन के प्रारंभिक वर्षों के दौरान, एसवीईपी ने संस्थान संरचनाओं को स्थापित करने, मजबूत बनाने के लिए ग्रामीण समुदायों को प्रेरित करने, बीआरसी सदस्यों के लिए व्यवसाय प्रबंधन पहलुओं पर प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर निवेश करने, सीआरपी-ईपीएस का पूल बनाने और उन्हें गहन प्रशिक्षण देने, उद्यमियों को अपने मौजूदा उद्यमों को आगे बढ़ाने में सहायता करने के साथ-साथ नए उद्यमों की स्थापना पर भी ध्यान केन्द्रित किया है।
इन वर्षों में एसवीईपी ने प्रभावशाली प्रगति की है और अगस्त 2020 के अनुसार 23 राज्यों के 153 ब्लॉकों में व्यवसाय सहायता सेवाओं और पूंजी प्रेरित करने के बारे में सहायता प्रदान की है। अगस्त 2020 के अनुसार सामुदायिक संसाधन व्यक्ति-उद्यम संवर्धन (सीआरपी-ईपी) के लगभग 2000 प्रशिक्षित कैडर ग्रामीण उद्यमियों को सेवाएं प्रदान कर रहा है।, लगभग 100,000 उद्यमी उनसे सहायता प्राप्त कर रहे हैं। भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान (ईडीआईआई), अहमदाबाद एसईवीपी का तकनीकी सहयोगी है।
भारतीय गुणवत्ता परिषद ने सितंबर 2019 में एसवीईपी की मध्यावधि समीक्षा की थी, जिसमें बताया गया है कि देश के सभी ब्लॉकों में स्थापित उद्यमियों में लगभग 82 प्रतिशतउद्यमी एससी, एसटी और ओबीसी श्रेणियों के हैं, जो सामाजिक समावेश का संकेत देते हैं। यह एनआरएलएम का एक स्तंभ है। ऐसे 75 प्रतिशत उद्यममहिलाओं के स्वामित्व और प्रबंधन में है तथा इनका औसत मासिक राजस्व विनिर्माण के मामले में 39,000रुपये से 47,800रूपये,सेवाओं के मामले में41,700 रूपये और व्यवसाय के मामले में36,000 था। अध्ययन से यह भी पता चलता है कि उद्यमियों की कुल पारिवारिक आय का लगभग 57 प्रतिशतएसवीईपी उद्यमों के माध्यम से प्राप्त हुआ है।
एसवीईपी व्यक्तिगत और समूह उद्यमों दोनों को बढ़ावा देता है। यह मुख्य रूप सेविनिर्माण, व्यवसाय और सेवा क्षेत्रों में उद्यमों की स्थापना और प्रोत्साहन देता है। इस कार्यक्रम के तहत मुख्य रूप से स्थानीय मांग औरपर्यावरण-प्रणाली के आधार पर लाभदायक व्यवसायों को चलाने के लिए उद्यमियों के क्षमता निर्माण पर बड़े पैमाने पर निवेश किया जाता है। सीआरपी-ईपी प्रमाणित हैं और उद्यमियों को व्यावसायिक सहायता सेवाएं उपलब्धकराते हैं। व्यवसाय योजना, लाभ और हानि लेखा तैयार करने जैसे तकनीकी पहलुओं में संचरण हानि को न्यूनतम करने के लिए मानक ई-लर्निंग मॉड्यूल के सृजन में आईसीटी के उपयोग के बारे में एसवीईपी के तहत निवेश भी किया जाता है।
कोविडमहामारी की प्रतिक्रिया
जैसा कि देश ने कोरोना वायरस महामारी (कोविड-19) का मुकाबला कर रहा है। डीएवाई-एनआरएलएम के महिला, स्वयं सहायता समूहों ने प्रभावी अग्रिम पंक्ति के उत्तरदाताओं के रूप में कदम रखा और ग्रामीण समुदायों तथा सबसे कमजोर जनसंख्या के लिए तत्काल सहायता सुनिश्चित करने के लिए अंतिम कड़ी तक पहुंच गई। इन एसएचजी महिलाओं ने स्थिति की जिम्मेदारियों को निभाया और ये देश में मास्क, सुरक्षात्मक गियर किट, सैनिटाइजर और हैंडवॉश जैसे कई गुणवत्तायुक्त उत्पादों के निर्माण में मजबूत कार्य बल के रूप में उभरीं। स्थानीय प्रशासन ने विभिन्न हितधारकों के लिए उत्पादों की खरीद और वितरण कार्य किया। जरूरत के अनुसारइन एसएचजी ग्रामीण महिला उद्यमियों ने स्वयं का एक उदाहरण स्थापित किया और एक अतिरिक्त आय भी अर्जित की।
14 अगस्त, 2020 के अनुसार लगभग 3,18,413 एसएचजी सदस्य, फेस मास्क, सुरक्षात्मक किट और सैनिटाइजिंग उत्पादों के निर्माण में लगे हुए हैं। 29 राज्यों में महिला एसएचजी सदस्यों ने लगभग 23.07 करोड़ फेस मास्क, 1.02 लाख लीटर हैंडवाश और 4.79 लाख लीटर से अधिक सैनिटाइज़र का उत्पादन किया है, जिसके कारण अनुमानित व्यापार 903 करोड़ रुपये का हुआ है, जबकि देश के अधिकांश व्यवसायों का कार्य लॉकडाउन के दौरान रुक पड़ा था। इन ग्रामीण महिलाओं ने लगभग 29,000 रुपये प्रत्येक की अतिरिक्त आय अर्जित की।
इन महिला, एसएचजी द्वारा तैयार किए गए फेस मास्क कोविड-19 लॉकडाउन अवधि के दौरान सबसे सफल उत्पाद रहा,जिसमें 2.96 लाख एसएचजी सदस्य (59 हजार एसएचजी) शामिल हैं, जिन्होंने लगभग 150 दिनों में 23.37 करोड़ फेस मास्क का उत्पादन किया और लगभग 357 करोड़ रुपये का अनुमानित व्यापार किया। इनके उत्पाद सरकारी खरीद के द्वारा जनता तक आपूर्ति किए जा रहे हैं। ।
कुछ महिला एसएचजी सामुदायिक रसोई को चलाने में शामिल थींऔर उन्होंनेजो 5.72 करोड़ से अधिक कमजोर समुदाय के सदस्यों के लिए पकाया हुआ खानाउपलब्ध कराया।
कुछ राज्यों की महिला उद्यमियों द्वारा की जाने वाली पहल इस प्रकार है :
सुश्री शारदा देवी: बिहार
बोधगया ब्लॉक के अटिया पंचायत के खाजावती गांव के दिलीप कुमार ने एक उद्यमीके रूप में रेडीमेड कपड़े (बच्चों के कपड़े, पजामा आदि) का व्यवसाय 2018 में शुरू किया। उनकी पत्नी सुश्री शारदा देवी, एकता क्लब सीएलएफ के तहत आनंद गांवसंगठन राम एसएचजी की एक सदस्य हैं। श्री शारदा देवी उस समय समाचारों में आई, जब उन्होंने केवल 30 दिनों में 18,565 मास्क बनाने का रिकॉर्ड स्थापित किया। यह उत्पादन इसलिए संभव हुआ, क्योंकि उसने बीआरसी (एसवीईपी), बोधगया से 50,000 रुपये के वित्तीय सहायता से एक विशेष सिलाई मशीन सेट (सहायक इकाइयों के साथ) खरीदने में सफलता प्राप्त की। 60,000 रुपये का एक अन्य ऋण दिलीप को प्राप्त हुआ और उसकी व्यवसाय की अपनी इक्विटी 1.28 लाख रुपये थी।
उनके मास्क जिला प्रशासन और अन्य सरकारी विभागों को अपेक्षाकृत अधिक कीमत पर बेचे गए। केवल 30 दिनों में बिक्री का आंकड़ा 3.71 लाख रुपये तक पहुंच गया, जिसमें से शारदा देवी ने कम से कम 1.68 लाख रुपये का मार्जिन कमाया। व्यावसायिक आपदा के समय उसकी सहायता के लिए आगे आने के लिए बीआरसी, बोधगया टीम की आभारी है। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए उसका कारोबार6.50 लाख रुपये रहा है और उसने वित्त वर्ष 2018-19 में 1.80 लाख रुपये का लाभ कमाया था।
सुश्री भाग्यश्री लोंढे: महाराष्ट्र
सुश्री भाग्यश्री लोंढे, 2014 में जहानपुर गांव, बरशी तालुका में जिजाऊ एसएचजी में शामिल हुईं, जहां उन्हें विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर भाग लेने, जानने और चर्चा करने का अवसर मिला। भाग्यश्री ने सखी महिला ग्राम संघ (वीओ) का गठन किया, जिससे उन्हें उच्चतर प्रशिक्षण प्राप्त करने में मदद की। शुरुआत में उन्होंने जीजावा मसाला, पापड़ और अचार जैसे छोटे व्यवसाय को शुरू दिया।
भाग्यश्री को मई, 2016 में एसवीईपी बीआरसी बारसी से सीईएफ के रूप में 45,000 रुपये का ऋण प्राप्त हुआ और उसने स्थानीय रूप से उपलब्ध जैविक कच्चे माल का इस्तेमाल किया, ताकि एक तरफ जहां उत्पादन की लागत को कम किया जा सके, तो दूसरी ओर ग्राहकों को स्थानीय स्वाद भी उपलब्ध हो सके। उन्होंने महालक्ष्मी सरस 2019-2020, मुंबई में भाग लिया जहां उन्होंने केवल 10 दिनों में ही 5 लाख रुपये का राजस्व अर्जित किया और डेढ़ लाख रुपये का लाभ कमाया।
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