एफएसीटी तटीय नौवहन के माध्यम से 560 मीट्रिक टन अमोनियम सल्फेट के 20 और कंटेनर हल्दिया बंदरगाह भेजने की तैयारी में
- उर्वरक क्षेत्र का सार्वजनिक उपक्रम अपने उत्पादों के परिवहन के लिए प्रभावी माध्यम के रूप में तटीय नौवहन का उपयोग कर रहा है.
- इससे देश के पूर्वी और पश्चिमी तटीय क्षेत्रों में किसानों को तेजी से और समय पर उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी.
नई-दिल्ली (PIB): सायन और उर्वरक मंत्रालय अधीन सार्वजनिक उपक्रम ‘फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स त्रावणकोर लिमिटेड (एफएसीटी) ने अपने उत्पादों के परिवहन के लिए एक नए और प्रभावी माध्यम के रूप में तटीय नौवहन का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। इससे देश के पूर्वी और पश्चिमी तटीय क्षेत्रों में किसानों को उर्वरकों की तेजी से और समय पर उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
एफएसीटी को इस प्रयास में कोचीन पोर्ट ट्रस्ट का सक्रिय समर्थन मिल रहा है। तटीय नौवहन के माध्यम से ले जाए गए उर्वरकों को आवश्यक गंतव्य तक पहुँचाने के लिए रेलवे का उपयोग किया जाएगा।
एफएसीटी ने तटीय नौवहन के माध्यम से उर्वरकों के परिवहन के लिए माल ढुलाई सब्सिडी दिए जाने पर विचार करने की सरकार की नीति के अनुरूप कुछ चुने हुए स्थानों पर उर्वरक भेजने के लिए तटीय नौवहन का इस्तेमाल शुरु किया है। कंपनी की ओर से 30 जुलाई, 2020 को समुद्री मार्ग से अमोनियम सल्फेट से भरे 20 कंटेनरों की पहली खेप कोचीन से पश्चिम बंगाल के हल्दिया रवाना की गई थी। कंपनी दोबारा हल्दिया के लिए (560 मिट्रिक टन अमोनियम सल्फेट) के 20 और कंटेनरों की खेप भेज रही है।
कंपनी के उद्योगमंडल स्थित संयंत्र में कंटेनरों में उर्वरकों की लदाई का काम 2 सितंबर को पूरा हो चुका था। इन्हें अब आगे समुद्री रास्ते से चार सिंतबर को भेजा जाना है।
पश्चिम बंगाल में एफएसीटी के उत्पाद के विपणन का काम रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक उपक्रम एचआईएल (इंडिया) लिमिटेड द्वारा किया जाता है। एचआईएल कीटनाशक दवा- डीडीटी बनाने वाली दुनिया की एकमात्र कंपनी है।
ऐसा माना जा रहा है कि समुद्री मार्ग से उर्वरकों का परिवहन, रेल और सड़क मार्ग से उर्वरकों की आवाजाही के दबाव को काफी हद तक कम कर देगा।
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