प्रवासियों के लिए आत्मनिर्भर भारत योजना- एक समग्र दृष्टिकोण
नई-दिल्ली, 19 अगस्त 2020 (PIB): उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि, देश में नोवल कोरोनावायरस (कोविड-19) के प्रकोप के बीच भारत सरकार ने देश भर में प्रवासी मजदूरों के लिए मई 2020 के मध्य में आत्मनिर्भर भारत पैकेज (एएनबीपी) के तहत विभिन्न आर्थिक उपायों की घोषणा की थी। इसी क्रम में खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने 15 मई 2020 को 'आत्मनिर्भर भारत योजना (एएनबीएस)'के तहत सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को कुल करीब 8 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न का आवंटन किया ताकि देश भर में प्रवासियों/फंसे हुए प्रवासियों की खाद्य-सुरक्षा संबंधी आवश्यकताओं को कम करने में मदद की जा सके। यह योजना विशेष रूप से उन सभी व्यक्तियों को कवर करने के लिए शुरू की गई थी जो न तो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत और न ही किसी अन्य राज्य पीडीएस योजना के तहत कवर किए गए थे अथवा किसी भी कारण से कोविड-19 के कारण पैदा हुई अभूतपूर्व परिस्थिति में पीडीएस खाद्यान्न हासिल करने में सक्षम नहीं थे।
अंतर-राज्यीय प्रवासियों की संख्या के बारे में किसी भी दस्तावेज में कोई उल्लेख नहीं थालेकिन एहतियातन और व्यापक मीडिया कवरेज को ध्यान में रखते हुए देश भर में लगभग 8 करोड़ प्रवासियों/फंसे हुए प्रवासियों के होने का अनुमान लगाया गया था। सरकार की मंशा यह थी कि किसी भी परिस्थिति के लिए उन्हें पर्याप्त खाद्यान्न प्रदान किया जाए ताकि आवंटन उनकी आवश्यकता से कम न हो। इसलिए इस बात पर जोर देने की आवश्यकता थी कि देश भर में ऐसे व्यक्तियों की वास्तविक या अनुमानित संख्या का कोई भी डेटा केंद्र सरकार या राज्य सरकारों के पास उपलब्ध नहीं था। वास्तव में, मीडिया में इसे उजागर किया गया कि उससे लगता था कि यह समस्या काफी बड़ी थी और इसके लिए सरकार की सहानुभूतिपूर्ण एवं उदार प्रतिक्रिया की आवश्यकता थी ताकि कोई भी इसके दायरे से छूट न जाए।
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने इसे ध्यान में रखते हुए देश भर में अधिकतम प्रवासियों/फंसे प्रवासियों को कवर करने के लिए उदारतापूर्वक खाद्यान्न की मात्रा आवंटित की थी। हरेक राज्य में खाद्यान्न की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक राज्य को अतिरिक्त खाद्यान्न आवंटित किया गया जो कुल मिलाकर देश में लगभग 81 करोड़ एनएफएसए लाभार्थियों के 10 प्रतिशत के बराबर था। इस प्रकार, खाद्य विभाग ने प्रति माह लगभग 4 एलएमटी खाद्यान्न का आवंटन किया और दो महीने की अवधि यानी मई एवं जून 2020 के लिए कुल 8 एलएमटी खाद्यान्न आवंटित किया। यह लगभग 8 करोड़ प्रवासी/फंसे हुए प्रवासियों को कवर करने के लिए पर्याप्त था बशर्ते उनकीसंख्यावास्तविकहो। इसके अलावा, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को इस अतिरिक्त राशन केवितरणकेलिएलाभार्थियोंकी पहचान करने और वितरित करने की पूरी स्वतंत्रता दी गई थीताकिजिनके पास कोई भी राशन कार्ड नहीं था अथवा जोइससंकट के कारण खाद्यान्न हासिलनहींकरपारहेथे,उनकीमददकीजासके।साथहीराज्यों/केंद्रशासितप्रदेशोंसेऐसेव्यक्तियों की पहचान करनेके लिए उपयुक्त तंत्र विकसित करने और बाद में उन्हें मुफ्त खाद्यान्न वितरितकरनेकाअनुरोधकियागयाथा। इसके अलावा, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने नियमित रूप से राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के साथ बातचीत की और सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को भी स्पष्ट किया कि प्रवासियों/ फंसे हुए प्रवासियों के अलावा ऐसेसभीव्यक्तियों जिनके पास एनएफएसए/राज्य राशन कार्डअथवाउसकाविवरणनहीं हैउन्हेंभीआत्म-निर्भरभारत योजना (एएनबीएस) के तहत मुफ्त खाद्यान्न का वितरण भी किया जा सकता है।
आत्मनिर्भर भारत योजना (एएनबीएस) के कार्यान्वयन के दौरान सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभागों ने अपने राज्यों/केंद्रशासितप्रदेशों में प्रवासियों/फंसे हुएप्रवासियों की अधिकतम संख्या की पहचान करने के लिए काफी प्रयास किए।इसकेलिएट्रांजिट, क्वारंटीन केंद्रों,मजदूरोंके शिविरों, निर्माण स्थल आदि जगहोंमौजूदश्रमिकोंकाआकलनकियागयाऔर श्रम विभागों, जिला प्रशासन, नागरिक समाजों, गैर सरकारी संगठनोंआदि काभीसहयोगलियागया।इस प्रकार राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों किएगए सर्वेक्षण/पहचान के आधार पर कुलमिलाकर2.8 करोड़ प्रवासियों/फंसे हुएप्रवासियों के होनेकाअनुमानजाहिरकियागयाथा जिन्हें एएनबी योजना के तहत मुफ्त खाद्यान्न वितरण से लाभान्वित किया जा सकता है। ऐसे सभी व्यक्तियों को नकेवलउचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस) के माध्यम से बल्किविशेषवितरणकेंद्रोंकेजरियेमुफ्त खाद्यान्न वितरित करने के लिए सभी संसाधनों को युद्ध स्तर पर तैनातकियागया। प्रमुख सड़कों एवंराजमार्गों, क्वारंटीन केंद्रों, आश्रय गृहों, श्रमिकशिविरों मेंविशेषवितरणकेंद्रोंकेजरियेऔर मोबाइल वैन के माध्यम से उनजगहोंपरजहांऐसेलोगोंकीसंख्याकाफीथी,खाद्यान्नवितरणकियागया।
आत्मनिर्भर भारत योजना (एएनबीएस) की घोषणा मई 2020 के मध्य में की गई थी और राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा ऐसे प्रवासियों/फंसे हुए प्रवासियों की पहचान के बादकुल मिलाकर लगभग 6.38 एलएमटी खाद्यान्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने खुद अपने शुरुआती आकलन के आधार पर उठा लिए थे। उनका आकलन भी उदार था और काफी सावधानीपूर्वक तैयार किया गया था ताकि कोई भी प्रवासी/फंसे हुए प्रवासी इससे छूट न जाए। जब यह कवायद चल रही थी उसी दौरान कई राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने सूचित किया कि अधिकांश प्रवासी लोग उनके राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को छोड़ चुके हैं और अपने गृह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की ओर चले गए हैं जहां वे या तो एनएफएसए अथवा राज्य पीडीएस के तहत खाद्यान्न का लाभ उठा सकते हैं। इस प्रकार, 6.38 एलएमटी खाद्यान्न की अतिरिक्त मात्रा का पूरी तरह से उपयोग/वितरण नहीं किया जा सकता। परिणामस्वरूप, जून, 2020 के अंत तक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने केवल 2.3 एलएमटी खाद्यान्नों का वितरण किया। हालांकि, कई राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त अनुरोधों के आधार पर खाद्यान्न वितरण की अवधि को दो महीने बढ़ाकर 31 अगस्त, 2020 कर दी गई थी ताकि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को प्रवासियों/फंसे हुए प्रवासियों की अधिकतम संख्या को कवर करने का पर्याप्त अवसर मिल सके।
17 अगस्त, 2020 तक उपलब्ध रिपोर्टों के अनुसार, इसयोजनाकेतहतप्रवासियों/फंसे हुए प्रवासियोंकीपहचान करउनकेबीचखाद्यान्नवितरणकेलिएराज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा कुल 6.38 एलएमटी खाद्यान्नमेंसेलगभग 2.49 एलएमटी (39 प्रतिशत) खाद्यान्न काउठावकियागया।वितरण31 अगस्त 2020 तक वितरण जारी रहने के साथ हीउम्मीदकीजारहीहैकितबतककुछ और प्रवासी व्यक्ति एएनबीएसके तहत मुफ्त खाद्यान्न का लाभ उठा सकते हैं। कम उपयोगिता सेस्पष्ट पुष्टिहोताहैकि प्रवासी श्रमिकों की वास्तविक संख्या काफीकम थी और यदि वे अपने गृह राज्यों में वापस आ गए थे, तो वे पहले से ही एनएफएसए या राज्य राशन कार्ड योजना के तहत कवर किए गए थे।
साथहीयह उल्लेख करना भी आवश्यक है कि एएनबीएसके तहत मुफ्त खाद्यान्न वितरण के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, त्रिपुरा, मणिपुर, जम्मू-कश्मीरआदिराज्योंने उनलाभार्थियों को मार्च, 2020 के बाद नए राशन कार्ड जारी किए हैं जो पहले कवर नहीं किए गए थे। इससेइनराज्योंमेंक्रमश:लगभग 45 लाख, 15 लाख, 25,000, 10,000 और 35,000 व्यक्तियों को एनएफएसए/पीएमजीकेएवाई के तहत शामिलकियागयाहैताकिउन्हेंनियमिततौरपरसब्सिडीयुक्तखाद्यान्न कोटामिलसके। इसका मतलब है साफ हैकि इस अवधि के दौरान लगभग 60.70 लाख अतिरिक्त व्यक्तियोंको कवर कियागयाजो पहले कवर नहीं किए गए थे क्योंकि वे राज्य के बाहर थे लेकिन उनकेलौटने के बादनए कार्ड बनाए गए। इस संख्या में 2.51 करोड़ उनप्रवासियों कोभी आसानी से जोड़ा जा सकता है जिन्होंने एएनबीपीके तहत कवरेज प्राप्त किया।इसप्रकारमासिक आधार पर वास्तविक लाभार्थियों की संख्या बढ़कर3.81 करोड़ होगई। इसके अलावा, कई राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने ओपन मार्केट सेल्स स्कीम (ओएमएसएस) से भीसब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त किए और विभिन्न नागरिक समाजों, गैर सरकारी संगठनों, जिला प्रशासन को भी खाद्यान्नउपलब्धकरायाताकिसंकटकीघड़ीमेंफंसेहुएप्रवासियों के बीचफूड किट/पका हुआ भोजन आदि कावितरणकियाजासके क्योंकिउन्हेंभोजन सहायता की अत्यंतआवश्यकता थी। राज्यों ने शुरुआतीदौरमें प्रवासियों/फंसे हुए प्रवासियों की खाद्य आवश्यकता को पूरा करने के लिए एसडीआरएफ संसाधनों का भीउपयोग किया।
एनएफएसएमें लगभग 81 करोड़ लोगोंकोशामिलकियागयाहै।इसकेअलावाकुछ राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की अपनी योजनाओं केतहतअतिरिक्त 20 करोड़ व्यक्तियों को शामिल कियागयाहै। इस प्रकार, एनएफएसए और राज्यों/केंद्रशासितप्रदेशोंकी अपनी योजनाओं के माध्यम से पीडीएस के तहत 100 करोड़से अधिक व्यक्तियों को कवर करने के बाद अतिरिक्त 8 करोड़ व्यक्तियों के लिए जानबूझकर उदारतापूर्वकप्रावधानकियागया।इसयोजनाकीकमउपयोगितासेस्पष्ट है कि अंतर-राज्यीय प्रवासियों की वास्तविक संख्या अनुमान के मुकाबले काफी कम थी।इससे यह भी पता चलता है कि आवश्यकतासेकाफीअधिकप्रावधान कियागयाऔर प्रवासियों/फंसे हुए प्रवासियों की आवश्यकताओंकोपूराकरनेमेंकोईकमीनहींहुई। यह दलील कि 8 करोड़ प्रवासी वास्तव में मौजूद थे और उनकेबीचखाद्यान्नकावितरणकरनाचाहिएथा, तथ्यों की सही व्याख्या नहीं है। साथहीयहसंतोष की बात होनी चाहिए कि यह संख्या मई में 2.33 करोड़ और जून में 2.37 करोड़ तक घटगई जो कि राज्यों/केंद्रशासितप्रदेशोंद्वारा मई, 2020 के अंत में किए गए आकलन यानी2.80 करोड़ के दायरेमें थी। इसके अलावा मार्च, 2020 के बाद 60.70 लाख उन अतिरिक्त व्यक्तियों को कवर किया गया जो राज्यों में लौटने के बाद एनएफएसए/ पीएमजीकेएवाईके तहत नियमित रूप से राशन प्राप्त कर रहे हैं। इसलिए, 8 करोड़ लोगों की संख्या को वास्तविक लक्ष्य बना कर एएनबीपी के प्रदर्शन को कमतर नहीं आंकना चाहिए। तथ्य यह है कि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा जुलाई और अगस्त, 2020 के लिए पहले से ही उठाए गए खाद्यान्न के वितरण के लिए समय के विस्तार किए जाने के बावजूद सभी राज्यों द्वारा जुलाई में महज करीब 21 लाख और अगस्त में लगभग 6 लाख लाभार्थियों को कवर किया जा सका है। इससे पता चलता है कि सभी प्रवासियों/फंसे हुए प्रवासियों को कवर किया और एएनबी योजना ने उस उद्देश्य को पूरा किया जिसके लिए इसे शुरू गया था। इसलिए, इसे समय पर किए गए हस्तक्षेप की सफलता के रूप में देखा जाना चाहिए।
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