
प्रेमचंद जयंती पर वर्चुअल संगोष्ठी आयोजित
संत कबीर नगर, 31 जुलाई 2020: सत्ता की हनक से बेपरवाह लोक संवेदनाओं और मानवीय संबंधों का चित्रण करने वाले अमर रचनाकार "कलम के सिपाही" मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती पर प्रभा देवी स्नाकोत्तर महाविद्यालय, खलीलाबाद द्वारा एक वर्चुअल संगोष्ठी आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के शुरुआत में प्राचार्य डॉ• प्रमोद कुमार त्रिपाठी ने हिंदी और उर्दू साहित्य संसार में अपनी विशिष्ट स्थान रखने वाले मुंशी प्रेमचंद जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
उन्होने कहा कि, "मुंशी प्रेमचंद जी भारत के महानतम लेखकों में से एक थे। उनके उपन्यास और कहानियों में बिलकुल सच्चाई व जीवन के अनुभव की झलक मिलती है। उनकी रचना का परिवेश ज्यादातर ग्रामीण रहा है। प्रेमचंद ने अपनी लेखनी से 15 उपन्यास, 300 से अधिक कहानियां, 10 अनुवाद और 7 बाल पुस्तकें लिखी। उनकी प्रमुख रचनाओं गोदान, कफन, निर्मला, गबन, ईदगाह, मंगलसूत्र आदि को काफी ख्याति प्राप्त हुई।"
संगोष्टी को संबोधित करते हुए प्रभा ग्रुप के डायरेक्टर श्री वैभव चतुर्वेदी ने कहा कि, "मुंशी प्रेमचंद जी महान और अनुकरणीय उपन्यासकार रहे हैं। उन्होंने हिंदी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पिछ्ली सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया है।"
विषय प्रवर्तन कराते हुए नवनीत मिश्र ने बताया कि, "मुंशी प्रेमचंद का जन्म बनारस के लमही ग्राम में आज ही के दिन 1880 में हुआ था। इन्हें धनपत राय श्रीवास्तव के नाम से जाना गया। मुंशी जी साहित्य जगत के चमकते सूर्य के समान हैं। इनकी कहानियों और उपन्यासो में समाज के सबसे कमजोर तबके को महत्व दिया गया है, इन्होंने अपनी कहानियों से समाज को एक नया आयाम देने का प्रयास किया।"
श्री मिश्र ने कहा कि, "आगामी एक पूरी पीढ़ी को गहराई तक प्रभावित कर प्रेमचंद ने साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखी थी। वर्तमान समय मे प्रेमचंद जी होते भारत के कानून व्यवस्था सदियों पुरानी होते। जो पहले किसी मामले को सुलझाने होते थे तो गांव के चौपाल और किसी पेड़ के नीच सभा कर छोटे से बड़े मामले को निबटाया जाता है। आज एसी रूम में बैठ कर भी इंसाफ और न्याय नहीं होती है।"
संगोष्ठी की अध्यक्षता सचिव श्रीमती पुष्पा चतुर्वेदी ने किया तथा संचालन वी• के• मिश्रा ने किया।
डॉण् के• एम• त्रिपाठी ने कहा कि, "हमे मुंशी प्रेमचंद की लिखे उपन्यास और कहानियों को पढ़ना चाहिए। हमें उनसे इतिहास के माध्यम से सीखना होगा। आज प्रेमचंद जी को उपन्यास सम्राट, महान कवि और लेखक के नाम से जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने समाज को बहुत कुछ दिया है। उन्होंने अपने जीवन मे बहुत मेहनत किया।"
इस कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी एवं बहुत से विद्यार्थी वर्चुअल जुड़े रहे।
(नवनीत मिश्र)
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