
COVID-19: महाराष्ट्र के औरंगाबाद में शहडोल उमरिया के 17 मजदूरों की मौत - यह गरीबो की सरकारी हत्यायें हैं: रघु ठाकुर
- कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन के कहर के कारण मजदूरों की रोजी-रोटी छीन गई: रघु ठाकुर
- ये मजदूर बेरोजगार हो गए थे और अपने घर जाना चाहते थे: रघु ठाकुर
- वे पुलिस से बचने के लिए रेल की पटरियों के किनारे पैदल चल रहे थे: रघु ठाकुर
भोपाल, 8 मई: महाराष्ट्र के औरंगाबाद में शहडोल उमरिया के 17 मजदूरों की आज सबेरे हुयी रेल से मौत पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक- महान समाजवादी चिंतक व विचारक- रघु ठाकुर ने कहा कि, "यह गरीबो की सरकारी हत्यायें हैं।"
रघु ठाकुर ने कहा कि, "अगर उन्हें मुम्बई में सुविधा मिल गयी होती, रोजी-रोटी की व्यवस्था हो गयी होती तो, वे बेचारे भागने को मजबूर ही क्यों होते और रेल मिल जाती तो यह हादसा नहीं होता।"
लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष- एस. एन. श्रीवास्तव ने कहा कि, "लोसपा संस्थापक और राष्ट्रीय संरक्षक- परमादरणीय रघु ठाकुर जी का कथन सौ प्रतिशत सत्य है। इन दुष्परिणामों को भांप कर ही सबसे पहले परमादरणीय रघु ठाकुर जी ने गरीबों/श्रमिकों को विशेष ट्रेन चलाकर उनके घरों तक पहुंचाने की मांग की थी परन्तु अभी तक सरकार इस पर पूरी तरह अमल नहीं कर पायी है।"
एस. एन. श्रीवास्तव ने कहा कि, "इन हत्याओं का मुख्य कारण ही कोरोना महामारी को रोकने के लिए सरकार द्वारा समय से नहीं उठाया गया कदम तथा बिना सोचे-समझे उठाये गए कदम और गलत नीतियां हैं जिनके कारण कोरोना/ लॉक डाउन गरीबों पर कहर बन कर बरस पड़ा है, रोजी-रोटी और जीने का सहारा छिन गया है और वे जान बचाने के लिए अपने घरों को भाग रहे हैं।"
ज्ञातव्य हो कि, "पी टीआई - भाषा" के अनुसार, मध्य महाराष्ट्र के जालना से भुसावल की ओर पैदल जा रहे मजदूर अपने गृह राज्य मध्य प्रदेश लौट रहे थे तथा वे रेल की पटरियों के किनारे चल रहे थे और थकान के कारण पटरियों पर ही सो गए थे। करमाड से करीब 40 किलोमीटर दूर जालना से आ रही मालगाड़ी पटरियों पर सो रहे इन मजदूरों पर चढ़ गई और इस हादसे में 14 मजूदरों की मौत हो गई जबकि दो अन्य घायल हो गए। इस समूह के साथ चल रहे तीन मजदूर जीवित बच गए क्योंकि वे रेल की पटरियों से कुछ दूरी पर सो रहे थे। घायलों का इलाज चल रहा है।
कोरोना/ लॉक डाउन के कहर और सरकार की गलत नीतियों के कारण/ रोजी-रोटी छीन जाने के कारण ये मजदूर बेरोजगार हो गए थे और अपने घर जाना चाहते थे। वे पुलिस से बचने के लिए रेल की पटरियों के किनारे पैदल चल रहे थे।
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