कोविड-19: कोरोनावायरस से मुकाबले के लिए केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान के प्रयास: विज्ञान और प्रौद्योगिक मंत्रालय
कोविड -19 मरीजों से प्राप्त वायरस स्ट्रेन के सीक्वेंस की खोज की जाएगी
नई-दिल्ली: विज्ञान और प्रौद्योगिक मंत्रालय ने आज शनिवार को विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा तैयार किये गए पांच में से तीन श्रेणियों पर काम करते हुए केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई) ने उत्तर प्रदेश में कोविड -19 मरीजों से प्राप्त वायरस स्ट्रेन के सीक्वेंस की खोज करने के लिए किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के साथ एक समझौता (एमओयू) किया है। प्रारंभ में, लखनऊ स्थित प्रयोगशाला कोविड - 19 रोगियों के नमूनों से प्राप्त वायरस के स्ट्रेन का सीक्वेंस तैयार करेगी। यह गतिविधि पहली श्रेणी, ‘डिजिटल और आणविक निगरानी’ के तहत की जाएगी।
अब तक, वायरस के आठ अलग-अलग प्रकारों का पता चला है जिनके कारण कोविड – 19 का संक्रमण होता है। क्या वायरस सीक्वेंस में बदलाव, यदि कोई हो, प्रस्तावित उपचार रणनीतियों को प्रभावित करेगा ? इसके विश्लेषण के लिए एक टीम गठित की गई है।
कोविड - 19 के खिलाफ लडाई में ‘चिकित्सा या दवाओं के लक्ष्य का पुनर्निर्धारण’ दूसरी श्रेणी है जिस पर सीडीआरआई काम कर रहा है। इसके तहत, शोधकर्ता कुछ दवाओं के लक्ष्य के पुनर्निर्धारण करने की कोशिश कर रहे हैं जो चिकित्सकों द्वारा वर्त्तमान में उपयोग की जा रही हैं। सीएसआईआर-सीडीआरआई के निदेशक प्रोफेसर तापस कुमार ने कहा “कोविड - 19 संक्रमण के खिलाफ ज्ञात दवाओं के लक्ष्य का पुनर्निर्धारण, चिकित्सा प्रदान करने का सबसे तेज़ तरीका है। सीडीआरआई ने लक्ष्य के पुनर्निर्धारण के लिए कई दवाओं की पहचान की है और इन्हें सहयोग के आधार पर आगे विकसित किया जायेगा।”
संस्थान के पास अणुओं का एक विविध संग्रह है और सार्स –सीओवी -2 के औषधि लक्ष्यों के एक पैनल के खिलाफ इनकी स्क्रीनिंग की गई है। ‘लक्ष्य-आधारित स्क्रीनिंग प्रणाली’ - यह तीसरी श्रेणी है। पहचाने गए हिट्स का मूल्यांकन प्रारंभिक दवा लक्ष्य-आधारित स्क्रीन (प्राथमिक स्क्रीन) में किया जाएगा। डॉ कुमार ने कहा “एम-प्रोटीज, सीएल-प्रोटीनटेज, आरएनए-निर्भर आरएनए पोलीमरेज़, स्पाइकप्रोटीन-एसीई 2 प्रणाली, और अन्य लक्ष्यों पर वर्तमान में काम किया जा रहा है। सहयोगी प्रयोगशालाओं और केजीएमयू की मदद से उनके बंधन / अवरोध का मूल्यांकन इन -विट्रो और इन -विवो प्रणालियो के आधार पर किया जाएगा।”
प्रोफेसर अमिता जैन केजीएमयू के वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व करेंगी, जबकि सीएसआईआर-सीडीआरआई के वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व प्रोफेसर आर. रविशंकर करेंगे। सीडीआरआई के एक वायरोलॉजिस्ट और केजीएमयू के पूर्व छात्र डॉ राज कमल त्रिपाठी सीएसआईआर-सीडीआरआई में स्क्रीनिंग से जुड़े सभी कार्यों का नेतृत्व कर रहे हैं।
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