विशेष: *दुनिया विशाल जलपोत जैसा है जो कोरोना तूफान से जूझ रहा है*: तनिष्का पुरोहित
भोपाल: आज भारतवर्ष में बच्चों के विकसित होते दिमाग में भी कोरोना महामारी को लेकर बहुत से विचार जन्म ले रहे हैं, बहुत सी चिताएं और इस महामारी से लड़ने की भावना बलवती हो रही है और उन्ही बच्चों में से एक "अति विवेकशील और बुद्धिमान छात्रा हैं- मध्य प्रदेश के श्री भवंस भारती पब्लिक स्कूल की दसवीं कक्षा की छात्रा- तनिष्का पुरोहित" जिसने कोरोना महामारी पर एक लेख *दुनिया विशाल जलपोत जैसा है जो कोरोना तूफान से जूझ रहा है* शीर्षक से लिखा है।
"विशेष" में प्रस्तुत है, इस देश के मध्य प्रदेश की अति विवेकशील और बुद्धिमान छात्रा- तनिष्का पुरोहित का कोरोना वायरस महामारी पर लेख______
"दुनिया विशाल जलपोत जैसा है जो कोरोना तूफान से जूझ रहा है"
"कोरोना" जिसे कोविड-19 भी कहा जाने लगा है, यह एक संक्रमण है, जिसे छुआछूत की बीमारी भी कह सकते हैं इसकी पहचान है कि जिस आदमी में कुछ असामान्य लक्षण जैसे सूखी खांसी, सिर में दर्द, कमजोरी, तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ, मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द, ठण्ड लगना, मचली और/या उलटी आना, हो वह व्यक्ति इस रोग से पीड़ित हो सकता है। जब तेज बुखार, खांसी के साथ खून आने लगे तो समझ लेना चाहिए कि, ये कोरोना के गंभीर लक्षण हैं। इसमें श्वेत रक्त कणिकाओं में कमी आ जाती हैऔर किडनी ख़राब हो जाती है।
संक्रमण कोरोना का नाम चीन के वुहान शहर से शुरू उस बाजार से हुआ, जहां जानवरों का मांस बेचा जाता है। उस शहर में इस बीमारी से संक्रमित लोगों का मिलना शुरू हुआ और इसकी जांच हुई तो उसका नाम कोरोनावायरस रखा गया। छुआछूत की बीमारी होने के कारण यह बीमारी वुहान शहर में तेजी से फैली और वहां बीमारों और मरने वालों की संख्या बढ़ने लगी।
चीन ने पहले उपचार का प्रयास किया जब बीमारी बेकाबू होती दिखी तो आदमी से आदमी की दूरी रखने (सोशल डिस्टेंसिंग) ताकि संक्रमण न फैले । वुहान शहर को लॉकडाउन किया और लोगों पर पाबंदी लगाई कि,आदमी से आदमी दूरी बनाकर रखें, तभी बचा जा सकता है।
चीन के वुहान शहर के लोग दुनिया के कई देशों में गए और इस बीमारी ने दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। कुछ देश समय रहते चेते तो उन्होंने कुछ हद तक उस पर काबू पा लिया परंतु कुछ देशों में देरी होने के कारण इस महामारी ने अपने पैर पसार लिए और उस देश में बीमारी से मरने की संख्या बढ़ने लगी और संक्रमित लोग ज्यादा मिलने लगे इसलिए हर देश को वहां के शासकों ने लाॅक डाउन करना शुरू किया ताकि इस महामारी से जनता को बचाया जा सके।
आज पूरी दुनिया लाॅक डाउन में रह रही है। ताकि इस महामारी से बचा जा सके तमाम देशों के पास इस महामारी से बचने के लिए ना तो संसाधन है ना ही अस्पताल, न डॉक्टर और न स्वास्थ्य कर्मी। इसलिए इस महामारी से बचने का उपाय यही सबसे उचित है कि, आदमी से आदमी की दूरी बना कर राखी जाय और सड़कों, बाजारों में ना जाएँ। भारत ने तो आदमी से आदमी की दूरी बनाए रखने के लिए रेल, बस, हवाई जहाज, जैसी सेवाएं बंद कर दी है, ताकि यह छुआछूत की बीमारी कम फैले।
आज दुनिया जिस महामारी के दौर से गुजर रही है, उसके ठीक या कम होने के बाद जो उद्योग धंधे, बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था, कमजोर होगी उससे रोजगार कम होंगे। बेरोजगारी बढ़ेगी और महामारी का संकट जो दुनिया पर पड़ेगा, इसमें भूख होगी, बीमारी होगी, शिक्षा का अभाव, आदमी का जीवन स्तर गिरेगा, उससे कैसे निपटा जाएगा, इसकी भी समस्या पैदा होगी। इस महामारी से सारी दुनिया की अर्थव्यवस्था में तेजी से गिरावट आएगी, जिस को ठीक करने में कई वर्ष लग जाएंगे।
आज दुनिया भर की मानवता डरी सहमी है कि, कहीं यह महामारी अगर तेजी से फैलती है तो यह दुनिया भर के मानव जाति को ही नष्ट न कर दे। यही सोच सारी दुनिया की सरकारों की है कि, इस महामारी से कैसे बचा जा सके तथा लोगों को इस महामारी के भय से मुक्त किया जा सके और बीमारी से बचाया जा सके सारी दुनिया अपने-अपने देश को इस महामारी से लड़ने के लिए लोगों को साहस प्रदान कर रही है। ताकि लोग इस महामारी से लड़ कर बाहर निकले और फिर से जीवन यापन शुरू करें।
आज दुनिया मानव बम के कगार पर खड़ी है। आज उन देशों में मानव जाति को ज्यादा खतरा है, जिनकी जनसंख्या ज्यादा है। अगर वहां महामारी व्यापक पैर पसारती है तो, उस में मरने वालों की जो संख्या होगी, उसकी कल्पना बड़ी भयावता पैदा करती व डराती है।
इसके उदाहरण कुछ देश हैं जैसे- अमेरिका के राष्ट्रपति ने आगाह किया कि आने वाले दिनों में इतनी मौतें होगी जितनी कभी नहीं देखी। अब कल्पना की जा सकती है कि, अमरीका की क्या हालत होगी, जो विकासशील देश है और चीन से 1000 वेंटिलेटर मंगवा रहा है और 22000 नागरिकों को एयरलिफ्ट करा रहा है। इटली में 1 दिन में 681 लोगों ने दम तोड़ दिया, फ्रांस में 7500 से ज्यादा मौते।
आज 72000 मौतों के साथ 13 लाख संक्रमित लोग दुनिया में हो गए। फ्रांस और अमेरिका में सबसे ज्यादा मौतें हो रही हैं, जापान तो इमरजेंसी घोषित कर रही है। पाकिस्तान में आटा, दाल, चीनी का संकट हो गया है। लीबिया के पूर्व पीएम की मौत हो गई है।
भारत भी इस महामारी से जूझ रहा है। यहां 30 जनवरी २०२० को केरल की एक लड़की, जो बुहान शहर में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही थी, वह भारत अपने घर वापस आई। वह लड़की कोरोना पॉजिटिव थी। उससे केरल में यह संक्रमण फैलना शुरू हुआ। विदेशों से कई छात्र जो पढ़ाई करने गए थे, वे भारत लौटे। उनमें से कुछ संक्रमित थे। उनसे भी बीमारी का फैलना शुरू हुआ। कुछ विदेशी मरकज में इकट्ठा हुए और जो जमाती विदेशों से आए उनमें कुछ संक्रमित थे। वहां भी देश के लोगों की भीड़ रही और भारत में इस महामारी ने पैर पसारना शुरू किया।
भारत में जब लॉक डाउन की घोषणा हुई तब तक इस बीमारी ने धीरे-धीरे पैर पसारना शुरू कर दिया था। आज भारत में बीमारी बढ़ ही रही है। लोगों ने लाॅक डाउन का पूरा पालन नहीं किया। लाॅक डाउन से जो शहरों के उद्योग धंधे बंद हुए, मकान निर्माण के काम बंद, हुए हाथ ठेले रिक्शे बंद हुए ,उससे लाखों की संख्या में काम करने वाले मजदूरों जिन्हें रहने खाने की परेशानी शुरू हुई तो उन्होंने लाखों की संख्या में पैदल ही 500 - 700 किलोमीटर दूर अपने घर की ओर पलायन करना शुरू किया क्योंकि लॉक डाउन में रेल, बस ,हवाई सेवा वाधित हो गई थी।
उस भीड़ से भी लॉक डाउन और आदमी से आदमी की दूरी का पालन नहीं हुआ और खतरा बढ़ता ही जा रहा है। भारत के प्रधानमंत्री जी को भारत देश में कर्फ्यू लगाना पड़ा। लोगों को समझाइस दी जा रही है कि इस महामारी से लड़ना व हमें जीतना है तो, अपने हाथ बार-बार साबुन से धोएं, मुंह पर मास्क पहने, आदमी से आदमी की दूरी बनाए, लोग अपने-अपने घरों में रहे।
भारत की जनसंख्या 130 करोड़ है। अगर यहां महामारी भयानक रूप में उभरी तो भारत की आबादी के हिसाब से मौतों की कल्पना नहीं की जा सकती। इसलिए आदमी को खुद और देश को बचाने में सहयोग कर इस बीमारी से दूर रहकर इस महामारी का डटकर मुकाबला करना होगा। तभी हम इस महामारी से जीत पाएंगे। आज दुनिया की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है और आदमी को जीवन यापन के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ेगा। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जो दुनिया की हालत हुई थी उसी दौर की ओर दुनिया बढ़ती हुई दिखती है।
उस संकट के बाद दुनिया को उबरने में कई दशक लगे हैं। आज जो विश्व की हालत बन रही है, उससे उबरने में भी कई दशक लग सकते हैं। वुहान शहर चीन के बाद जब यह वायरस फैला तो अफवाह हो या सच्चाई, यह खबर भी चली कि चीन के वुहान शहर से 60 लाख आदमी जो कोरोना संक्रमित थे, दुनिया में गए, लोगों से गले मिले और इस वायरस को दुनिया में फैलाया। इस तरह की अफवाह से भी दुनिया को बचना होगा। आज दुनिया की शिक्षा पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। भारत में तो परीक्षा का समय था, ऐसे में विद्यार्थियों का पूरा साल ही बेकार हुआ जा रहा है। स्कूल कॉलेज कब खुलेंगे, कब परीक्षा होगी, कब स्कूल कॉलेज नई क्लास के लिए शुरू होंगे, अभी यह अनिश्चितता के दौर में है। बाकी देशों का भी यही हाल है। आज जब विकासशील देश इस महामारी से लड़ने में असमर्थ नजर आ रहे हैं तो विकसित और अविकसित देशों की क्या हालत होंगी कल्पना से परे हैं। कोरोनावायरस के लिए कौन जिम्मेदार, इस पर दुनिया बटी है। अमेरिका का सोचना है कि कोरोना वायरस कोई जैविक हथियार है या सिर्फ बीमारी संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों के साथ दुनिया भर में यह चर्चा भी जारी है। अमरीका चीन की प्रयोगशाला को जिम्मेदार बता रहा है तो चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने 15 मार्च को ट्वीट कर कहा था कि जब अक्टूबर में वुहान शहर में विश्व सैन्य खेल हुए थे तभी अमरीकी सैनिकों की टीम ने साजिश के तहत इस वायरस को उस शहर में प्लांट किया और इसके बाद से ही यह बीमारी बुहान शहर में फैलने लगी। उधर ब्रिटेन सरकार को खुफिया सूचना मिली है कि वायरस का संक्रमण पहले चीनी लैब से जानवरों में हुआ और उससे इंसानों में फैला। डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री बोरिस जानसन द्वारा गठित आपात आयोग कोबरा के एक सदस्य ने इसकी पुष्टि की है। रूस में चैनल वन नामक चैनल ने तो इस पर शाम के समय एक नियमित शो ही करना शुरू कर दिया। इस कार्यक्रम में कहा गया कि कोरोनावायरस दरअसल यूरोप और अमेरिका की बड़ी दवा कंपनियों और अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए की मिली जुली साजिश है। वायरस को अमेरिकी लैब में विकसित किया गया है। संक्रमण फैलने से मध्य पूर्व में संघर्ष में भी कमी आई। बेरुत कोरोनावायरस फैलने के बाद मध्यपूर्व देशों में अचानक संघर्ष और उससे होने वाली मौतों का आंकड़ा कम हो गया। सीरिया उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र इदलिव मैं 9 साल पुराने युद्ध में केंद्र बिंदु रहे रूस और तुर्की में संघर्ष विराम देखा जा रहा है। सीरियन आव्जवैटरी फार ह्यूमन राइट्स के अनुसार मार्च के महीने में हुई घटनाओं में सिर्फ 1 से 3 मौतें हुई। यह 2011 में संघर्ष शुरू होने के बाद से मौतों का यह सबसे कम आंकड़ा है। शुक्रवार को कोरोना को लेकर संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी देते हुए कहा था कि, अभी सबसे बुरा आना बाकी है। यमन सरकार और हूति विद्रोहियों ने संघर्ष विराम के लिए संयुक्त राष्ट्र की अपील का सकारात्मक जवाब दिया। इसी तरह सऊदी अरब के सैन्य गठबंधन ने किया था। जानकारों का कहना है कि, महामारी से मध्यपूर्व के हालत ज्यादा सुधरने वाले नहीं है।
फिलीपींस पुलिस ने शनिवार को लाॅक डाउन ना मानने वाले 63 साल के आदमी को गोली मार दी। घटना कोरोनावायरस की जांच के लिए बनाए गए चेकप्वाइंट की है। व्यक्ति की मौत हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, व्यक्ति ने शराब पी रखी थी। जब स्वास्थ्य कर्मी ने उसे मास्क लगाने को कहा था तो व्यक्ति ने दराती से हमला कर दिया था। स्वास्थ्य कर्मी को बचाने के लिए पुलिस की गोली चलानी पड़ी। फिलीपींस के राष्ट्रपति ने बुधवार को लाॅक डाउन तोड़ने वालों पर गोली मारने के आदेश दिए थे। इसी तरह भारत के इंदौर शहर में जांच के लिए गई टीम पर जनता ने पुलिस और स्वास्थ्य कर्मियों पर पत्थर बरसाए।
पूरी दुनिया की हालात फिलहाल उस विशालकाय जलपोत जैसी है जो कोरोना से जूझ रहा है। इस तूफान के दौरान जहां दुनिया भर में सामाजिक स्वास्थ्य सेवाओं को चुस्त-दुरुस्त करने पर जोर दिया जा रहा, वहीं अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के बदलाव के आसार भी नजर आ रहे हैं।संक्रमण की महामारी से अंतर्राष्ट्रीय शक्ति माने जाने वाले अमेरिका के भी हाथ पैर फूल रहे हैं। सैन्य शस्त्र प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष विमान में ढेरों उपलब्धियों वाला अमरीका कोरोना वायरस से मौतों पर तीसरे स्थान पर है। भयावह हालात के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर कोरोनावायरस के खिलाफ युद्ध मे सहयोग की मांग की। अमेरिका हाइड्राक्सीनक्लोरोक्वीन टेबलेट की खेप चाहता है। भारत इस दवा का सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसका इस्तेमाल मलेरिया से लड़ने में किया जाता है। कोरोनावायरस के खिलाफ भी कारगर साबित होने पर इसकी मांग बढ़ गई है। घरेलू बाजार में दवा की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भारत इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा चुका है। भारतीय दवा निर्माता कंपनियां इसके कच्चा माल चीन से और ब्राजील से मंगाती हैं। ट्रंप से बातचीत के बाद भारतीय प्रधानमंत्री ने ब्राजील के राष्ट्रपति जेवर वोलसोनारो से बात कर यह भरोसा हासिल किया कि ब्राजील से इस दवा के कच्चे माल की आपूर्ति में कोई कमी नहीं आएगी।
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत की कोशिशों की विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत कई देश तारीफ कर चुके हैं।
इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि, सभी देश मिलकर कोरोनावायरस को हरा कर बाहर निकलेंगे तथा परस्पर सहयोग करेंगे और यही भावना को आगे भी कायम रखेंगे दुनिया में शांति स्वास्थ्य और विकास के लिए वसुधव कुटुम्बकम की भावना को प्रबल करना बेहद जरूरी है।
जिस तरह आज चीन इस बीमारी से उवर रहा है, आशा है दुनिया भी इस बीमारी से शीघ्र ही उवर कर साथ में खड़ी होगी।
स्वस्थ रहें , सुरक्षित रहें । क्योंकि हम सब एक है।
*लेखिका - तनिष्का पुरोहित*
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