अमेरिका -चीन अब दोनों युद्ध-विराम की स्थिति में - अमेरिका ने कोरोना वायरस को चाइनीज और वुहान वायरस कहना बंद किया!
वाशिंगटन: मल्टी मीडिया के खबरों के अनुसार कोरोना वायरस महामारी को लेकर अमेरिका तथा चीन के बीच चला आ रहा वाक-युद्ध अब युद्ध-विराम में तब्दील हो गया है और इसके साथ ही अमेरिका ने कोरोना वायरस को अब वुहान वायरस कहना बंद कर दिया है।
खबरों में बताया गया है कि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 26 मार्च को अपने चीनी समकक्ष शी चिनफिंग से फोन पर बात होने के बाद से कोरोना वायरस को अब "चाइनीज वायरस" कहना बंद कर दिया है तथा कोरोना वायरस को "वुहान वायरस" कहने वाले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ भी अब सहयोग की बात कहते नजर आ रहे हैं।
खबरों में यह भी बताया गया है कि, वाशिंगटन में चीन के राजदूत कुई तियानकई ने अलग मत जताते हुए न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा कि, "अमेरिकियों से उन्हें लगाव है और वचनबद्ध चीन अमेरिका की मदद के लिए सबकुछ करेगा"।
खबरों के अनुसार अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता मोर्गन ओर्टागुस ने कुई की टिप्पणी का स्वागत किया, लेकिन कहा कि चीन वायरस पर ब्योरा साझा करे और अपने यहां लोगों को बोलने की आजादी दे।
उन्होंने कहा, सच्चे सहयोग में पारदर्शिता और वास्तविक कार्य होना चाहिए, न कि सिर्फ बयानबाजी।"
खबरों में यह भी बताया गया है कि, बीजिंग पर ट्रंप के आरोप को अनेक पर्यवेक्षकों ने राजनीतिक तिकड़मबाजी करार दिया क्योंकि वह कोविड-19 से निपटने के लिए त्वरित कदम नहीं उठा पाए, जिससे अमेरिका में 12 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई है। लेकिन ट्रंप को चीन की जरूरत भी है, जिसने अमेरिका में आयातित मास्क में से आधे मास्कों का निर्माण किया है।
खबरों के अनुसार काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में एशिया अध्ययन निदेशक एलिजाबेथ इकोनॉमी ने कहा, "वाशिंगटन बीजिंग को इस हद तक नाराज नहीं करना चाहता कि वह अमेरिका को चिकित्सा उपकरणों की बिक्री रोक दे।"
कार्नेगी एंडोवमेंट इंटरनेशनल पीस के स्कॉलर डगलस पॉल ने कहा, "चीन का मकसद ट्रंप को शांत रखना और अनावश्यक नुकसान को रोकना है ताकि दोनों के बीच में संपर्क बना रहे।"
पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन और जार्ज एच डब्ल्यू बुश के एशियाई मामलों के सलाहकार रहे पॉल ने कहा कि चीन की अमेरिका के नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव पर भी नजर है।
चीन की शीर्ष प्राथमिकता यही है कि उसके निर्यात की वैश्विक मांग को फिर से कायम करना है और शुरूआत में उसकी सोच यही थी कि ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति चुने जाने से उसे फायदा होगा। चीन को डर था कि डेमोक्रेट अगर सत्ता में आ गए तो कारोबार के साथ ही मानवाधिकार के मुद्दे पर वे ज्यादा जोर देंगे ।
लेकिन पॉल चीन के सरकारी मीडिया में जो बाइडेन को सकारात्मक रूप में पेश किए जाने को लेकर हैरान हैं जो कि संभावित डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हैं ।
उप राष्ट्रपति के रूप में बाइडेन ने शी के साथ संबंधों को गहरा करने में काफी मेहनत की थी जो कि चीन के पिछले कई दशकों में सबसे शक्तिशाली नेता हैं ।
खबरों में बताया गया है कि, पॉल ने कहा, "सरकारी मीडिया को मैं जितना पढ़ पा रहा हूं ए उसके हिसाब से अब ट्रंप के पुनरू निर्वाचन में उनकी एक साल पहले के मुकाबले अब कहीं कम रूचि है।"
वह कहते हैं, "और इसलिए अब ट्रंप के साथ काम करने में उनकी महत्वाकांक्षाएं पहले जैसी नहीं है। वे पीछे हटते हुए अपने हितों को प्राथमिकता दे सकते हैं।"
(साभार- मल्टी मीडिया)
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