हवाई अड्डों का निजीकरण फिलहाल ठंडे बस्ते में
नयी दिल्ली: बिजनेस स्टैण्डर्ड द्वारा जारी खबरों में बताया गया है कि, छह हवाई अड्डों के निजीकरण के प्रस्तावित चरण को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। बोली लगाने के लिए किसी कंपनी के पास कितने हवाई अड्डे हो सकते हैं, उस सीमा को लेकर सहमति नहीं बनने की वजह से प्रस्तावित चरण को टाला गया है। समझा जाता है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने बोलीदाताओं को सभी हवाई अड्डों के लिए बोली लगाने के नियम बनाए हैं, वहीं वित्त मंत्रालय और कैबिनेट सचिवालय ने हवाई अड्डों की संख्या पर सीमा लगाने को लेकर पत्र लिखा है। 2018 में निजीकरण के दौरान जब बोली के नियमों को अंतिम रूप दिया गया था उस समय भी वित्त मंत्रालय बोली के लिए हवाई अड्डों की संख्या पर सीमा लगाने के पक्ष में था।
हालांकि सचिवों की समिति के सुझावों के बाद सरकार ने सभी छह हवाई अड्डों के लिए कंपनियों को बोली लगाने की अनुमति दे दी। इसमें गौतम अदाणी के नेतृत्व वाली अदाणी एंटरप्राइजेज सफल बोलीदाता बनकर सामने आई और सभी छह हवाई अड्डे . लखनऊ, अहदमदाबाद, जयपुर, मंगलूरु, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी अपने नाम कर लिए। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "निजीकरण की प्रक्रिया फिलहाल रोक दी गई है। कैबिनेट सचिवालय से नियमों पर नए सिरे से काम करने का स्पष्ट निर्देश मिला है। निजीकरण पर अंतिम निर्णय बाद में लिया जाएगा।"
अधिकारी ने कहा कि सरकार को इस बात की चिंता है कि अगर सभी छह हवाई अड्डे एक ही बोलीदाता के पास चले जाते हैं तो इससे गलत संकेत जाएगा और भ्रष्टाचार को लेकर संदेह पैदा होगा। फरवरी 2018 में छह हवाई अड्डों के निजीकरण की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद सरकार छह और हवाई अड्डों - अमृतसर, वाराणसी, भुवनेश्वर, इंदौर, रायपुर और त्रिची का निजीकरण करने की प्रक्रिया शुुरू की थी। दिसंबर 2019 में एएआई ने निजीकरण की प्रक्रिया को मंजूरी दे दी थी। इसके बाद निविदा के नियम और शर्तें तैयार की गईं और उसे आर्थिक मामलों के विभाग के पास भेजा गया। नागरिक उड्डयन मंत्रालय बोली के लिए हवाई अड्डों की संख्या सीमित करने के पक्ष में नहीं है।
अधिकारी का कहना है कि अधिकतम प्रतिस्पद्र्घा के लिए हवाई अड्डों की संख्या को सीमित नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस चरण में अपेक्षाकृत कम यातायात वाले हवाई अड्डों के लिए बोली लगाई जानी है। आर्थिक मामलों के विभाग ने कहा, "छह हवाई अड्डा परियोजना में काफी पूंजी की जरूरत होती है, ऐसे में यह प्रावधान होना चाहिए कि एक बोलीदाता को दो से अधिक हवाई अड्डे नहीं दिए जाएंगे। विभिन्न कंपनियों को हवाई अड्डा देने से प्रतिस्पद्र्घा भी बढ़ेगी।" निजीकरण की प्रक्रिया एएआई के लिए काफी फायदेमंद रहा है। एएआई के अनुसार अदाणी ने अहमदाबाद के लिए 177 रुपये प्रति यात्री, जयपुर के लिए 174 रुपये, लखनऊ के लिए 171 रुपये, तिरुवनंतपुरम के लिए 168 रुपये, मंगलूरु के लिए 115 रुपये और गुवाहाटी के लिए 160 रुपये प्रति यात्री देने की पेशकश की है। कुछ मामलों में बोली की राशि दूसरे सबसे ऊंची बोली से करीब दोगुनी थी। रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार, अदाणी द्वारा आक्रामक बोली लगाना एएआई के लिए अच्छा साबित हुआ। एएआई अदाणी से सालाना 600 करोड़ रुपये से ज्यादा की आय अर्जित करेगी।
(साभार- बी एस)
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