
विशेष -VIDEO: भारत सरकार का वर्ष 2020 का केंद्रीय बजट- घोर निराशाजनक, दिशाहीन और केवल भाषणबाजी है: रघु ठाकुर
केंद्रीय बजट 2020 पर प्रतिक्रिया:
प्रख्यात समाजवादी चिंतक व विचारक- रघु ठाकुर, राष्ट्रीय संरक्षक- लोसपा द्वारा केंद्रीय बजट 2020 पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए
- देश के 'बेरोजगारों' के लिए इस बजट में कोई उम्मीद नहीं है। देश के बेरोजगारों के लिए कोई विशेष चर्चा भी इस बजट में नहीं है।
- देश के 'आम इंसान' की कोई चर्चा नहीं है।
- 'महंगाई' के सवाल को लेकर इस पर कोई चर्चा नहीं है।
- कुल मिलाकर यह बजट केवल 'शब्द वाला बजट' है, "शब्द-बजट" है। इस 'बजट' से 'रद्दी और बद्तर बजट' कोई हो नहीं सकता है।
(रघु ठाकुर)
नई-दिल्ली: लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी तथा रेल सेवक संघ के राष्ट्रीय संरक्षक- महान समाजवादी चिंतक व विचारक- रघु ठाकुर ने केंद्रीय बजट 2020 पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, "भारत सरकार का वर्ष 2020 का बजट घोर निराशाजनक, दिशाहीन और केवल भाषणबाजी है।"
रघु ठाकुर ने कहा कि, "जो कर-रियायतों की घोषणा की गयी है, वह एक प्रकार से दिखावा है। जो सुविधाएं दी जा रही थीं, उन सुबिधाओं को छीन करके और फिर विकल्प देना, ये दोनों प्रकार के से कटौतियों का सामना करने के लिए कहना है। या तो आप फ्रिंज बेनिफिट्स छोड़ दीजिये जो 80 या 100 प्रकार के कर लाभ मिलते थे, उनको छोड़ दीजिये तो फिर आपको नया स्लैब मिलेगा। नया स्लैब अगर आपको लेना है, तो फिर जो सुबिधायें मिलती हैं, उनको छोड़ दीजिये। यानि कुल मिलाकरके किसी न किसी तरीके से सरकार को टैक्स लेना है, सरकार को जेब काटना है। यह लोगों को गुमराह करने का तरीका है।"
उन्होंने कहा कि, "इस बजट में कहा गया है कि, वर्ष 2022 -23 तक किसानों कि आय दोगुणी हो जाएगी।"
रघु ठाकुर ने किसानों की आय दोगुणी करने परअपनी प्रतिक्रिया में कहा कि, "ये किसानों की आय दोगुणी करने की चर्चा पिछले तीन सालों से हम लोग सुन रहे हैं। और हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री जी भी ये घोषणा करते रहे कि, "किसानों की आय दोगुणी होगी।" परन्तु इस दोगुणी को करने का तरीका क्या होगा, इसके बारे में न उन्होंने पहले कहा है और न अब कहा है। ये भी केवल एक प्रकार का चुनावी जुमले जैसा लगता है।"
रघु ठाकुर ने कहा कि, "इस बजट में भारत सरकार के जो सार्वजनिक क्षेत्र हैं, जिनमें जनता की पूँजी लगी है, उन क्षेत्रों के निजीकरण करने का ही एक प्रकार से पूरा बजट है। ये कहा जा सकता है कि, ये जो बजट है बजट सरकारी उद्द्योगों को निजी हाथों में बेचने का बजट है। ये पब्लिक सेक्टर को बेचू बजट है।"
रघु ठाकुर ने कहा कि, "जो जीवनबिमा निगम है उस जीवनबीमा निगम के अन्सों को सरकार बेचने की तैयारी कर रही है, उसकी घोषणा सरकार ने की है।"
उन्होंने कहा कि, "रेलवे का करीब करीब निजीकरण होने की तैयारी है। जब आप डेढ़ सौ (150) गाड़ियां तेजस के नाम से नई चलाएंगे, तो फिर ये जो निजी गाड़ियां चलेंगी, या तो आप धीरे-धीरे पुरानी गाड़ियों को बंद करेंगे, तो सरकारी गाड़ियों को बंद करना और नयी गाड़ियों को चलना, ये एक प्रकार से रेल को बेचने के सामान है। जो इंफ्रास्ट्रक्चर है, वह सारा इंफ्रास्ट्रक्चर भारत की जनता के पैसे से बना हुआ है। और अभी भी आश्चर्य की बात यह है कि, रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन का काम ये रेलवे करेगी। जब आपको गाड़ी चलाना ही नहीं है तो, आप इलेक्ट्रिफिकेशन खुद क्यों करना चाहते हैं?- इलेक्ट्रिफिकेशन के काम को आप निजी हाथों में क्यों नहीं देना चाहते हैं?- आप उनको दीजिए। परंतु इलेक्ट्रिफिकेशन में कोई निजी आदमी नहीं आएगा क्योंकि उसमें कोई मुनाफा नहीं होने वाला है या कोई मुनाफा ज्यादा नहीं होने वाला है।
यह कुल मिलाकर के निजीकरण का रास्ता खोलने का प्रयास है। सरकार सब दायित्वों से मुक्ति पाना चाहती है।"
रघु ठाकुर ने कहा कि, "शिक्षा के क्षेत्र में हम लोग देखें तो फिर उन्होंने विश्वविद्यालयों को भी पीपीपी मॉडल से देने का फैसला किया है जो मेडिकल कॉलेज नए खोले जा रहे हैं, उन्हें भी पी पी मॉडल से खोला जा रहा है, यानी कि निजी भागेदारी के साथ खोला जाएगा। तो हर क्षेत्र में सरकार निजी भागीदारी की चर्चा कर रही है, और निजी भागीदारी का मतलब है- निजी पूंजी का निमंत्रण और निजी पूंजी के निमंत्रण का मतलब है कि एक प्रकार का निजीकरण।"
रघु ठाकुर ने कहा कि, "जो विदेशी-पूंजी है उसको बड़ी सुविधाएं प्रदान की गई है। कर्मचारियों को दो विकल्प दिए गए हैं कि, आप यह चुने या यह चुने फांसी का फंदा चुने या बन्दूक की गोली चुने। लेकिन कारपोरेट के लिए टैक्स में कमी की गई है और भारी कमी की गई है। कारपोरेट टैक्स तो लगभग समाप्त जैसा कर दिया गया है। तो यह जो बजट है, यह दुनिया के उद्योगपतियों के लिए, विदेशी पूंजी को सुविधा देने के लिए, हिंदुस्तान के सरकारी क्षेत्र को खत्म करने के लिए, हिंदुस्तान के उन क्षेत्रों के सरकार के कई जवाबदारियों को, शिक्षा और चिकित्सा जैसी जो जवाबदारियां हैं, इनको ख़त्म करने के लिए, और एक प्रकार से किसानों के लिए केवल लाली पॉप दिखाकर दूर चले जाने के लिए यह बजट है।"
रघु ठाकुर ने कहा कि, "इस बजट में कोई उम्मीद नहीं है, देश के बेरोजगारों के लिए इस बजट में कोई उम्मीद नहीं है।"
रघु ठाकुर ने कहा कि, "देश के बेरोजगारों के लिए इस बजट में कोई उम्मीद नहीं है। देश के बेरोजगारों के लिए कोई विशेष चर्चा भी इस बजट में नहीं है। देश के आम इंसान की कोई चर्चा नहीं है। महंगाई के सवाल को लेकर इस पर कोई चर्चा नहीं है तो कुल मिलाकर यह बजट केवल शब्द वाला बजट है, शब्द बजट है। इस बजट से रद्दी और बद्तर बजट कोई हो नहीं सकता है।"
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