व्यंग्य: 370 का जनाजा है जरा झूम के निकले: नवेन्दु उन्मेष
दिल्ली की सड़कों पर उस दिन एक जनाजा जा रहा था। उस जनाजा को भाजपा के कुछ
नेता ढो रहे थे तो कांग्रेस सहित कई अन्य विपक्षी दलों के नेता उसके पीछे
चल रहे थे। मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने आगे बढ़कर पूछा कि आखिर किसकी मौत
हो गयी। उनमें से एक विपक्षी दल के नेता ने कहा कि धारा 370 की मौत हो
गयी है। मैंने सोचा आदमी की तो मौत होती है लेकिन धारा 370 की मौत कैसे
हो सकती है। उसने कहा वह ठीक ठाक था लेकिन आज उसे हार्ट अटैक हो गया। तब
मैंने कहा कि इसकी मौत से आप क्यों दुखी है, जबकि इस धारा की वजह से न
जाने कितने भारतीय जवानों को अबतक शहीद होना पड़ा है। अगर इस धारा की मौत
हो गयी तो खुश होने जरूरत है न कि दुखी होने की।
उसने कहा दुखी कैसे न होउं। इस धारा की वजह से हमारी रोजी-रोटी चलती थी।
अब इसकी मौत के कारण हमारी रोजी-रोटी भी तो छिन गयी। मैंने कहा अगर इस
धारा से आपलोगों को इतना प्रेम था तो आपने इसका बीमा क्यों नहीं करा रखा
था। उसने कहा कि बीमा कंपनियां किसी धारा की बीमा नहीं करती हैं। अगर
करती तो जरूर करा लेता। मैंने उनसे कहा खैर रोने की जरूरत नहीं है। अगर
यह धारा मरी गयी तो मर जाने दीजिए। वैसे यह बतलाईये कि इसकी उम्र कितनी
थी। उसने कहा यह धारा 1951 में पैदा हुई थी। 68 सालों तक जीवित रही।
जनाजा आगे बढ़ा तो देखाकि जम्मू की सीमा आ गयी थी। वहां शहर में कफ्र्यु
का माहौल था। मैंने सोचा जब भी किसी बड़े आदमी की मौत होती है तो शहर में
कफ्र्यु लगा दी जाती है। जैसे इंदिरा गांधी की मौत पर भी मेरे शहर में
कफ्र्यु लगा था। जनाजा आगे बढ़ता जा रहा था। मैंने एक दूसरे नेता से पूछा
कि आखिर इस जनाजा का क्या करेंगे। उसने कहा कि जम्मू-कश्मीर में ले जाकर
झेलम नदी में डाल देंगे ताकि यह बहता हुआ पड़ोसी देश पाकिस्तान में पहुंच
जाये।
मैंने कहा इस धारा की मौत से पाकिस्तान में पहले से ही बहुत गुस्सा है
अगर इस धारा का जनाजा वहां पहुंचेगा तो वहां के नेताओं का गुस्सा और
भड़केगा। उसने कहा पाकिस्तान के नेताओं से हमे क्या लेना-देना है।
जनाजा आगे बढ़ता जा रहा था। निकट के एक घर से रेडियो पर एक गीत बज रहा था
’छोड़ बाबुल का घर आज पिय के नगर मुझे जाना पड़ा।’ मैं समझ गया कि धारा 370
अब पिय के घर पहुंच गया है। वहां जाकर नेताओं ने झेलम में उसे बहा दिया।
दूसरी ओर पाकिस्तान की ओर से झेलम के तट पर इमरान खान सहित कई पाकिस्तानी
नेता खड़े थे और लाउडस्पीकर से आवाज आ रही थी ’ले जायेंगे, ले जायेंगे
दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे।’ मैंने सोचा अब यह जनाजा पाकिस्तानी
नेताओं के लिए दिलवाले दुल्हनिया हो गया है। वे इसे ले जायेंगे और अपने
संग्रहालय में रख लेंगे और दुनिया के देशों को दिखायेंगे कि यह देखो धारा
370 जिसकी हत्या भारत में हुई थी। अब यह मेरे पास है।
(नवेन्दु उन्मेष)
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