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स्टेडियमों और रेल धरोहरों को बेचने की तैयारी !
नेहरू स्टेडियम और करनैल सिंह स्टेडियम भी शामिल
नई दिल्ली: विनिवेश का 1.05 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार स्टेडियमों और रेल के धरोहर मार्गों में निजी निवेश की अनुमति दे सकती है। इनमें दिल्ली का जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम भी शामिल है।
सूत्रों के मुताबिक इस बारे में नीति आयोग, निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम), खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय और रेल मंत्रालय के प्रतिनिधियों के बीच दो बैठकें हो चुकी हैं। ये बैठकें पिछले सप्ताह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण से पहले हुई थीं।
नीति आयोग ने दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम और करनैल सिंह स्टेडियम को बेचने का प्रस्ताव रखा है। ये दोनों स्टेडियम केंद्र सरकार के हैं। इन स्टेडियमों को पूरी तरह बेचा जा सकता है या रियल एस्टेट कंपनियों को व्यावसायिक इमारतों की तरह इनका इस्तेमाल करने की अनुमति दी जा सकती है। विनिवेश की पहली सूची में जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम और करनैल सिंह स्टेडियम समेत छह स्टेडियम शामिल हैं। जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम एशिया का 27वां सबसे बड़ा है और यहां 60 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था है। यह खेल मंत्रालय का हिस्सा है। इसी तरह करनैल सिंह स्टेडियम भारतीय रेलवे का हिस्सा है।
हालांकि खेल मंत्रालय को राष्ट्रीय स्टेडियमों को बेचने पर आपत्ति है और मतभेदों को दूर करने के लिए और बैठकें हो सकती हैं। दीपम का मानना है कि अगर संबंधित मंत्रालय बिक्री योजना पर सहमत होगा, तभी निवेशक इसमें दिचलस्पी दिखाएंगे। एक अधिकारी ने कहा कि विनिवेश के कुछ मॉडलों पर विचार किया जा रहा है। इसमें निजी कंपनियों को खेल मंत्रालय और रेल मंत्रालय के स्टेडियमों का पूरी तरह अधिग्रहण करने की अनुमति दी जा सकती है।
दूसरा मॉडल यह है कि निजी कंपनियां स्टेडियम में होटल और शॉपिंग मॉल स्थापित कर सकती हैं लेकिन साथ ही उन्हें खेलों का बुनियादी ढांचा भी विकसित करना होगा। इसका उदाहरण कोलकाता का साल्ट लेक स्टेडियम है जिसका संचालन इंडियन फुटबॉल एसोसिएशन करता है। स्टेडियम परिसर के अंदर या आसपास दो होटल हैं जिनमें हयात भी शामिल है।
एक अधिकारी ने कहा, "हरेक स्टेडियम से करीब 1,000 करोड़ रुपये का निवेश मिलने की संभावना है। दिल्ली में खेल विभाग के पास पांच स्टेडियम हैं जिनके विनिवेश पर विचार चल रहा है। इसके अलावा रेलवे के स्टेडियमों को भी बेचा जा सकता है। "कुशमैन ऐंड वेकफील्ड इंडिया के भारतीय में प्रमुख और प्रबंध निदेशक अंशुल जैन ने कहाए श्इस तरह की परिसंपत्तियों से राजस्व कमाने का सरकार का यह अच्छा विचार है। इनमें से अधिकांश परिसंपत्तियों का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। अभी इन परिसंपत्तियों के मूल्य का आकलन जल्दबाजी होगी।
इंगलैंड में भी एक क्रिकेट स्टेडियम के पास हिल्टन होटल है। इस स्टेडियम में विश्वकप के मैच हो रहे हैं। दुनिया में यह एक जांचा परखा मॉडल है। "दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम कॉम्प्लेक्स, इंदिरा गांधी स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्विमिंग पूल कॉम्प्लेक्स, मेजर ध्यान चंद नैशनल स्टेडियम और डॉ. कर्णीसिंह शूटिंग रेंज युवा मामले एवं खेल मंत्रालय के पास हैं। साथ ही रेलवे के अधीन आने वाले दक्षिण पश्चिम रेलवे स्टेडियमए विशाखापट्टनम और करनैल सिंह स्टेडियमए दिल्ली को भी बेचने पर विचार चल रहा है।
यूनेस्को की धरोहर स्थलों की सूची में शामिल रेलवे की लाइनों में दार्जीलिंग हिमालयन रेलवेए नीलगिरि माउंटेन रेलवे और कालका शिमला रेलवे शामिल हैं। माथेरान हिल रेलवे को भी इस सूची में जगह मिलने की संभावना है। भारतीय रेलवे की इन धरोहर परिसंपत्तियों के प्रबंधन के लिए एक विशेष कंपनी बनाने की योजना है। इसके जरिये निवेश कंपनियों भी निवेश कर सकती हैं। अभी रेलवे इन धरोहर परिसंपत्तियों के रखरखाव और प्रबंधन पर सालाना 250 से 300 करोड़ रुपये खर्च करता है।
(साभार: बिफनेस स्टैण्डर्ड)
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