उम्र कैद से संत-धर्माचार्य नाखुश, कहा सजा-ए-मौत के लिए योगी सरकार हाईकोर्ट में करे अपील
अयोध्या: अमर उजाला द्वारा जारी समाचार में बताया गया है कि, श्रीरामजन्मभूमि पर हमला करने के गुनहगारों को फांसी से कम सजा मिलने पर अयोध्यावासी निराश हैं। जिन परवारों ने तीन जानें गंवाई वे कहते हैं कि उन्हें तभी संतोष मिलेगा जब पांचों को मौत की सजा मिलेगी। संत-धर्माचार्य भी फैसले से खुश नहीं हैं।
कहते हैं कि पिछली सरकारों की लचर पैरवी ने आतंकवादियों को फांसी से बचा लिया है। अब योगी सरकार मामले में हाईकोर्ट में अपील करके न्याय दिलाए। हमला करने का हिम्मत दिखाने वालों के खिलाफ सरकार से कड़ा संदेश देने की मांग की। कहते हैं कि इतने बड़े आतंकी हमले की सुनवाई में करीब 15 साल का वक्त लगना अपने आप में सवाल खड़े करता है, ऊपर से पांच आतंकियों में चार को उम्रकैद व एक को बरी करना लचर पैरवी की मिसाल है।
5 जुलाई 2005 को हुए आतंकी हमले में लश्कर के पांच फिदायीन आतंकियों ने विवादित परिसर के पास विस्फोटक लदी जीप से धमाका कर परिसर की सुरक्षा के लिए लगाई गई बैरिकेडिंग को उड़ा दिया था। इसके बाद अंधाधुंध फायरिंग व ग्रेनेड फेंकते हुए विवादित परिसर के अंदर दाखिल हुए थे।
उनका मकसद श्रीरामजन्मभूमि में विराजमान रामलला को क्षति पहुंचाना था। मगर, घंटे भर से अधिक समय तक सुरक्षा बलों से चली मुठभेड़ में पांचों आतंकी मारे गये। घटना की जांच कर रही पुलिस ने मारे गये आरोपियों के पास से मिले मोबाइल सिम के जरिए इनसे संपर्क में रहने वाले आशिफ इकबाल, डॉ. इरफान, मो. शकील, मो. नसीम व अजीज को गिरफ्तार किया था।
इन पर पुलिस ने धारा 147, 148, 148, 295, 307, 302, 353, 153, 153ए, 153बी, 120बी, 7 सीएल, एक्ट जैसी धाराएं लगाईं थीं। फैजाबाद कचहरी में वकीलों के विरोध के कारण हाईकोर्ट के आदेश पर 2006 में आरोपियों को नैनी जेल में शिफ्ट करते हुए सुनवाई के लिए विशेष कोर्ट बनाई गई।
मंगलवार को विशेष जज दिनेश चंद्र ने चार आरोपियों आशिफ इकबाल, डॉ. इरफान, मो. शकील, मो. नसीम को उम्रकैद कती सजा सुनाई। साथ ही 20.20 हजार का जुर्माना लगाया। जबकि साक्ष्य के अभाव में मोहम्मद अजीज को बरी कर दिया गया।
पिछली सरकारों ने की मामले में लचर पैरवी
श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा कि रामजन्मभूमि पर हमला करने वालों को तो रामलला ने सजा सुना ही दी थी, जो अन्य गुनहगार थे उन्हें सजा मिलने में इतना लंबा समय लग गया है। कहा कि पिछली सरकारों की लचर पैरवी का ही परिणाम है कि आतंकी मौत की सजा से बच गये। धर्मनगरी को दहलाने का प्रयास करने वालों को तो मौत की सजा ही मिलनी चाहिए।
आतंकियों को मिले मौत की सजा
रामजन्मभूमि न्यास के सदस्य पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती ने कहा कि जो रामलला के साथ विश्वासघात करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। इनके विश्वासघात के चलते कई परिवारों की गृहस्थी उजड़ गई थी।
बहुत पहले ही हो जानी चाहिए थी सजा
हनुमानगढ़ी के महंत ज्ञानदास ने कहा कि फिदायीन हमले में शामिल जो अन्य आतंकी पकड़े गए उनको सजा मिलने में 14 साल लग गये। इन्हें बहुत पहले ही सजा मिल जानी चाहिए थी। कोर्ट हमेशा साक्ष्यों के आधार पर निर्णय देता है इसलिए कोर्ट ने जो भी निर्णय दिया हैए उसका हम स्वागत करते हैं।
फैसला संतोषजनक नहीं, मिले फांसी
संत समिति अयोध्या के अध्यक्ष महंत कन्हैयादास रामायणी ने कहा कि जो फैसला आया है वह संतोषजनक नहीं है। साक्ष्य के अभाव में जिसे बरी किया गया है उसके खिलाफ साक्ष्य जुटाना चाहिए। हमारी मांग है कि सरकार खुद इस मामले में हाईकोर्ट में पैरवी करे। जिन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली है वे जेल में बैठकर पुनरू साजिश रचेंगे, इन्हें सरकार कब तक रोटी खिलाती रहेगी।
पीड़ित परिवारों को मदद दे सरकार
महंत परमहंस दास ने कहा कि कोर्ट के फैसले का हम सम्मान करते हैं। कोर्ट ने एक आतंकी को बरी कर यह संदेश दिया कि यदि कोई बेगुनाह इस तरह की घटनाओं में फंसता है तो उसे माफ किया जा सकता है, लेकिन जो दोषी हैं उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। हालांकि रामलला पर हमला करने वालों को फांसी से कम की सजा नहीं होना चाहिए थी। हमारी मांग है कि सरकार पीड़ित परिवारों की मदद करे।
अब योगी सरकार दिलाए फांसी की सजा
विहिप के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि अदालत ने जो निर्णय दिया हम उसका सम्मान करते हैं लेकिन रामलला पर हमले के दोषियों के लिए यह सजा नाकाफी है। अब तो योगी सरकार को हाईकोर्ट में अपील कर इन आतंकियों को फांसी की सजा दिलानी चाहिए। कहा कि जो दूसरों को मौत बांटने आए हों, उन्हें मौत ही मिलनी चाहिएए आतंकियों को एक कड़ा संदेश देने की जरूरत है।
(साभार- भाषा)
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