सोशल मीडिया पर यह क्या चल रहा है और क्यों?- संपादक
सोशल मीडिया पर जो चल रहा है, क्या यह जनमानस के मस्ततिष्क में उठ रहे प्रश्न हैं अथवा कोई षडयंत्र?-
लखनऊ: आज एक्जिट पोल की विश्वसनीयता समाप्त होती जा रही है। एक्जिट पोल का आकलन प्रायोजित सा प्रतीत होने लगा है, क्योंकि पिछले तीन-चार चुनाव से लोक सभा/ विधान सभा चुनाव के परिणाम से एक्जिट पोल कोसों दूर रहा है और यही मत कई पत्रकारों का भी रहा है।
अब हम जो सोशल मीडिया पर वाइरल हो रहे चुनाव आयोग की कार्य-प्रणाली को लेकर चल रही चेतावनी और नारों की बात करें तो चिन्ता होती है और जनमानस के साथ-साथ मेरे मन में भी एक प्रश्न उठने लगा है कि, "यह क्या चल रहा है और क्यों ?- क्या चुनाव आयोग जनतांत्रिक मूल्यों से खिलवाड़ कर रहा है या यह कोई षडयंत्र है ?-
इस प्रकार के प्रश्न या नारे जब सोशल मीडिया पर "राजनारायण के लोग" संस्था के संयोजक और "लहू बोलता भी है" के लेखक - सर्व श्री शाहनवाज कादरी जी ऐसे प्रबुद्ध लोग लिखते हैं, तो बात गम्भीर हो जाती है।
एक तरफ "राजनारायण के लोग" संस्था के संयोजक- और "लहू बोलता भी है" के लेखक- साथी शाहनवाज कादरी सोशल मीडिया पर "चुनाव आयोग होश में आओ, लोकतांत्रिक मूल्यों से खिलवाड़ बन्द करो" के नारे लिखते हैं, तो दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर लोग राजनैतिक दलों के काउन्टटिंग एजेन्ट्स व अन्य को सावधान करते हुए आगाह कर रहे हैं कि, "सभी लोग काउन्टिंग बूथ पर गिनती से पहले EVM मशीन के नम्बर का मिलान उस नम्बर से करें, जिस नम्बर की मशीन वोटिंग के लिए गई थी।"
इससे साफ हो रहा है कि कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ है, जिसकी स्वतंत्र एजेंसी से जाँच कराकर सरकार को आम जनमानस के मन-मस्तिष्क में विश्वास पैदा करना चाहिए।
संपादक
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