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लाठी सरकार की विकल्प होंगी लँगड़ी सरकार: रघु ठाकुर
लखनऊ: आज लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक- महान समाजवादी चिंतक व विचारक तथा राजनैतिक पैगम्बर- रघु ठाकुर अल्पकाल के प्रवास पर लखनऊ आए थे और पी•जी•आई• में भर्ती छत्तीसगढ़ के मंत्री- रविन्द्र चौबे जी को देखने गए।
पी•जी•आई• से लौटने के उपरांत हेरिटेज होटल में पत्रकारों से चर्चा में कहा कि, "प• बंगाल की घटनाओं ने दुनिया में भारत की छवि खराब की है और भारतीय लोकतंत्र ने समूची लोकतांत्रिक प्रक्रिया को विवादित कर दिया है।"
इन घटनाओं का असर देश के साथ-साथ विदेश नीति पर पडता है और एक राष्ट्र के रूप में हमारी स्थिति कमजोर होती है।
ऐसा महसूस हो रहा है कि, जैसे वहां पर चुनाव ना होकर युद्ध लड़ा जा रहा हो। बंगाल आशंकित और भयभीत है।
भाजपा के भोपाल के प्रत्याशी- सुश्री प्रज्ञा ठाकुर ने नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहकर गाँधी जी की हत्या को जायज ठहराने का प्रयास किया है।
यद्यपि उन्होंने अपने पार्टी के कथित दबाव में अपने बयान का खंडन किया है परन्तु यह खंडन केवल शाब्दिक है।
यह उनकी रणनीति है कि बयान भी दो, खंडन भी करते रहो और देश को गुमराह करते रहो।
इन लोगों ने एक बार फिर महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहने पर प्रश्न चिन्ह लगाना शुरू किया है।
महात्मा गांधी को "राष्ट्रपिता" कानून ने नहीं बनाया है बल्कि सर्वप्रथम नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने गांधी जी को राष्ट्रपिता कहना सुरू किया तत्पश्चात समूचे देश ने स्वीकार किया है।
दुनिया में कभी-कभी ऐसे विराट ब्यक्तित्व के लोग होते हैं जिन्हें लोग स्वप्रेरणा से स्वीकार करते हैं।
गांधी राष्ट्रीय मन के राष्ट्रपिता हैं। आने वाले चुनाव में देश में किसी एक दल को बहुमत मिलने की सम्भावना नहीं है।
लाठी सरकार का विकल्प लँगड़ी सरकार होगी।
यदि चुनाव के पहले ही कार्यक्रम आधारित एक बड़ा गठबंधन बन गया होता तो शायद 1984 की पुनरावृत्ति हुई होती।
आगामी 4 वर्ष देश के लिए बड़ी कठिनाई के होने वाले हैं क्योंकि विदेशी कर्ज और बाजार की अदायगी इन वर्षों में होना है।
इन चार वर्षों में 118 अरब डालर के कर्ज की अदायगी करनी है और इसकी चर्चा चुनाव में और राजनीति में एकदम नहीं है। बजट पूर्व आर्थिक अनुमान में जो संसद में पेश हुआ। 80 हजार करोण रुपया सार्वजनिक क्षेत्र के विनिवेश से प्राप्ति का लक्ष्य रखा गया है। यह सीधे-सीधे राष्ट्रीय सम्पत्ति का विक्रय है, परन्तु भारतीय राजनीति मुद्दा विहीन और मूर्ति परक हो गई है। इस जडता को तोड़ना होगा। इन चुनाव परिणाम के बाद आगामी 2-3 वर्ष में देश में पुनर्गठन के वर्ष हो सकते हैं जिनमें नये-नये गठबंधन उभरेंगे।
पत्रकारों से चर्चा के उपरांत श्री रघु ठाकुर ने पार्टी के उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष- सच्चिदानन्द श्रीवास्तव व अन्य साथियों से मिले और ताजा स्थितियों पर चर्चा की।
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