विशेष: 20 मार्च- गौरैया दिवस पर लेख: नवनीत मिश्र
लुप्त होती गौरैया: आवश्यकता है गौरैया के देख-रेख और संरक्षण की!
गौरैया की घटती संख्या को रोकने और इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है। इस प्रजाति के संरक्षण के लिए वर्ष 2010 में पहली बार 20 मार्च को गौरैया दिवस मनाया गया था और तभी से प्रतिवर्ष 20 मार्च को गौरैया-दिवस के रूप में मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है।
संत कबीर नगर से स्वतंत्र पत्रकार- नवनीत मिश्र अपने लेख में लिखते हैं कि, दो-तीन दशक पहले की तुलना में आज गौरैया की मौजूदगी लगभग 60%से भी कम हो गई है।
बचपन में सुबह सबेरे चीं-चीं की आवाज के साथ नींद खुलती थी। आंगन में दाना चुगती गौरैया को डराना फिर उन्हे चावल व अनाज के दाने और पानी रखना। उस समय पेड़ों पर गौरैयों का झुण्ड, मुंडेरो पर चहचहाती चिडियो का जमावड़ा अब देखनें को नहीं मिलता है।
बढ़ती आधुनिकता और वैश्विक तापमान के कारण गौरैया की प्रजनन क्षमता प्रभावित हुयी और यह आज विलुप्ति के कगार पहुँच गयी है और यह रेड बुक में शामिल हो गयी है।
ज्ञात हो कि विश्व भर में गौरैया की 26 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें में से 5 भारत में देखने को मिलती हैं। पक्षियों के लिये काम करने वाली रॉयल सोसाइटी फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ बर्ड द्वारा हाल में किये गये सर्वे के अनुसार पिछले 40 सालों में दूसरे पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन भारत में गौरैया की तादाद में 60% तक कमी आई है।
एक अन्य संस्था बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी ने भारत में गौरैया की स्थिति जानने के लिए हाल ही में ऑनलाइन सर्वे कराया था। इसमें 7 साल से लेकर 91 साल तक के 5700 पक्षी प्रेमी शामिल हुए। इस सर्वे में सामने आया कि बेंगलुरू और चेन्नई में गौरैया दिखना बंद हो गई। मुंबई की स्थिति थोड़ी बेहतर रही।आज आवश्यकता है इनके देख.रेख.संरक्षण की।
गौरैयों को बचाने के लिये कुछ योगदान हम आप भी कर सकते हैं, जो निम्नवत हैैं:
1, गर्मी के दिनों में अपने घर की छत या खुली जगहों पर एक बर्तन में पानी भरकर रखें।
2. गौरैया को खाने के लिए चावल व अनाज छतों और खुली जगहों पर रखें।
3. कीटनाशक का प्रयोग कम करें।
4. हरियाली बढ़ाएं, छतों पर घोंसला बनाने के लिए कुछ जगह छोड़ें और उनके घोंसलों को नष्ट न करें।
नवनीत मिश्र
swatantrabharatnews.com