लहू बोलता भी है: जंगे आजादी ए हिन्द के मुस्लिम किरदार....
आइए जानते हैं, जंंगे आजादी ए हिन्द के चार और मुस्लिम किरदार के विषय में.....
1. मीर मोहम्मद हुसैन
मीर मोहम्मद हुसैन वल्द मीर ख़ैराती सरिश्ता-ए-दार महिकमा एजेंसी अलवर का शुमार भी बाग़ियों में था। पुलिस अलवर से आपको गिरफ्तार करके दिल्ली ले आयी और जेल में डाल दिया। फिर जुर्मे-बग़ावत आयद करके चंद माह बाद आपको फांसी पर चढ़ा दिया गया।
2. हकीम अब्दुलहक़
हकीम अबदुलहक़ इब्ने हक़ीम हुस्नबख़्श बल्लभगढ़ की रियासत के दीवान थे। आपको भी बागियों में शुमार किया गया और बल्लभगढ़ में गिरफ्तार करके पहले जेल में रखा गया, फिर बग़ावत के मुक़दमे का ड्रामा करके सज़ा-ए-मौत का फैसला सुनाकर फांसी दे दी गयी।
3. नवाब मोहम्मद हुसैन खान
नवाब मोहम्मद हुसैन खान इब्ने नवाब इर्तिज़ा खान, मिर्ज़ा खिज्र सुल्तान के नायब थे। आपको रियासत झज्जर में गिरफ्तार किया गया। सजा-ए-मौत तो आपके लिए पहले ही से तय थी, इसलिए मुक़दमा चलाये बिना ही आपको फांसी पर चढ़ा दिया गया।
4. इब्राहीम मण्डल
मोहम्मद जाफर थानेसरी ने अपनी सरगुज़िश्ता तवारीख़े-अजीब यकाला-पानी में लिखा है कि एक बूढ़े और ज़ईफ शख़्स इब्राहीम मण्डल को इस्लामपुर में गिरफ्तार किया गया और मामूल के मुताबिक पुराने गवाहों से जैसी चाही गयी, वैसी गवाहियां दिलवाकर आपको काला पानी भेज दिया गया। इस बयान से मालूम होता है कि इब्राहीम मण्डल को भी काला पानी की सजा हुई थी। मालदा में, जो साज़िश-केस मौलवी अमीरुद्दीन वगैरह के ख़िलाफ़ चलाया गया था, उसी वक़्त इब्राहीम मण्डल यसाकिन इस्लामपुर, नवाह राजमहल के खिलाफ भी मुक़दमा क़ायम किया गया था। आप बड़े ग़यूरो-दीनदार थे और बुज़ुर्गाने-अज़ीमाबाद से आपका गहरा ताल्लुक था। राजमहल के पूरे इलाके में आपके तक़वा-दीनदारी जोशे-हिम्मत की बड़ी शोहरत थी। अंग्रेज़ों ने आपको गिरफ्तार करके मुक़दमा चलाया और अक्टूबर सन् 1870 में काले-पानी और ज़ायदाद-ज़ब्ती की सज़ा दी, हालांकि बाज़ तज़किरों में यह भी है कि आपको काला पानी नहीं भेजा गया।
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